सोमवार, 19 जुलाई 2021

नक्सल कमांडर रमन्ना के बेटे रंजीत उर्फ श्रीकांत ने तेलंगाना के डीजीपी एम महेंद्र रेड्डी के समक्ष हैदराबाद में आत्मसमर्पण कर दिया । रंजीत के आत्मसमर्पण के बाद दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू अभियान के तहत 3 महिलाओं सहित 11 नक्सलियों नेआत्मसमर्पण



तेलंगानाओडिशा और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने जिसे लगभग 2.40 करोड़ रुपए का इनाम घोषित नक्सल कमांडर रावुलु श्रीनिवास उर्फ रमन्ना के बेटे रावुलु रंजीत उर्फ श्रीकांत ने तेलंगाना के डीजीपी एम महेंद्र रेड्डी के समक्ष हैदराबाद में आत्मसमर्पण कर दिया। रावुलु रंजीत के सरेंडर से दण्डकारण्य खास तौर से बस्तर में नक्सल आंदोलन को बड़ा झटका लगा है। रंजीत ने आने वाली नई पीढ़ी को हिंसा का रास्ता छोड़कर नई जीवन में जीने की राह दिखाया है इसका परिणाम यह हुआ है कि  दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू अभियान के तहत 3 महिलाओं सहित 11 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से एक महिला नक्सली के ऊपर 1 लाख रुपए का इनाम भी घोषित है। एक साथ इतनी संख्या में नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने को दंतेवाड़ा SP डॉ अभिषेक पल्लव ने अपनी छत्तीसगढ़ पुलिस की बड़ी कामयाबी मान रहे हैं। रंजीत का पिता रमन्ना नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। वह रंजीत उर्फ श्रीकांत छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की राज्य इकाई दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) का सचिव भी था। इसका मुख्य कारण यह है कोरोना...... रंजीत ने कोरोना के कारण बहुत से नक्सलियों के मौत के बार आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर हुआ है। 



छत्तीसगढ़ के बस्तर में रमन्ना नक्सलियों का सुप्रीम कमांडर था। उसके बिना बस्तर में पत्ता भी नहीं हिलता था। 9 दिसम्बर 2019  में सुकमा के जंगलों में हार्ट अटैक से उसकी मौत हुई थी। रंजीत की मां माड़वी सावित्री डिवीजनल कमेटी की सदस्य है व किस्टारम एरिया कमेटी में अब भी सक्रिय है। माता पिता दोनों राज्य के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष की वजह से जीवन भर भूमिगत रहे। इसी दौरान 1998 में दण्डकारण्य के जंगल में रंजीत का जन्म हुआ। रंजीत ने बचपन से यही जाना है कि सत्ता बंदूक की नली से आती है। वास्तव में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिग जिले के नक्सलबाड़ी नाम के गाँव में 25 मई 1967 को सशस्त्र क्रांति हुई। जिसका नेतृत्व कान्यु सान्याल और चारू मजुमदार ने किया था। नक्सलबाड़ी के नाम से नक्सलवाद शुरू हुआकुछ ही समय में यह आन्दोलन वैचारिक जन आन्दोलन का रूप ले लिया। सशस्त्र क्रांति के रास्ते पर चलते हुये पड़ोसी देश चीन के माओवादी सिद्धांत से प्रेरित होकर चलने लगा। नक्सलवादियों का मानना है कि राजनीतक सत्ता बन्दूक की नली से मिलती है। ऐसे विचारधारा के लोग चीन के नेता माओ सेतुंग से प्रभावित होकर भारत में सशस्त्र क्रांति से राजनीतिक सत्ता प्राप्त करना चाहते है और यही लोग माओवाद के नाम से भारत में पहली बार हथियारबंद आंदोलन चलाने वाले नक्सली कहलाने लगे। जो बंदूक के दम से चीन के बाद पश्चिम बंगाल में सत्ता का परिवर्तन किया। इस प्रयास में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग पिछले 40 वर्षो से आतंक का खुनी खेल खेल रहे है।

