बुधवार, 21 अगस्त 2019

गुजरात दंगे में हिन्दु राष्ट्र का चेहरा साबित कर -





गुजरात 2002 में गोधरा कांड घटना के बाद अहमदाबाद में मचे दंगे के बीच पर मुंबई मिरर के फोटो ग्राफर Sebastian D'Souza ने एक दाड़ी वाले तथा केसरिया पटा बधे साधारण नवयुवक का जबरजस्ती फोटो खींचकर हिन्दुराष्ट्र का चेहरा बनाया। इस युवक का नाम अशोक मोची ( परमार ) दलित समाज से आता है। लेकिन दूसरे दिन अपना फोटो सभी अख़बार में देखा, तो उसके होश उड़ गए। पूरी दुनिया के समाचार पत्रों के पन्नों पर बीबीसी, गार्नियर जैसे अखबारों में छपा और आज भी छप रहे है। डिसूजा ने इस फोटो से नाम और पैसा कमाए लेकिन अशोक परमार दलित (जो की दलित समुदाय से आता है) आज भी इस घटना का दंश झेल रहा है।  


27 फरवरी 2002 की सुबह जैसे ही साबरमती एक्सप्रेस गोधरा रेलवे स्टेशन के पास पहुंची उसके एक S-6 कोच में गोधरा स्टेशन के पास रहने वाले बिशेष सामुदाय के भीड़ ने पेट्रोल डाल कर आग लगा दिए जिसमे ज्यादातर वो कारसेवक थे, जो राम मंदिर आंदोलन के तहत अयोध्या में एक कार्यक्रम से लौट रहे थे साबरमती ट्रेन के S-6  कोच में मौजूद 59 कारसेवकों यात्री आग से झुलसकर मौत हो गई साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग को साजिश माना, ट्रेन में भीड़ द्वारा पेट्रोल डालकर आग लगाने की बात गोधरा कांड की जांच कर रहे नानवती आयोग ने भी मानी

अशोक परमार अपने घर वापस जा रहा था कि वहा पर दंगा शुरू हो चूका था। उसे अपनी जान बचाने के लिए दंगो में बचने के लिए भगवा रंग का पटा सिर पर बंध लिया, इसे देख कर दंगाईयों से बच गया। लेकिन मुंबई मिरर के फोटो ग्राफर पत्रकार ने दंगाईयों के साथ में फंस दिया गया। इसे मालूम ही नहीं था कि फोटोग्राफर डिसूजा ( मुंबई मिरर) इसको गुजरात दंगे का खलनायक साबित कर फॅस देगा। डिसूजा ने उसे (अशोक परमार) कहा था कि ऐसा करो कि आप एक खतरनाक दिखो, उसने पास में लोहे का रॉड लेकर एक एक्शन में अपनी फोटो खिंचवाकर अपराधी बन गए और दंगाइयों के बीच में फॅस गया। जबकि अशोक परमार सीधा साधा अपने शादी के लिए पैसे के तंगी से परेशान था। लेकिन इस फोटो के कारण आज तक शादी नहीं कर पाया और दंगाई बन गया । एक फोटोग्राफर ने साधारण निर्दोष आदमी को हिंदुओं का खतरनाक चेहरा साबित करता रहा। मुंबई मिरर के फोटो ग्राफर  Sebastian D'Souza  ने एक दाड़ी वाले तथा केसरिया पटा बधे साधारण नवयुवक का जबरजस्ती  फोटो खींचकर हिन्दुराष्ट्र का चेहरा बनाया। दूसरे दिन अपना फोटो सभी अख़बार में देखा, तो उसके होश उड़ गए।



















अब इस चेहरे का उपयोग दलित मुस्लिम एकता के रूप में दोगली मीडिया कर रही है। एक निर्दोष आदमी को खूंखार आतंकी साबित करो फिर उसको दलित फिर मुसलमानों के साथ दिखो।

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