बुधवार, 2 जून 2021

जिला खनिज न्यास समिति ( डी एम एफ फंड ) और छत्तीसगढ़ शासन



जिला खनिज न्यास समिति ( डीएमएफ ) पर केंद्र सरकार के फैसले से छत्तीसगढ़ में सियासी उबाल आ गया है। पूर्वत आदेश में कलेक्टर को अध्यक्ष बनाने के आदेश पर मामला गर्म हो गया है। 2018 छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस नेतृत्व की सरकार बनने के बाद 26 फरवरी 2019 को एक अधिसूचना जारी कर जिले के प्रभारी मंत्री को कलेक्टर के स्थान पर न्यास में पदेन अध्यक्ष नियुक्त का आदेश दिया गया था।इसी आधार पर प्रभारी मंत्री को जिला खनिज न्यास समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इसी तरह संबंधित जिले के सभी विधानसभा सदस्यों को पदेन सदस्य नियुक्त किया गया था। रायपुर के लोकसभा सांसद सुनील सोनी ने लोकसभा में यह मामला उठाया था कि छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रभारी मंत्री को अध्यक्ष बनाकर जबकि कलेक्टर को इसका सचिव बनाया था, तथा छत्तीसगढ़ के भाजपा सांसदों को हटा दिया गया है। अब केंद्र ने नया आदेश जारी कर सांसदों को शामिल करने कहा है। केंद्र सरकार के खान मंत्रालय द्वारा 23 अप्रैल 2021 को जारी आदेश के तहत डीएमएफ समिति में कलेक्टर अध्यक्ष होंंगेसांसद सदस्य के रूप में शामिल होंगे। इस आदेश के तहत विधायकों के लिए कोई स्थान नहीं रखा गया है। छत्तीसगढ़ के जो विधायक इन समितियों में शामिल थेअब वे भी समितियों से बाहर होंगे। इस गाइडलाइंन पर छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि केंद्र सरकार के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन उचित नहीं है। छत्तीसगढ़ में प्रभारी मंत्रियों को डीएमएफ समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने कहा कि नई गाइडलाइन का अध्ययन कर कर रहे हैं। किस रूप में यह लागू होगा किस रूप में नहींइसका अध्ययन के बाद फैसला लिया जाएगा। हर काम प्रशासनिक अधिकारियों के मत्थे रखकर करा सकते हैंतो फिर प्रजातंत्र में जनप्रतिनिधियों का क्या काम ?

भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है। भारत की अधिकांश आबादी गावों में निवास करती है।  इन में से कुछ भाग वन क्षेत्र भी है।  इन्ही वन क्षेत्रों में खनिज भी अधिक मात्र में पाया जाता है जैसे की छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश झारखंड उड़ीसा तेंलगाना महाराष्ट्र आदि प्रदेश भी है।  इन क्षत्रों में अधिकतर वनवासी या आदिवासियों का निवास सदियों से है।  पिछले 150 वर्षो में भारत में खनिज पदार्थो का मांग बढ़ गया है अब किसी भी राष्ट्र के विकास में खनिजों पदार्थो का बड़ा ही योगदान है। आज भारत में कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार खनन क्षेत्र में उपलब्ध हैं। भारत के अधिकतर खनिज वन क्षेत्र में स्थित हैं, जहां जनजातीय, पिछड़ी और वंचित आबादी रहती है। यह तर्क दिया जा सकता है कि यदि इस क्षेत्र को महत्व दिया जाय तो बेरोजगारी की समस्या से बड़ी हद तक निपटा जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं होता है वर्षों से खदानों का लाभ खनन कंपनियां, निजी खनिको तथा सरकार को लाभ मिलता रहा है। न कि वहां के रहने वाले समुदाय को, खनन के कारण स्थानीय लोगों को न केवल अपने जमीन से विस्थापित होना पड़ता है। बल्कि समाज का विघटन, पर्यावरण प्रदूषण जैसे नकारात्मक प्रभाव का भी सामना करना पड़ता रहा है। लेकिन इन सबके बदले स्थानीय समुदाय को उचित मुआवजा भी नहीं मिलता है। जिसके चलते खनन प्रभावित जिलों के सामाजिक आर्थिक व पर्यावरण स्थिति दयनीय हो गई है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 लाल किले के प्राचीर से एक नए योजना की घोषणा किये जिसे प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के नाम दिया गया इस योजना की शुरुवात 17 सितम्बर 2015 को केंद्र सरकार ने एमएमडीआर अधिनियम, 1957 की धारा 20-ए के तहत पीएमकेकेकेवाई को लागू करने के लिए दिशा-निर्देशों का उल्लेख करते हुए राज्य सरकारों को निदेश जारी किए केंद्र सरकार ने खनन से सीधे या परोक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन में बदलाव हेतु प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) का 17 सितंबर को 2015 को शुभारंभ किया इस कार्यक्रम से खनन से संबंधित परिचालनों से प्रभावित लोगों तथा क्षेत्रों का कल्याण किया जाएगा इसमें डिस्ट्रिक मिनरल फाउंडेशन (डीएमएफ) द्वारा उपलब्ध कराई गई निधि का उपयोग किया जाएगा डीएमएफ खनन संबंधित कार्यों से प्रभावित देश के सभी जिलों में खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के तहत बनाए गए थे सभी राज्यों को यह निर्देश दिया गया कि डीएमएफ के लिए बनाए गए नियमों में इन्हें शामिल करे

