मंगलवार, 25 मई 2021

झीरम घाटी, छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व पर नक्सली हमला


भारतीय राजनीति के इतिहास में  नक्सलियों के द्वारा राजनीतिक कांग्रेस पार्टी के नेताओं की नरसंहार झीरम घाटी में किया था। आज से 8 वर्ष पूर्व 25 मई 2013 को ऐम्बुस लगाकर नक्सलियों ने कांग्रेस पार्टी की परिवर्तनरैली पर हमला किया।

छत्तीसगढ़ में 1980 से बस्तर के क्षेत्रों में नक्सली सक्रिय थे। इन नक्सलियों ने धीरे धीरे बस्तर को अपना नया गढ़ बना लिया। छत्तीसगढ़ का एक बड़ा बस्तर संभाग है। कांग्रेस पार्टी ने नक्सलियों पर लगाम लगाने का कभी भी समुचित प्रयास नहीं किया। सन 2000 में मध्यप्रदेश से अलग नया छत्तीसगढ़ राज्य बना। अजित जोगी सरकार के समय नक्सलियों का राज्य फलाफुला। 2003 में विधानसभा चुनाव में ड्रॉ रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। नई रमन सिंह सरकार ने बस्तर की जनता के साथ मिलकर सलवा जुडूम का अभियान शुरू हुआ। इसका नेतृत्व बस्तर के टाईगर महेंद्र कर्मा किया था। इसलिए नक्सलियों के टारगेट में महेंद्र कर्मा थे। बस्तर में सलवा जुडूम अभियान से नक्सलियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। इसलिए नक्सलियों ताक पर बैठे थे कि मौका मिले। 


10 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस पार्टी 2013 के विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही थी। इसलिए कांग्रेस ने नंद कुमार पटेल के नेतृत्व में पूरे छत्तीसगढ़ में परिवर्तन यात्रा निकाली थी। इसी क्रम में 25 मई के दिन कांग्रेस पार्टी ने सुकमा में परिवर्तन रैली आयोजित किया था।


रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर जा रहा था। काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं जिनमें 200 नेता सवार थे। सबसे आगे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल और कवासी लखमा अपने-अपने सुरक्षा गार्ड्स के साथ थे। इनके पीछे महेन्द्र कर्मा और मलकीत सिंह गैदू की गाड़ी थी। इस गाड़ी के पीछे बस्तर के तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी उदय मुदलियार कुछ अन्य नेताओं के साथ चल रहे थे। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सभी टॉप नेता इस काफिले में शामिल थे।


शाम करीब 4 बजे काफिला झीरम घाटी से गुजर रहा था। यहीं पर नक्सलियों ने पेड़ों को गिराकर रास्ता बंद कर दिया। गाड़ियां रुकीं और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, पेड़ों के पीछे छिपे 200 से ज्यादा नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। नक्सलियों ने सभी गाड़ियों को निशाना बनाया। नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश की मौके पर ही मौत हो गई। करीब डेढ़ घंटे तक फायरिंग होती रही।


शाम के करीब साढ़े 5 बजे नक्सली पहाड़ों से उतर आए और एक-एक गाड़ी चेक करने लगे। जो लोग गोलीबारी में मारे जा चुके थे, उन्हें फिर से गोली और चाकू मारे गए, कोई भी जिंदा न बचे। जो लोग जिंदा थे, उन्हें बंधक बनाया जा रहा था। इसी बीच एक गाड़ी से महेन्द्र कर्मा नीचे उतरे और कहा कि ‘मुझे बंधक बना लो, बाकियों को छोड़ दो’। नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा की थोड़ी दूर ले जाकर बेरहमी से हत्या कर दी। हमले में 30 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई। इसमें अजीत जोगी को छोड़कर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के उस वक्त के अधिकांश बड़े नेता और सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए।


इस हमले का मुख्य टारगेट बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा थे। ‘सलवा जुडूम’ का नेतृत्व करने की वजह से नक्सली उन्हें अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे। नक्सलियों ने उनके शरीर पर करीब 100 गोलियां दागीं और चाकू से 50 से ज्यादा वार किए। हत्या के बाद नक्सलियों ने उनके शव पर चढ़कर डांस भी किया था।

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