शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

अलगाववादियो को साथ देने वालों सरकारी कर्मचारियों को कठोर सन्देश



जम्मू कश्मीर की राज्य सरकार ने अलगाववादियो को साथ देने वालों सरकारी कर्मचारियों को कठोर सन्देश देते हुए, एक दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में संविधान की धारा 126 के तहत बर्खास्त कर दिया है। इससे पहले 1990 में अलगाववादियो के साथ देने में 5 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया था। 9 जुलाई को हिज्बुल के आतंकवादी बुरहान वानी की सुरक्षाबलों के साथ एनकाउंटर में मौत के बाद हुए प्रदर्शन में अब तक करीब 91 लोग मारे गए हैं। पिछले 104 दिनों से जारी इन प्रदर्शनों में 12000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। लेकिन शांति की कोशिश को नाकाम करने में इन अधिकारी जिम्मेदार है। राज्य सरकार और केद्र सरकार की जानकारी को पाकिस्तान को देने से शांति स्थापना में गतिरोध होजाता है   

पाकिस्तान को गुप्त सुचना देने पर पुलिस के डीएसपी रैक के अधिकारी तनवीर अहमद निलंबित किया गयागुप्त सुचना पाकिस्तान को देने के पुख्ता सबूत के बाद अब अन्य अधिकारियो को बर्खास्त किया गया। राज्य की पुलिस ने इन सभी अधिकारियों की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़ी रिपोर्ट के मुख्य सचिव को सौंप दिया। जिसके बाद उन्होंने सभी के संबंधित विभागों के प्रमुखों को बर्खास्त करने के लिए कहा। जबकि इनमें से कुछ कर्मचारियों पर पहले से ही पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है, कुछ लोग अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हैं। बर्खास्त किए गए लोगों में कश्मीर यूनिवर्सिटी के सहायक रजिस्ट्रार भी शामिल हैं। इनके अलावा शिक्षा, रेवेन्यू, स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और खाद्य आपूर्ति विभाग के कर्मचारी हैं।

जम्मू कश्मीर की सरकार ने कठोर निर्णय पीछे पाकिस्तानी परस्त लोगों की कमर तोडना भी है। वही सेना ने बारामुला में संदिग्धों ठिकानों पर छापा मार 44 संदिग्धों को गिरफ्तार किये। इनके पास से चीन और पाकिस्तानी झंडे, आतंकवादी संगठनों के लेटरहेड पैड, राष्ट्रविरोधी प्रचार सामग्री आदि भी बरामद किए गए। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान द्वारा जम्मू कश्मीर में शन्ति बहाली न हो इसके लिए वे भारत के कुछ अधिकारियों को मिला लिया है। इस गठजोर को तोड़ने तथा आगे न हो इसके लिए कड़ा सन्देश देना भी था।