रविवार, 25 अगस्त 2019

आज शिक्षा मनी मेकिंग मशीन बन गई - नरेन्द्र मोदी


नरेंन्द्र मोदी आज पुणे के फर्ग्युसन कालेज में छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, हमारी शिक्षा मेन मेकिंग थी लेकिन उसे मनी मेकिंग बना दिया गया है। मोदी ने कहा कि कुछ लोग पावर चाहते हैं जबकि मैं इम्पावरमेंट चाहता हूं। नरेंन्द्र मोदी ने केन्द्र सरकार के खिलाफ कि कहा, लेकिन उसकी नीतियों की आलोचना कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य है कि एक भी पड़ोसी उसका दोस्त नहीं है।

सरकार की शिक्षा नीति पर मोदी ने कहा कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था बनाने की कोशिश नहीं की जा रही है, जो युवाओं की ताकत का इस्तेमाल कर सके। ओलिंपिक गेम्स के बाद हम हर बार निराश होते हैं कि सवा अरब लोगों का देश चंद गोल्ड मेडल नहीं ला सकता, लेकिन शिक्षा को खेलों से जोड़ने की कोई कोशिश नहीं हो रही। मोदी ने कहा, अगर सैनिकों को अच्छे से टैनिंग दी जाए तो पांच सात मेडल तो वे ही जी लाएं।

नरेंन्द्र मोदी ने कहा कि देश में निराशा का माहौल है, देश का युवा कुछ करना चाहता है, लेकिन उन्हें मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है। मोदी ने कहा,कि युवा न सिर्फ भारत को बल्कि पूरी दुनिया को निराशा के माहौल से बाहर निकालेंगे। भारत में गजब की ताकत है। यह देश 1,200 साल की गुलामी के बाद भी जिंदा है। सीना तानकर खड़ा है। विश्वविद्यालयी शिक्षा के 2,600 साल के इतिहास में भारत 1,800 साल तक दुनिया का सरताज रहा। सिर्फ गुलामी के 800 सालों में इसका नाश हुआ। पूरी दुनिया से लोग यहां पढ़ने आते थे।

अपने भाषण की शुरुआत में मोदी ने कहा कि इस जगह से पुणे से महान नेताओं को संदेश मिला है। उन्होंने कहा, श्यह सावरकर की धरती है, तिलक की धरती है। फर्ग्युसन कालेज में लेक्चर देने की तिथि तय हुई तो मैंने एक प्रयोग किया। मैंने सोशल मीडिया पर नौजवानों से पूछा कि मुझे फर्ग्युसन कालेज में क्या कहना चाहिए। करीब 2,500 नौजवानों ने मुझे सलाह दी। मैं बस उन्हीं की सलाह को आपको सामने रख रहा हूं। मैं सिर्फ माध्यम हूं, ये विचार कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के 2,500 नौजवानों के हैं।

उन्होंने कहा कि जो लोग यह सोचते हैं कि नौजवान सिर्फ जीन्स पहनते हैं और बाल बढ़ाते हैं, वे भ्रम में हैं। नौजवान सोचते हैं। देश के बारे में सोचते हैं। कुछ करना चाहते हैं। उनमें उमंग है। सामर्थ्य है। यह सब देख कर लगता है कि देश का भविष्य कभी भी अंधकारमय नहीं हो सकता है। मोदी ने वहां मौजूद 5,000 छात्रों से कहा कि विश्व की समस्याओं के समाधान के लिए भी यह युवा शक्ति काम आ सकती है, बस कोई काम करवाने वाला शख्स चाहिए। पूरे देश में निराशा का भाव है लेकिन मैं निराशा की बात नहीं करता। मुझे उम्मीदें दिखती हैं। नौजवानों का उमंग देखकर मैं उत्साहित हूं। मैं व्यवस्था बदलने में विश्वास रखता हूं।

भारत में पहले गुरुकुल शिक्षा की व्यवस्था थी। मोदी ने कहा कि हमारी गुरुकुल की शिक्षा परंपरा और अमेरिका की आधुनिक शिक्षा पद्धति की तुलना की जाए तो हमें पता चलेगा कि दोनों कुछ हद तक समान हैं। दोनों में लोगों को दिशा देने का काम होता है। हमें उस गुरुकुल व्यवस्था को आधुनिक पश्चिमी शिक्षा व्यवस्था से तुलना करने की जरूरत है। हमें गुरुकुल से विश्वकुल तक का सफर पूरा करना है। हमने उपनिषद से उपग्रह की यात्रा की है। दुनिया में पहला दीक्षांत समारोह भारत में हुआ था। तैतरीय उपनिषद में इसका विवरण मिलता है।

नरेंन्द्र मोदी ने कहा कि देश में निराशा का माहौल है, देश का युवा कुछ करना चाहता है, लेकिन उन्हें मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है। मोदी ने कहा,कि युवा न सिर्फ भारत को बल्कि पूरी दुनिया को निराशा के माहौल से बाहर निकालेंगे। भारत में गजब की ताकत है। यह देश 1,200 साल की गुलामी के बाद भी जिंदा है। सीना तानकर खड़ा है। विश्वविद्यालयी शिक्षा के 2,600 साल के इतिहास में भारत 1,800 साल तक दुनिया का सरताज रहा। सिर्फ गुलामी के 800 सालों में इसका नाश हुआ। पूरी दुनिया से लोग यहां पढ़ने आते थे।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें