छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक के चारों ओर की सड़कों पर जिस स्काईवॉक के तैयार होने से पहले ही टूटने का खतरा पैदा हो गया है। भुपेश बघेल सरकार के आने के बाद से राजनीतिक विवाद छिड़ा है कि आखिर इस स्काईवॉक की उपयोगिता तथा इस्तेमाल कितने लोग करेंगे ?
जब आप रायपुर के कोर्ट से
तहसील कार्यालय जाना पड़े और कलेक्टर कार्यालय आकर, कमिश्नर के कार्यालय, फिर कागज की फोटो कॉपी
करना पड़े। तक समझ में आता है, शास्त्री चौक से गुजरना।
शहर का सबसे ज्यादा ट्रैफिक अव्यवस्था का सामना कर पड़ता है। आमजन की सुविधा के लिए
स्काईवॉक का योजना डॉ रमन सिंह सरकार ने लाया था। योजना सही है, लेकिन नीयत भी ठीक है, लेकिन कांग्रेस की बघेल
सरकार ने तोड़ने की मुड़ में दिख रहा है। कुछ दिनों के समाचार पत्रों में छप रही
खबरों पर है।
स्काईवॉक 49 करोड़ के बजट से शुरू हुआ लेकिन देरी के कारण 80 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। मै पिछले 20 सालों से सुन रहा हू कि जीई रोड पर टाटीबंध से आने वाले ट्रफिक जाम अधिक होने के कारण आजाद चौक से लेकर शारदा चौक, जयस्तभ चौक, शास्त्री चौक के ऊपर से तेलीबधा तक प्लाईओवर बनाया जायेगा । 1998 में मध्यप्रदेश शासन को रायपुर नगर निगम से प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन खबर केवल समाचार पत्र में छपता ही रहा। अब तक रायपुरवासियों को यह सपना ही रहा। इस बीच कई बार सर्वे हुए लेकिन प्लाईओवर का सपना रायपुरवासियों के लिए दूर ही है।
फिर से छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2014-15 में मुंबई की क्यूब कंसलटेंसी से जीई रोड पर फ्लाईओवर निर्माण के लिए
सर्वे कराया। लेकिन फिर से फ्लाईओवर का प्रोजेक्ट
निरस्त हो गया। फिर वर्ष 2015-16 में स्काईवॉक बनाने के लिए सर्वे कराया गया। इसका ठेका एसएन भावे
कंसल्टेंसी को दिया गया। उस दौरान इस प्रोजेक्ट के लिए विभागीय बजट में 20 करोड़ की लागत भी तय थी। जिसे बाद में बढ़ाकर 50 करोड़ रुपए की गई।
छत्तीसगढ़ शासन की कोशिशों
के बाद भी स्काईवॉक काम में देरी भी हुई, यह भ्रष्टाचार की संदेह की
संकेत करती है। समय पर काम पूरा नहीं होने से आम लोगों
को परेशानी हो रही थी। इस बात का फायदा उठाकर कुछ लोग
विरोध कर रहे है। भूपेश बघेल की सरकार उन्ही लोगों के
दबाब में आकर स्काईवॉक को तोड़ने की बात कर रहे है। स्काईवॉक का निर्माण 70 प्रतिशत पूरा हो चका और अब तक 80 करोड़ के पास निर्माण का खर्च पहुच चूका
है।लगभग 7 महीने से काम बंद है आदि सरकार स्काईवॉक को तोडती भी है, तो 8 करोड़ खर्च होगे तथा 3 महीने का समय लगेगा। स्काईवॉक से शास्त्री चौक की रौनक बढ़ जाएगी, पैदल चलने वालों को रास्ता, युवाओं के लिए एक सेल्फी लेने का
केंद्र भी बन जायेगा।
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शास्त्री चौक पर पैदल चलने वालों का हवाला देते हुए
स्काईवॉक का निर्माण अप्रैल 2017 में शुरू कराया। तर्क दिया गया कि शहर के इस प्रमुख चौक के पास डीके
हास्पिटल, तहसील ऑफिस, कलेक्ट्रेट, कचहरी और डॉ. आंबेडकर अस्पताल जैसे आम लोगों से जुड़े हुए सरकारी संस्थान
संचालित हैं। स्काईवॉक का एक सिरा जयस्तंभ चौक की तरफ तो दूसरा आंबेडकर अस्पताल, तीसरा घड़ी चौक और चौथा सिरा मोतीबाग रोड की तरफ उतरेगा। इन रास्तों से
लोग पैदल आना-जाना करेंगे।
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