शनिवार, 12 जून 2021

छत्तीसगढ़ के घोर नक्सली क्षेत्र में पुलिस सिलगेर कैम्प का विरोध | 28 दिनों से चल रहा आन्दोलन खत्म, कही छत्तीसगढ़ शासन के लिए नासूर न बनजाये


छत्तीसगढ़ के घोर नक्सली क्षेत्र सुकमा और बीजापुर के बीच में सिलगेर कैंप में 17 मई को हुई, फायरिंग में 3 लोग मारे गए थे। जब 40 गाँव से लगभग 3 हजार ग्रामीण सिलगेर में स्थापित किए जा रहे, पुलिस कैंप का विरोध करने पहुंचे थे। छत्तीसगढ़ के सुरक्षाबल लगातार बस्तर के हार्डकोर नक्सली इलाकों में कैंप स्थापित कर रहे हैं। पुलिस की बाते मानें तो नक्सलियों के दबाव में ग्रामीण इन कैंप का विरोध कर रहे हैं, यह बात सत्य भी है। 17 मई को भी इसी तरह 3 हजार के लगभग ग्रामीण सिलगेर में स्थापित हो रहे कैंप का विरोध करने पहुंचे थे। इसी बीच अचानक आंदोलन उग्र हुआ और ग्रामीण कैंप के अंदर घुसने की कोशिश करने लगे। ग्रामीणों ने कैंप पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, साथ ही तीर भी बरसाने लगे। वहा पर उपस्थिति पुलिस के अनुसार ग्रामीण इतने आक्रामक हो गए थे कि उन्होंने कैंप के बेरिकेड को तोड़ने की कोशिश की। इसी दौरान ग्रामीणों के बीच में छुपे नक्सलियों ने पुलिस पर फायरिंग किये जाने के बाद, फिर दोनों ओर से गोलीबारी हुई थी। इस गोलीबारी में तीन ग्रामीण की मौत हुई,  तथा मचे भगदड़ में एक महिला घायल हो गई, जिसकी बाद में मौत हो गई, 5 अन्य ग्रामीण घायल भी हुए। इसके अलावा 13 डीआरजी और 6 सीआरपीएफ के जवान भी घायल हुए थे मामले में 8 लोगों को हिरासत में लिया गया है।



छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग पिछले 40 वर्षो से नक्सलियों का दंस झेल रहा है। भारत सरकार और छत्तीसगढ़ की सरकार ने कई विकास योजनाओं के कारण अब नक्सली गतिविधि ठंडा पड़ रहा है पहले जैसे लोग अब नक्सलियों से दूर हो रहे है इस कारण पिछले छ महीनों में नक्सली आक्रामक हो गए है वहा पर सुरक्षा बलों पर बार बार हमला कर रहे है इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अन्य स्थानों पर पुलिस कैप खोलना शुरू किया है नये पुलिस कैप खुलने से नक्सलियों गतिविधियों में लगाम लग रहा है इसलिए नक्सलियों ने ग्रामीणों को आगे कर अपना कैप विरोधी अभियान चल रहे है।    

छतीसगढ़ से 500 किमी दूर सुकमा जिले के कोंटा ब्लाक का सिलगेर पंचायत घोर नक्सल प्रभावित है। वहां जाने के लिए सड़क तक नहीं है। जगरगुड़ा थाने से जाना काफी मुश्किल होता है, जगरगुड़ा से करीब 16 किमी. दूर स्थित सिलगेर कैंप हैं। इसलिए वहां पर बीजापुर के पुलिस के जवानों द्वारा कैंप स्थापित किया गया है। साथ ही तर्रेम से सिलगेर तक सड़क बनाने का भी काम पुलिस कर रही है, जिसको नक्सलियों ने खोदने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने असफल कर दिया। मुख्यमार्ग से अंदर तक जाने के लिए सड़क बनाया जा रहा है। नक्सली सड़क में बम लगाना चाहते थे। सड़क पुलिस के देखरेख में बन रहा है। इस सड़क से पुलिस की पहुँच घोर नक्सली क्षेत्र में पुलिस तुरंत पहुच सकती है। नक्सलियों को इन सब बातोँ से ज्यादा डर लग रहा है कोरोना महामारी के कारण नक्सलियों की संख्या कम हो रही है  

