1988- 90 के दौर के विश्व के नेताओ में जाना जाता था, उस समय के सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव को। मेरे जैसे उस समय के भारतीय बच्चों- बड़ों को आज भी अच्छी तरह याद है।उस दौर में सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने विश्व को शान्ति स्थापित करने हेतु किये गए प्रयास को स्मरण किया जाता रहेगा। राष्ट्रपति गोर्बाचेव ने सोवियत संघ में समय के अनुसार महत्वपूर्ण बदलाव की शुरू किया, जिसमे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतक रूप से उदारवादी नीति बनाई। 1986 में यूक्रेन में स्थित चेर्नोबिल में परमाणु उर्जा संयत्र में दुर्घटना के बाद उन्होंने परमाणु हथियारों के सीमित कर शीत युद्ध की समाप्ति किया इसी समय उन्होंने अफगानिस्तान में सोवियत सेना की घर वापसी किया। 9 नवम्बर 1989 को बर्लिन की दीवार तोड़ी गई और जर्मनी का एकीकरण हो गया लेकिन गोर्बाचेव ने सोवियत सेना को नहीं भेजकर होनेवाले हिंसा को रोका। यही बात आज भी रूस की जनता को पसंद नहीं आया, सोवियत संघ को टूटने से नहीं बचा पाये। USSR के अंतिम राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव होकर रह गये। आज भी वे केवल रूस में एक खलनायक बनकर रहे मिखाइल गोर्बाचेव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें