शनिवार, 25 जून 2016

आपातकाल - लोकतंत्र की हत्या


भारत के तत्कालीन प्रधानमत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने 25 जून 1975 को घोषित किया। 25 जून की आधी रात को राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद आपातकाल के आदेश पर दस्तखत कर दिए। 

इसके बाद आपातकाल का आतंक शुरू हुआ। सभी बड़े नेताओ को गिरफ्तार कर जेल में भर दिया। आपातकाल का विरोध करने वालों पर घोर अत्याचार किये गए। आम लोगों को संविधान प्रदत्त मौलिकअधिकारों का हनन किया गया। यह तक समाचार पत्र में सेंसरशिप लागु था जिन समाचार पत्र ने विरोध किया तो उसकी बिजली कट दी गई । सरकार किसी को भी बिना कारण से गिरफ्तार कर जेल भेजती। इतना तो अंग्रेज भी नहीं किये थे ऐसी अत्याचार ? 

इंदिरा गाँधी ने 1971 के चुनाव में भारी बहुमत से जीतकर केंद्र में कांगेस आई की सरकार बनी थी। लेकिन उनसे चुनाव में हारे रामबहादुर राय ने इलाहबाद कोर्ट में चुनाव के खिलाफ याचिका दायर की । राजबहादुर ने आरोप लगाया कि इंदिरा गाँधी ने चुनाव जितने के लिए अनुचित तरीके का इस्तेमाल किया। सरकारी मशनरी का दुरूपयोग किया, जिसे न्यायालय ने मानकर चुनाव को रद्द कर पुन लोकसभा का चुनाव कराने का आदेश दिया। इलाहबाद हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी। इंदिरा गाँधी ने अपने विरोधियों को ख़त्म करने आपातकाल लागु कर लोकतंत्र की हत्या की थी।

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