शनिवार, 17 अगस्त 2019

छोटा परिवार रखा कर भी देशभक्ति प्रगट कर सकते है – नरेन्द्र मोदी



भारत की स्वतंत्रता 15 अगस्त 1947 को मिली थी। इस अवसर पर प्रत्येक वर्ष भारत के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते आये है। इसी क्रम में 6वी बार प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विचार तथा अपने सरकार की उपलब्धियाँ ही नहीं गिनाते, बल्कि उनके भाषण में सारे मंत्रालयों के लिए अगले साल की प्राथमिकताएँ भी शामिल होती हैं। उनके भाषणों से सार्वजनिक अभियानों ने सफलता पाई हैं। इनमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, ‘स्वच्छता अभियान’, ‘सिलिंडर सब्सिडी छोड़ोजैसे अभियान शामिल हैं। क्योकि मोदी एक जननेता है, जनता में आने वाले समस्या की तरफ इंगित भी करते है। देश की जनता मानती भी, लेकिन इस बार के भाषण में प्लास्टिक से लेकर जल संरक्षण और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दे शामिल रहे। इसके बाद चर्चा का बिषय बन गया देश की बढती जनसंख्या को नियंत्रित करना मतलब छोटा परिवार .. 

भारत की जनसंख्या वृद्धि बहुत लंबे समय से सरकार के लिए एक चिंता का कारण रही है। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता के पश्चात वर्ष 1949 में भारत में पारिवारिक नियोजन कार्यक्रम का गठन किया गया था। वर्ष 1952 में भारत सरकार ने पूरे देश में अन्य विकासशील देशों की तरह, भारत में पहला परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया गया था। शुरू में इसमें जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों को शामिल किया जाता है और बाद में इसके विभाग माँ और बाल स्वास्थ्य, पोषण और परिवार कल्याण के अंतर्गत आते हैं। वर्ष 1966 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने परिवार नियोजन का एक अलग विभाग बनाया था। 1970 के दशक में संजय गाँधी ने जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए नसबंदी अभियान चलाया था यह अभियान चला होता तो देश की आबादी नियंत्रित हो गई होती लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद तत्कालीन सत्ताधारी जनता सरकार ने वर्ष 1977 में एक नई जनसंख्या नीति का गठन किया था। सरकार ने कहा कि इस नीति को मजबूरी से नहीं बल्कि स्वेच्छा से स्वीकार करना चाहिए। इस सरकार ने परिवार नियोजन विभाग का नाम बदलकर परिवार कल्याण कार्यक्रम रख दिया था। वर्ष 1991 में सरकार ने केरल के मुख्यमंत्री श्री करुणाकरण की अध्यक्षता में जनसंख्या के बारे में एक समिति की नियुक्ति की। वर्ष 1993 में इस समिति ने राष्ट्रीय विकास परिषदको अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें एक राष्ट्रीय जनसंख्या नीति बनाए जाने की सिफारिश की गई। 1993 में ही सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति निर्धारित करने के लिए डॉ. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ दल का गठन किया। मई 1994 में जनसंख्या नीति का मसौदा प्राप्त हुआ जिसे संसद में पेश किया गया। वर्ष 1994 से 2000 तक केंद्र की अस्थिर नीतियों की वजह से जनसंख्या नीति का यह मसौदा निष्क्रिय पड़ा रहा।


सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी उपाध्याय ने जनसंख्या वृद्धि को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पी आई एल दायर किये वे अक्सर कहते है कि हमारे देश में 124 करोड़ लोगों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ लोग बिना आधार के हैं तथा लगभग 5 करोड़ बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं। अर्थात हमारे देश की कुल जनसँख्या सवा सौ करोड़ नहीं बल्कि डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं। उपाध्याय ने कहा कि भारत की 50% समस्याओं का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है। जल जंगल और जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा और मकान की समस्या, गरीबी और बेरोजगारी की समस्या, भुखमरी और कुपोषण की समस्या तथा वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण की समस्या का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है। टेम्पो, बस और रेल में भीड़, थाना, तहसील और जेल में भीड़ तथा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भीड़ का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है। चोरी डकैती और झपटमारी, घरेलू हिंसा और महिलाओं पर अत्याचार तथा अलगाववाद, कट्टरवाद और पत्थरबाजी का मूल कारण भी जनसँख्या विस्फोट है। उन्होंने कहा कि भारत की कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2% है, पीने योग्य पानी मात्र 4% है और जनसँख्या दुनिया की 20% है! यदि चीन से तुलना करें तो भारत का क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसँख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है। चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे पैदा होते हैं और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं। अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसँख्या विस्फोट है और उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही अटल सरकार द्वारा बनाये गए संविधान समीक्षा आयोग (जस्टिस वेंकटचलैया आयोग) ने 2002 में संविधान में आर्टिकल 47A । जोड़ने और एक प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था। जिसे आज तक लागू नहीं किया गया। उपाध्याय ने कहा कि अबतक 123 बार संविधान संशोधन हो चुका है। 2 बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है। सैकड़ों नए कानून बनाये। गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी जनसँख्या नियंत्रण कानून आज तक नहीं बनाया गया, जबकि इससे देश की 50þ समस्याओं का समाधान हो जाएगा।


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