गुरुवार, 8 अगस्त 2019

9 अगस्त विश्व मूलनिवासी दिवस बोले तो World Indigenous Peoples Day



विश्व आदिवासी नाम बताकर देश को फिर बांटने का षड्यंत्र किया जा रहा हैअगस्त को UNO द्वारा world indigenous day मनाया जा रहा है। Indigenous का मतलब होता है मूलनिवासीपरन्तु भारत में ईसाई मिशनरी तथा वामपंथियों के विचारकों द्वारा भारत में विश्व आदिवासी दिवस स्थापित करने की कोशिश किया जा रहा है। इसमें आदिवासी को बरगलाया जाता है कि आदिवासी ही भारत का मूलनिवासी है। इस संबध में 1994 में भारत सरकार ने UNO को स्पष्ट किया था कि भारत में रहने वाले जन सभी भारतवासी ही मूलनिवासी है।   

17वीं और 18वीं सदी के समय में यूरोप के कुछ देशों जैसे पुर्तगाल, फ्रांस, इंग्लैंड तथा अन्य देश के लोगों ने विश्व के अन्य महाद्वीपों के देशों में जाकर वहां से व्यापार करने लगे। उनको समझ में आया कि इन देशों से हमें आर्थिक लाभ मिल सकता है, और हम यहां पर सत्ता को भी प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए पुर्तगाल, फ्रांस, इंग्लैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों ने अपने आधुनिक सैन्य ताकत सेउन्होंने कमजोर देशों को उपनिवेश बनाने की परंपरा शुरू की। वहां के निवासियों की बेरहमी से हत्या तथा उन्हें गुलाम बनाकर यूरोप के देशों में बेच दिया जाता था जिसे हम कह सकते है मानवतस्करी। जैसाकि अमेरिका के मूलनिवासी जिसे कोलम्बस ने रेड इन्डियन कहा था, आज वे लुप्तप्राय हो चुके है।   

जैसा कि हम जानते हैं कि पुर्तगालफ्रांसइंग्लैंड अमेरिका में जाने के बाद वहां के जो मूलनिवासी रेड इंडियन थे, इन्हें बहुत ही संख्या में उनकी हत्या की तथा उन्हें दास (गुलाम) बनाया गया, उनका व्यापर किया गया। ऐसे ही साउथ अफ्रीका में जाकर वहां के नीग्रो लोगों की हत्या की और उन्हें गुलाम बनाकर यूरोप के देशों में बेचा। ऐसे ही आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी किया गया। वहां के जो मूल निवासी है, उनकी हत्याएं कि उन्हें गुलाम बनाया उन्हें जबरदस्ती खेतों में काम कराएं। इस तरह वह सारे महाद्वीपों के प्रमुख देशों में उपनिवेश बनाएं। इसी तरह भारत भी इंग्लैंड, पुर्तगाल और फ्रांसीसी का उपनिवेश देश रहा है  जैसा कि हम जानते हैं भारत भी इन देशों का उपनिवेश देश रहा है। भारत में भी इसी प्रकार से हत्याकांड किया गया था। इतिहास में इन बदनामी को छुपाने के लिए इसे कहा गया कि Civilization किया गया। यह जो लोग थे असभ्य थे इन्हें सभ्य बनाने के लिए कृत्य था आज सभ्यता का चोला ओढ़े लोगों को वे रेड इन्डियन फिर से देखने लगे जिन्हें सभ्यता सिखाने के लिए निर्ममतापूर्वक हत्या किया गया दुनिया भर के देशों के ईसाईसभ्यता के अत्याचारों से बचे मूल निवासियों के मानवाधिकारों के संरक्षण का हवाला देते हुए, जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। इसी 9 अगस्त 1994 को जेनेवा में विश्व का पहला अन्तर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस आयोजित किया गया था। जिसके बाद से हर साल 9 अगस्त को विश्व मूलनिवासी दिवस के आयोजन की शुरूआत हुई। UNO ने बचे हुए रेड इन्डियन जैसे मूलनिवासियों के संस्कृति, भाषा, उनके मूलभूत हक अधिकारों के संरक्षण के लिए यह पहल हुई। लेकिन इनकी यह कोशिश भारत सरकार ने भारत में असफल कर दी      

15 अगस्त 1947 भारत आजाद हो गया। आजादी के बाद देश चलने के लिए संविधान बनाया गया। भारत के संविधान में सभी निवासियों को मूलनिवासी माना गया तथा सभी को संविधान द्वारा मौलिक अधिकार प्राप्त है। यहाँ तक की ईसाई जो अंग्रेजों का साथ दिए थे उन्हें भी भारत का नागरिक मन गया। इसी आधार 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार UNO में स्पष्ट किया कि भारत में रहने वाले सभी निवासी ही मूल निवासी ही है, अर्थात सभी भारतवासी ही मूलनिवासी है। भारत में जनजाति समाज को सभी तरह के संवैधानिक अधिकार संविधान द्वारा आजादी के तुरंत बने संविधान से प्राप्त हैं। दुनिया को भारत से सीखने की आवश्यकता है कि यहां पर जनजाति को समाज का महत्वपूर्ण अंग माना है। ऐसे में यहां मूलनिवासी दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है। मूलनिवासी दिवस मनाने वाले को पहले भारत के संविधान में  जनजाति समाज को मिले संवैधानिक अधिकारों का अध्ययन करना चाहिए। 

आदिवासी दिवस के आयोजकों के रूप में पीछे से वामपंथी और ईसाई मिशनरियों का बड़ा हाथ है। जनजातीय समुदाय को बड़े पैमाने पर कई राज्यों में आदिवासियों का धर्मांतरण करने में लिप्त हैं। आदिवासियों को हिंदू से अलग धर्मकोड देने की लगातार मांग करते आ रहे हैं। ऐसे लोग आदिवासियों को अलग पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि जनजाति हिंदू समाज के एक अंग है, जो हिंदुओं के खिलाफ एक गहरी साजिश है जिसे मूलनिवासी आदिवासी करने की कोशिश की जा रही है। सभी पंथ, सम्प्रदाय, धर्म एव संस्कृति और परम्पराओ को संरक्षण करने का अधिकार प्राप्त है। लेकिन वर्षो से वनों में रहने वाले वनवासियों ( जनजाति ) के संरक्षण लिए विशेष प्रावधान किये गए।        

 

 

  



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