प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत खनन प्रभावित लोगों का जीवन स्तर के बढ़ाने के संबंध में सरकार ने फैसला किया है कि डीएमएफ की निधि को बेहतर तरीके से खर्च किया जाए। योजना का प्रारूप इस तरह तैयार किया गया कि वह स्वयं अपनी समर्थन प्रणाली विकसित करे औऱ केवल सरकार के सहारे न चले इसलिए यह जरूरी है कि इस योजना को लोक लुभावन योजना बनने से रोका जाए। इसलिए इस बात पर भी ध्यान दिया गया है कि महत्वपूर्ण कार्यों को आपात कार्यों के कारण ना रोका जाए। योजना के तहत उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 60 फीसदी और अन्य प्राथमिक क्षेत्रों में 40 फीसदी निधि खर्च की जाएगी।

प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्र : जहां उत्खनन, खनन, विस्फोटन, लाभकारी एवं अपशिष्ट निपटान आदि जैसे प्रत्यक्ष खनन संबंधित संचालन स्थित हैं।  

अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्र :  जहां खनन संबंधित संचालनों के कारण आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरण दुष्परिणामों की वजह से स्थानीय जनसंख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से जल, मृदा एवं वायु गुणवत्ता में ह्रास हो सकता है, झरनों के प्रवाह में कमी आ सकती है और भू-जल कम हो सकता है आदि।

छत्तीसगढ़ में डी एम एफ फण्ड पर कलेक्टरों का पाकेटमनी  हो गया था जिसे कलेक्टर जैसा चाहे वैसा ही खर्च करता था  ऐसा ही समझकर कांग्रेस पार्टी  की सरकार बनी तो उन्होंने अपने लोगों को शामिल करने के लिए नये संसोधन के साथ बदल दिया  प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना वैसे भी भाजपा के समय में इस योजना की समझ कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुँची सत्ता बदल गया 


अमित जोगी ने दावा किया है कि जिला खनिज विकास (DMF) फंड में करोड़ों रुपए की गड़बड़ी की गई है। बच्चों को स्कूल में मिलने वाले भोजन की योजना में भी गड़बड़ी की गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और पीडब्ल्यूडी के तहत बस्तर जिले में कई सड़क-ठेकेदारों को बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए जिला कलेक्टर और उनके परिजनों से निकटता होने की वजह से ठेका दिया गया है। बस्तर के कलेक्टर कई बार साइकिलिंग, पहाड़ चढ़ने और आदिवासियों के बीच रहने की तस्वीरें शेयर करते हैं मगर ये सिर्फ दिखावा है अपने भ्रष्ट आचरण को छुपाने के लिए।

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