गुरुवार, 6 जून 2019

बेरोजगारी दूर करने के लिए स्वरोजगार करने वालों की सर्वे


दूसरी बार सत्ता में आते ही मोदी सरकार एक्टिव हो गई है। मोदी सरकार इस बार अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण करवाने वाली है। इस सर्वे में पहली बार स्ट्रीट वेंडर्स यानी ठेले, चाय, पान रिक्सावाले -रेहड़ीवालों को भी शामिल किया जाएगा। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले की संख्या जुटाकर रोजगार के अन्य क्षेत्रों (स्रोत्र) को विकसित किया जाये, जिससे स्वरोजगार को बढ़ावा तथा बेरोजगारी को कम करना भी है।  

एक बात बताता हूँ कि हमारे बिश्रामपुर में एक भुजावाला है, रोज भुजा का ठेला लगाता है। प्रतिदिन वह भुजा वाला कम से कम में वह 2000 ₹ का भुजा बेचता होगा। उसकी मेहनत और सामग्रियों का खर्च निकले 1000₹ तो तथा 1000₹ रोज का बचत हो जाता होगा। लेकिन वह दावा करता कि ग्रेजुएट बेरोजगार है। देश में ऐसे बहुत सारे लोग भी है, जो स्वरोजगार करते है लेकिन खुद सरकारी नौकरी नहीं मिलने के कारण वह अपने को बेरोजगार कहते है। मोदी सरकार ने इन सभी लोगों को इस अभियान से जोड़कर, इन्हें भारत के अर्थव्यवस्था में जोड़ना भी होगा। कहने का मतलब की ऐसे लोगों को चिन्हित किया जाना चाहिए कि यह लोग अन्य लोगों को भी रोजगार दे सके। मतलब की इन्हें बैंकिंग प्रणाली से जोड़कर उनके काम और बढ़ाया जाए इसके लिए बैंक उन्हें लोन दे। तथा ऐसे लोग अपना छोटा कारोबार और भी बढ़ा सकें। आज से 20-25 साल पहले कई लोगों ने चाट फुल्की का ठेला आज वे लोग अपना कारोबार बहुत बढ़ लिये है।

यह आर्थिक सर्वे देश में बेरोजगारी के सटीक आंकड़े जुटाने के लिए कराया जा रहा है। सरकार इस सर्वे के तहत 27 करोड़ से ज्यादा परिवारों और 7 करोड़ से ज्यादा ठेले, चाय वाले, पान मसाला वाले, रिक्सा ऑटो चालक, -रेहड़ीवालों आदि और छोटे दुकानदारों को शामिल कर उनकी आर्थिक स्थिति की रूपरेखा तैयार की जाएगी।


ये सर्वे जनसंख्या सर्वेक्षण जैसा ही होगा। ये सर्वे जून के अंत में शुरू किया जाएगा और अगले छह महीनों में रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी।

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