शुक्रवार, 4 जून 2021

6 दिनों की महायुद्ध | 6 अरब देशों को हरा कर युद्ध जीता था इजराइल



14 मई 1948 को इजराइल ने खुद को आजाद राष्ट्र घोषित किया था। इजराइल वो देश अपने दुश्मन अरबों से घिरे होने के बाद भी उनकी नाक में दम कर रखा है। अपने आजादी के दुसरे दिन ही अरबों ने हमला कर दिया था इस अचानक हुए हमला में इजराइल पूरी तैयारी के साथ लड़ाई लड़ा।अकेले ही इस लड़ाई में वह फिर से जीत गया। अब वह फिलिस्तीन के बहुत बड़े भूभाग में कब्जा कर लिया। 1967 में 6 देशों की मिश्रित सेना को 6 दिन में हरा दिया था।क्षेत्रफल में भारत के केरल से भी छोटा ये देश,  आज हर मामले में दुनिया के बड़े-बड़े देशों से आगे है। इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का जिक्र होते ही दुश्मनों के पसीने छूट जाते हैं। आज भी अरबों से अपने को जीवित रखने के लिए युद्ध कर रहा है।   

इजरायल की मान्यता को लेकर अरब देश हमेशा से संघर्ष की स्थिति में रहे। शुरू में अरब देश इजरायल के वजूद पर सवाल उठाते रहते हैंवहीं इजरायल ने 1948 और 1967 की लड़ाई में अरब देशों को जबरदस्त मात देकर अतंरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित की। आज भी इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष जारी है। 

अरब-इजरायल युद्ध जून 1967 को शुरु हुआ। इजरायली विमानों ने सुबह सुबह मिस्र की राजधानी काहिरा के नजदीक स्वेज के रेगिस्तान में सैन्य हवाई अड्डे पर जबरदस्त बमबारी की। कुछ घंटों के अंदर ही मिस्र के करीब सभी विमान मार गिराए गए। मिस्र के वायुक्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित कर पहले ही दिन इजरायल ने एक लड़ाई अपने नाम कर ली। मिस्र के सरकारी रेडियो ने इजरायल द्वारा हमला किए जाने की घोषणा की।  इजरायली विमानों ने काहिरा पर हवाई हमला कर दिया था। काहिरा में कई जगहों पर धमाकों के बीच एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया और आपातकाल की घोषणा की गई। सीरिया रेडियो से ये खबर प्रसारित हुई कि इजरायल ने उनके देश पर हमला कर दिया है। जॉर्डन ने भी मॉर्शल लॉ लगा दिया। इजरायल के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने से पहले सीरिया ने अपनी सेना तो मिस्र के कमांड में देने का फैसला किया। सीरिया के साथ साथ इराककुवैतसूडान अल्जीरियायमन और फिर सऊदी अरब भी मिस्र के समर्थन में कूद पड़े।

अरब देशों के लड़ाई में कूदने के बाद मामला और गहरा गया। इजराएल-जॉर्डन मोर्चे पर जबरदस्त लड़ाई चल रही थी। सीरियाई विमानों ने तटीय शहर हैफा को निशाना बनाया। तो जवाब में इजरायल ने दमिश्क एयरपोर्ट को निशाना बनाया। मिस्र और इजरायल लड़ाई में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे। अरब देशों को यकीन था कि वो इस लड़ाई में इजरायल को जबरदस्त हार देंगे। लेकिन विश्व के नेता परेशान थेपोप पॉल छठे ने कहा कि यरुशलम को मुक्त शहर घोषित कर देना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई गई। अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने सभी पक्षों से लड़ाई रोकने की अपील की। इजरायली सैनिकों ने गाजा के सरहदी शहर खान यूनिस पर हमला कर मिस्र और फिलिस्तीन के सैनिकों पर कब्जा कर लिया। इजरायल ने कहा कि उसने पश्चिमी सरहद को सुरक्षित कर लिया है। और उसकी सेनाएं दक्षिण हिस्से में मिस्र की सेना से मुकाबला कर रही हैं।