अब घोर नक्सलियों क्षेत्रों में पुलिस सीआरपीएफ के साथ मिलकर नये पुलिस कैंप स्थापित कर रही है। इसी क्रम में सिलगेर पंचायत में नए पुलिस कैप बनाया गयाजिसका काम यह है कि पिछले 2003 से बंद बीजापुर और सुकमा राज्य मार्ग को फिर से शुरू किया जाये। इस मार्ग शुरू होने से घोर नक्सली क्षेत्र में पुलिस की गतिविधि तुरंत शुरू हो जाएगी जिसके बाद नक्सलियों द्वारा लगातार ग्रामीणों को गुमराह कर विरोध कराया जा रहा था। 13 मई से कैंप का विरोध ग्रामीण कर रहे है। ग्रामीणों का कहना है कि कैंप यहां पर नही खोला जाऐ। क्योंकि कैंप खुलेंगें तो ग्रामीणों के साथ मारपीट करेंगें और फर्जी केस में जेल भेज देंगें। इसलिए ग्रामीण यहां पर कैंप का विरोध कर रहे है। इसके अलावा जिले के अन्य नए कैंपों का विरोध ग्रामीण कर रहे है। यह सब बातें ग्रामीण नक्सलियों के डर से बोलते है। यदि ग्रामीण पुलिस कैप का विरोध नहीं करे तो उन्हें गाँव में जाकर 500 रूपये दंड या फिर उनकी सभा में मारपीट का सामना करना पड़ता है  


13 मई से यहां पर कैंप का विरोध आसपास के 40 गांवों के ग्रामीण कर रहे थे। रविवार को ग्रामीण वहां से चले गए थे,  लेकिन सोमवार सुबह से और ज्यादा संख्या में ग्रामीण जुटे जिनके हाथों में लाठी, डंडा, तीर धनुष व पारंपरिक हथियार थे। पुलिस का कहना है कि हिंसा पर उतारू लोगों ने सोमवार दोपहर करीब 12 बजे पत्थरबाजी शुरू कर दिया, फिर सुरक्षा में तैनात जवानों पर तीर बरसाए। इस बीच जंगल की ओर से भी गोलीबारी हुई, जिसके बाद पुलिस भी गोलीबारी की इसमें तीन लोग मारे गए। इनमें ग्राम चुटवाही थाना बासागुड़ा निवासी कवासी वेगा, सुकमा जिले के ग्राम तिप्पापुरम थाना चिंतलनार निवासी उइका मुरली और ग्राम गुंडम थाना बासागुड़ा निवासी उरसा भीमा शामिल हैं। गोलीबारी में मचे भगदड़ में एक महिला सोमाली घायल हो गई थी, लेकिन ईलाज के दौरान 25 मई को उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद तीनों शवों को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया। बीजापुर जिला अस्पताल में मंगलवार को पोस्टमार्टम किया गया। पुलिस ने मारे गए तीन लोगों को नक्सली बताया  जबकि ग्रामीण किसान बता रहे हैं। सूत्र से मिली जानकारी में 18 लोग हिंसक झड़प में जख्मी हुए हैं। इनमें तीन गोली लगने से घायल हुए हैं। 18 में से सात लोगों को बासागुड़ा में दाखिल किया गया है, जबकि जिला अस्पताल में 11 लोगों का इलाज चल रहा है। 



छत्तीसगढ़ सरकार भी सिलगेर कैप में झुकाने वाली नहीं लगा रही है मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि 6 कैप और शुरू किये जायेगा हम नक्सलियों के उन्मूलन से पीछे नहीं हटेगे ग्रामीणों को आगे कर नक्सली अपना एजेंडा आगे बड़ा रहे। ट्विट्टर पर #बस्तर_में_जनसंहार_बंद_करो ट्रेंड होने पर भूपेश सरकार आंदोलनकारियो से बातचित शुरू किया जाये इस पर आंदोलन को खत्म कराने बस्तर के आईजी, कमिश्नर, कलेक्टर और एसपी स्तर के वरिष्ठ अधिकारी भी आंदोलनकारियो से मिलने पहुंचे पर बात नहीं बनी छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीणों को समझाने के लिए बस्तर के 5 विधायकों को सांसद दीपक बैच के नेतृत्व में भेजा। इस पर ग्रामीणों ने सीधे मुख्यमंत्री से चर्चा करने की मांग की अंत में आंदोलनकारी ग्रामीणों ने सीएम से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात कर तब जाकर आंदोलन खत्म हुआ। आन्दोलन खत्म होने के बाद आंदोलन के नेताओं का मानना था कि आंदोलन में बढ़ते कोरोना और बारिश के वजह से आंदोलन को विराम दिया गया है भूपेश बघेल ने बीजापुर सुकमा जिले के इस सिलगेर में हुई घटना को दुर्भाग्यपूर्ण तथा परिस्थितिजन्य घटना थी उन्होंने कहा कि इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं।



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