मंगलवार, 18 जून 2019

ममता सरकार को बदनामी और जनता के सामने अपमानित होना पड़ा


पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और हड़ताली डॉक्टरों के साथ मीटिंग के बाद 7 दिनों की हड़ताल खत्म हो गई। जनता के सामने ममता बनर्जी की सरकार की केवल बदनाम हुए है अब डॉक्टरों से माफ़ी मांगने तथा उनको सुरक्षा देना पड़ा है 
  
नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज कुछ दिन पूर्व 80 वर्ष के वृद्ध की मृत्यु होने के बाद 200 TMC ( बिशेष समुदाय के लोग ) के गुंडों ने मेडिकल कॉलेज में पत्थरबाजी किया था। जिसमे एक डॉक्टर की मौत एक घायल हो गया। इसके ठीक दुसरे दिन डॉक्टरों ने एक दिन का धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इस धरने में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जाकर डॉक्टरों को धमकाया कहा कि आप लोग भाजपा के लोग हो, सरकार के खिलाफ काम करते हो, तुरंत वापस काम पर जाओ नहीं तो ... यही शब्द से बात बिगड़ गई

इसके बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया। यह डॉक्टरों का आन्दोलन पुरे बंगाल में फैल गया। बंगाल में १४ मेडिकल कॉलेज है, सभी डॉक्टरों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया। इसका यह परिणाम हुआ, की प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था ठप हो गया। तब जाकर ममता बनर्जी की आंख खुली तक तक देर हो चूका था। इस हड़ताल का असर पुरे देश पर पड़ने लगा। एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने भी काली पट्टी लगाकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। केंद्र सरकार पर हस्तक्षेप करने की मांग भी करने लगे, इसके बाद ममता बनर्जी दबाब में आ गई क्योंकि चुनाव तथा भाजपा के 70 से अधिक कार्यकत्र्ताओं की हत्या हो चुकी है। ममता बनर्जी को डर था, कि कही मोदी सरकार उनकी राज्य की सरकार को बर्खास्त कर सकती है।

इसलिए हड़ताली डॉक्टरों की सभी मांगों को मानने के लिए ममता सरकार मजबूर हो गई है। आज सभी डॉक्टरों हॉस्पिटल में काम पर आ गये होगे। इस आन्दोलन से फायदा किसको हुआ, लेकिन ममता बनर्जी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। लोकसभा चुनाव में हुए हिंसा ने बंगाल को पुरे देश में बदनाम कर दिया है। ममता बनर्जी को चाहिए था कि बंगाल को नई छवि बनाने की, लेकिन ममता बनर्जी की जिद्द ने हालत को और भी अधिक बिगड़ दिया ।    


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