सोमवार, 15 अगस्त 2022

डोकलाम - यह भारत के सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान



डोकलाम भूटान का हिस्सा है, भारत का हिस्सा नहीं है बल्कि  भारत और चीन की सीमा पर सटा हुआ है। लेकिन यह भारत के सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। डोकलाम का विवाद 16 जून 2017 में आया था दुनिया के सामने आया था जब मई में रायल भूटान आर्मी ने चीनी सेना को सड़क बनाने से रोका लेकिन चीन नहीं रुका जब भारतीय सेना आने के बाद ही चीन रुका अब वह फिर से यह विवाद खड़ा हो गया है। जब चीन ने दो गांव वहां पर बसा दिया है। अमेरिकी कंपनी मैक्सार की सैटेलाइट मिले चित्र से चीन ने डोकलाम में 2 गांव बसा दिए। सेटेलाइट चित्र से जो दिख रहा है कि लोगों के दरवाजे पर कार खड़ी है। जहां 2017 में भारतीय और चीनी सेना का आमना सामना हुआ था। चीन इस गांव को पगड़ा कहता है। जबकि यह पूरी तरह भूटान के जमीन पर बसा हुआ है। पगड़ा को रोड कनेक्ट भी देने के लिए चीन हर मौसम में अपना सड़क बनाया है हमको समझ लेना चाहिए चीन एक विस्तारवादी देश है जिसका अपने सीमावर्ती देशों से सीमा का विवाद है चीन अपनी सीमा को बढ़ाता ही जा रहा है उसके सभी देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है, जबकि भारत के साथ भी नेपाल के साथ भी भूटान के साथ भी सीमा विवाद है।

डोकलाम जो भूटान के क्षेत्र में आता है, वहां पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एक सड़क बनाने को लेकर, सड़क निर्माण कार्य शुरू किया। 16 जून 2017 को इस गतिरोध के कारण जब भारतीय सेना के करीब 300 जवानों ने दो बुलडोजर के साथ उस स्थान पर डोकलाम पर आकर भूटान की सीमा पर चीन द्वारा बनाए जा रहे सड़क को रोक दिया। 9 अगस्त 2017 को चीन ने दावा किया कि भारत ने उसके क्षेत्र में 53 सैनिकों के साथ काम रोक दिया है जबकि भारत ने इस दावे को नकार दिया। क्योंकि भूटान और भारत में एक समझौता हुआ है दार्जलिंग संधि  भूटान और भारत के बीच 1949 में परस्पर विश्वास और स्थाई मित्रतापूर्ण संबंध को लेकर एक समझौता हुआ था, जो कि दोनों देश के बीच सैन्य सहयोग करार रहेगा। 8 फरवरी 2007 में भारत और भूटान द्वारा मैत्री संबंध में संशोधन हस्ताक्षर के साथ फिर से समझौता किए गए हैं जिसके तहत अनुच्छेद 2 में कहा गया है कि भूटान और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग संबंधों को ध्यान में रखते हुए भूटान के साम्राज्य और भारत गणराज्य की सरकार निकट सहयोग करेंगे अपने राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे के साथ सहयोग करेंगे तथा  राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध क्रियाकलापों को अपनी क्षेत्र का उपयोग किसी को नहीं करने देगे के प्रतिबद्ध रहेगे।

भारत के भूगोलिक सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान डोकलाम है लेकिन यह भारत का हिस्सा नहीं है यह भूटान का भूमि का हिस्सा है यदि चीन डोकलाम पर कब्ज़ा कर लेता है तो वह हमारे सिलीगुड़ी कोरिडोर पर कब्ज़ा कर हमें पूर्वोत्तर भारत से जोड़ने वाली रोड और रेल मार्ग को बंद कर देगा जिससे पूर्वोत्तर भारत से हमारा संपर्क कट जायेगा और चीन एक झटके में पूर्वोत्तर भारत पर कब्ज़ा कर लेगा। भारत की आजादी के समय हमारी चीन की सीमा नहीं लगती थी चीन ने तिब्बत पर कब्ज़ा कर चीन में मिला किया था इसके बाद ही चीन की सीमा भारत से जुडी है। 

15 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 का प्रस्ताव पास हुआ जिसके तहत भारत को स्वतंत्र किया जाना था। भारत में ब्रिटिश राज बस 1 महीने का समय बच गया था। 15 अगस्त 1947 को समाप्त होता उसे पूर्व भारत को 2 देशों में विभाजित करना था। जिसके लिए रेट लिस्ट नामक व्यक्ति को इसका प्रमुख बनाया गया। जो कि भारत और पाकिस्तान के बीच में एक सीमा रेखा तय करना था। रेडक्लिफ कभी भी भारत नहीं आया था, नहीं भारत के बारे में वह जानता था लेकिन वह भारत का विभाजन कर दिया। अंग्रेज जानते थे कि भारत में बहुत पोटेंशियल है भारत के लोग क्षमता न है और वह मेहनत करके हो सकता है। वह इट इस पर इस से कब्जा कर सकते हैं लेकिन वह चाहते कि भारत का विभाजन कर और इन देशों में उलझा रहे और जिस प्रकार से रेडक्लिफ ने भारत का विभाजन किया बल्कि भारत के लिए आजीवन नासूर देकर गया। इसकी सजा आज तक हम लोग भुगत रहे उसका यह कौन है सिलिगुड़ी कॉरिडोर जोकि के रूप में जाना जाता है भारत का 20 किलोमीटर का है जो पूर्वोत्तर भारत को मुख्य भारत से जोड़ता है। यदि चीन डोकलाम पर कब्जा कर लेता है तो वह डोकलाम से इस गलियारे पर नजर रखता है और आने वाले समय में भारत के लिए एक खतरनाक स्थिति बना रहेगा। जब जब 1971 में हमने पूरी पाकिस्तान को बांग्लादेश बना दिया अगर हमने ध्यान दिया होता तो शायद हम उस गलती को ठीक कर सकते थे। कुछ बांग्लादेश के जिले को भारत में मिलाकर इस गलियारे को और चौड़ा किया जा सकता था या फिर हमें इस गांव तक गांव को बांग्लादेश से ले सकते थे। जो हमें कोलकाता से जल्द से त्रिपुरा और उत्तर भारत को जोड़ कर सकता। यह भयंकर भूल आज हमारे देश को एक नासूर चुप रहा है। ऐसी बहुत सारी गलतियां अंग्रेजों ने हमें जानबूझकर नासूर दी ताकि हम जीवन भर इस चीजों से उलझ करते रहे संघर्ष करते रहे। 







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