रंजीत उर्फ श्रीकांत की प्रारंभिक शिक्षा नक्सलियों के जनताना सरकार की ओर से पट्टापाढू या पुट्टम गांव में संचालित स्कूल में हुई। वहां उसे नवजनवादी क्रांतिहथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई। छठवीं तक पढ़ाई करने के बाद रमन्ना ने उसका एडमिशन निजामाबाद के काकतीय स्कूल में आर श्रीकांतपिता श्रीनू के नाम से करवा दिया। यहां उसने दसवीं तक पढ़ाई की। दसवीं की पढ़ाई पूरी कर 2015 में वह गुरिल्ला आर्मी का सदस्य बना। इसके बाद रमन्ना ने यह सोचकर आगे पढ़ाई के लिए रंजीत को बाहर नहीं भेजा कि पुलिस को भनक लग सकती है। 2015 से 2017 तक रंजीत बस्तर के जंगलों में आदिवासियों को नए प्रजातांत्रिक अधिकारों की शिक्षा देता रहा। इसके बाद उसने नक्सलियों की बटालियन ज्वाइन कर ली। नवंबर 2019 में वह प्रमोट होकर प्लाटून पार्टी कमेटी का सदस्य बन गया।

रंजीत 2018 में किस्टारम ब्लास्ट की घटना में शामिल था। इसमें सीआरपीएफ के नौ सिपाही शहीद हुए थे। 2020 में रंजीत के नेतृत्व में एर्राम में नक्सलियों ने एंबुश लगाया था लेकिन एक नक्सली मारा गया था। मार्च 2020 में मिनपा मुठभेड़ में वह शामिल था। इस घटना में 23 जवान व तीन नक्सली मारे गए थे। नक्सली 12 एके 47 व दो इंसास रायफल भी लूट ले गए थे। उसने तिम्मापुर में भी एंबुश लगाया था पर फोर्स नहीं फंसी।

तेलंगाना पुलिस को दिए बयान में रंजीत ने बताया कि पिता रमन्ना की मौत के बाद पार्टी में उसे सिर्फ अपमान मिला। उसने बताया कि उसके पिता रमन्ना की मौत के बाद  दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी डीकेजेडएससी की कमान कट्टा रामचन्द्र रेड्डी उर्फ राजू दादा उर्फ विकल्प ने सम्हाल ली है। दूसरी बड़ी बात यह कि छत्तीसगढ़ में कोरोना का कहर दर्जनों नक्सलियों पर भी टूटा है। सूत्रों से मिली जानकारी से प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा नक्सलियों की संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है। सभी बड़े कमांडर कोरोना संक्रमण हो चुके है कुछ की मौत हुई तथा बहुत कमजोर हो चुके है। मई और जून महीनों में सिलगेर कैम्प के विरोध में ग्रामीणों को आगे कर नक्सलियों ने आन्दोलन चलाया उसके कारण भी बस्तर में कोरोना से कई नक्सली कमांडर की मौत तथा अन्य निर्दोष ग्रामीणों की मौत हो रही है।  

छत्तीसगढ़ के बस्तर पुलिस को अंदेशा है कि खूंखार नक्सली कमांडर हिडमा भी संक्रमण की चपेट में है। खूंखार माओवादी हिड़मा समेत सुजाता और विकास भी कोरोना संक्रमित हैं। ये तीनों दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के मेंबर हैं। इन तीनों पर 25-25 लाख रुपए का इनाम भी घोषित है। इसके अलावा बस्तर व तेलंगाना इलाके में तांडव मचाने वाले जयलालदिनेशदेवाविनोद ,राजेशआकाशसोनीक्रांतिजयमनसोनूनंदू ये सभी बीमार हैं। इनमें कई 8 लाख व 10 लाख रुपए के इनामी भी शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ का शीर्ष नक्सल कमांडर यापा नारायण उर्फ हरिभूषण की मौत सोमवार रात दक्षिण बीजापुर-सुकमा अंतर्जिला सीमा क्षेत्र में कोरोना से हो गई। 52 वर्षीय हरिभूषण नाम से मशहूर यापा नारायण तेलंगाना राज्य समिति का सचिव भी था। पुलिस का दावा है कि रमणगंगा और शोभरोई नक्सलियों की भी मौत कोरोना संक्रमण से ही हुई है। झीरम घाटी नक्सली हमले के मास्टरमाइंड नक्सली कमांडर विनोद की कोरोना से मौत हो गई है। कोत्तागुड़म पुलिस तक विनोद के मौत की पुख़्ता जानकारी पहुंची है। उस पर 25 लाख रुपए से अधिक का इनाम घोषित था। सुकमा-बीजापुर बॉर्डर इलाके के जंगल में मौत होने की खबर है। 2013 में कांग्रेसी नेताओं के काफ़िले पर नक्सली हमले का मास्टर माइंड था। 25 मई 2013 के दिन कांग्रेस पार्टी ने सुकमा में परिवर्तन रैली आयोजित किया था। इसमें रैली में कांग्रेस पार्टी के सभी बड़े नेता शामिल हुए थे। रैली खत्म होने के बाद सुकमा से जगदलपुर आते समय झीरम घाटी में घात लगाकर नक्सलियों ने हमला किया था। जिसमे बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल,  उदय मुदलियार, और विद्धाचरण शुक्ला की हत्या कर दिया गया था। जिसमें कांग्रेस नेताओं समेत 31 लोगों की मौत हुई थी। 