इजरायल ने कहा कि उसने मिस्र की वायुसेना को तबाह कर दिया है। लड़ाई के पहले ही दिन 400 लड़ाकू विमान मार गिराए गए जिसमें 300 विमान मिस्र के थे जबकि सीरिया के 50 लड़ाकू विमान शामिल थे। इस तरह लड़ाई के पहले दिन इजरायल ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। इजरायली संसद नेसेट की बैठक में पीएम लेविस एशकोल ने बताया कि सभी लड़ाई मिस्र में और सिनाई प्रायद्वीप में चल रही है। उन्होंने कहा कि मिस्रसीरियाजार्डन और सीरिया की सेनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है।


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जून को युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए और लड़ाई खत्म हो गई। लेकिन इस जीत ने दुनिया को हैरान कर दिया था। इजरायली नागरिकों का मनोबल बढ़ा और अंतरराष्ट्रीय जगत में इजरायल की प्रतिष्ठा में इजाफा हुआ। दिन तक चली लड़ाई में इजरायल के सिर्फ एक हजार सैनिक मारे गए लेकिन अरब देशों को करीब 20 हजार सैनिकों को खोना पड़ा। लड़ाई के दौरान इजरायल ने मिस्र से गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीपजार्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलमसीरिया से गोलन हाइट की पहाड़ियों को छीन लिया। मौजूदा समय में सिनाई प्रायद्वीप मिस्र का हिस्सा हैजबकि वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी फिलिस्तीन के इलाके मे हैं।हाल ही में अमेरिका द्वारा यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दिए जाने पर मध्य पूर्व तनाव के ढेर पर खड़ा है। अमेरिका के इस कदम की दुनिया भर में आलोचना हुई

इन दोनों देशों के बीच जंग की एक प्रमुख वजह यरुशलम भी है। यरुशलम को दोनों देश अपनी राजधानी मानते हैं। पहले यह ईस्ट और वेस्ट यरुशलम के नाम से जाना जाता था लेकिन साल 1967 में इजरायल ने यरुशलम के काफी हिस्से पर कब्जा कर लिया। तब से लेकर आज तक इजरायल ने यरुशलम के लगभग पूरे हिस्से पर कब्जा कर लिया है। यरुशलम की अल अक्सा मस्जिद इस्लाम धर्म के लोगों के लिए तीसरी सबसे पवित्र जगह है। इसके आलावा यरुशलम में मौजूद टेम्पल माउंट को यहूदी और ईसाई दोनों धर्म के लोग अपने लिए एक पवित्र जगह मानते हैं।


अरब देशों की सेना ने अपने संख्या बल पर अतिआत्मविश्वास ले डूबा। जबकि इसके उलट इजरायली सेना कड़े अभ्यास और वास्तविकता में विश्वास करती थी। इजरायल के चीफ ऑफ स्टाफ यित्जाक राबिन को दौरा पड़ा और अरब देशों के नेता भी खुश हो गये। सीरिया के एक जनरल ने तो यहां तक कह दिया कि अधिक से अधिक चार दिनों के अंदर वो इजरायल को परास्त कर देंगे। इसके साथ ही मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नसीर फिक्रमंद नहीं थे। वो ये मानकर चल रहे थे कि इजरायली वायु हमला करने में सक्षम नहीं हैं। मिस्र के कुछ अधिकारी अपनी हार के बारे में कहते थे कि उनके शीर्ष कमांडरों का मानना था कि इजरायल को मटियामेट करना बच्चों के खेल की तरह है। ओरेन का कहना है कि इजरायल से ज्यादा अमेरिकी लड़ाई के परिणाम को लेकर ज्यादा आशान्वित थे। उन्हें लगता था कि अगर इजरायल की तरफ से लड़ाई की पहल हुई तो मुश्किल से उसे अपने शत्रुओं को परास्त करने में सात दिन का समय लगेगा। अगर इजरायल-अरब देशों की लड़ाई को देखें तो महज दिनों में अरब देशों को घुटने टेकने पड़े।

माइकल ओरेन द्वारा लिखी गई किताब Six Days of War: June 1967 and the Making of the Modern Middle East में बताया गया है कि 1967 के युद्ध के पीछे खास वजह क्या थी। इसके अलावा ये बताने की कोशिश की गई कि 1967 की लड़ाई ने वैश्विक राजनीति को किस तरह से प्रभावित की। 


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