27 मई को तेलंगाना के कोत्तागुड़म जिले में अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित नक्सली कमांडर कोरसा गंगा उर्फ आयतु की मौत हो गई थी। पुलिस का दावा है कि कोरोना संक्रमण से उसकी मौत हुई है। जिसे छत्तीसगढ़ के प्रशासन ने उसके शव को उसके गाँव में लाकर शिनाख कराया तथा कोरोना गाइड लाईन के अनुसार संस्कार किया गया। जून को हैदराबाद में नक्सलियों के कम्युनिकेशन टीम के चीफ गद्दाम मधुकर उर्फ सोबराय की इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

13 जून को नक्सली नेता कट्टी मोहन राव उर्फ दामू दादा की मौत हो गई। सूत्रों के अनुसार नक्सली मोहन राव कोरोना से संक्रमित था। वहीं नक्सलियों ने मोहन की मौत की वजह हार्ट अटैक बताई है। एक के बाद एक बड़े कैडर के नक्सली नेता कोरोना से ढेर हो रहे हैं। हरिभूषण के बाद अब उसकी पत्नी शारदा की भी कोरोना से मौत हो गई है। नक्सलियों के चेरला एरिया कमेटी की सचिव शारदा लंबे समय से कोरोना से जूझ रही थी। बीमारी के चलते 24 जून को शारदा की मौत हो गई है। इस पर 10 लाख रुपए का इनाम भी घोषित था। शारदा कई बड़ी नक्सल घटनाओं में भी शामिल रही है। तेलंगाना और छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती इलाके में यह जम कर तांडव मचाया करती थी। तेलंगाना व छत्तीसगढ़ के जंगल में कई नक्सली नेता बीमारी से तड़प रहे हैं।नक्सली कमांडर कट्टी मोहन राव उर्फ दामू दादा व उसकी पत्नी भारतक्का की भी कोरोना से मौत हो गई है। कट्टी मोहन राव कोरोनाबीपी व शुगर की बीमारी से जूझ रहा था। 10 जून की सुबह हार्ट अटैक से इसकी मौत हो गई थी। कट्टी की मौत के ठीक 12 दिन बाद 22 जून की सुबह इसकी पत्नी भारतक्का ने भी कोरोना से दम तोड़ दिया। ये दोनों नक्सली दंपती भी कई बड़ी नक्सल घटनाओं में शामिल थे। वहीं हार्डकोर इनामी नक्सली शारदा की मौत की पुष्टि कोत्तागुडम एसपी सुनील दत्त व दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने की है।

बस्तर पुलिस ने नक्सलियों से सरेंडर की अपील किये है और बस्तर में प्रशासन पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि  किसी भी हालत में नक्सलियों को दवा और खाद्य की सप्लाई नहीं की जाएगी। लेकिन नक्सल विचारधारा को छोड़, नक्सली अगर मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला करते हैं, तो प्रशासन उनका इलाज कराएगा। इसके अलावा पुनर्वास नीति का भी उन्हें लाभ दिलाया जाएगा। एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि लोन वर्राटू अभियान के तहत नक्सली समर्पण करें।

 

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