बंगाल में विधानसभा चुनाव 2021 में ममता बनर्जी जीत कर भी हार गई और भाजपा हार कर भी नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी जीत गया है। भारतीय जनता पार्टी का अति आत्मविश्वास, सही रणनीति से ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव जीती - प्रत्येक चुनाव किसी भी पार्टी के लिए नया सीख देता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल से भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा में 18 सीटो में जीत मिली थी। इस पर भाजपा ने मोदी लहर कहा था, मोदी के कार्यों से बंगाल की जनता ने उन्हें पसंद किया था। उसी उत्साह के कारण भाजपा ने 2021 का बंगाल विधानसभा चुनाव को चुनाव लड़ा। यही भाजपा की सबसे बही भूल थी लोकसभा के चुनाव 20 महीनों के बाद व्यक्ति और नारा भी बदल गया था। लेकिन ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर जैसे प्रोफेशनल व्यक्ति से चुनावी प्रबंधन सलाह लेकर और लोकसभा 2019 के कमियों को दूर कर चुनाव लड़ीं और बंगाल विधानसभा चुनाव में बड़ी ऐतिहासिक जीत दर्ज कराई है।
एक साधारण सफ़ेद सूती साडी एवं सूती झोला लेकर दिल्ली से बंगाल तक दहाडती बंगाल की
शेरनी ममता दीदी का नाम से पूरा देश जानता है। 20 वर्षों से केवल एक उदेश्य
वामपंथियों कि सत्ता को उखाडकर फेकना यही ममता के जीवन यही एक उद्देश्य था। वामपंथियों ने ममता पर कितने
बार हमला किया लेकिन वह रुकी नहीं थकीं नहीं केवल वामपंथियों के अत्याचार से लड़ती
रही। वह जानती थी वामपंथी अपनी सत्ता की चाभी आम जनता के हाथ में इतनी आसानी से देने वाले नहीं थी। लेकिन 2011
वामपथियों से सत्ता को लड़कर ले लिया। आप सोचे की जिसने
वामपथियों से सत्ता छीना हो वह भाजपा की इतना सरलता से सत्ता की चाभी नहीं देने
वाली है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 भाजपा ने जीत ली हो। तो ममता बनर्जी ने प्रशांत
किशोर जैसे प्रोफेशनल व्यक्ति से चुनावी प्रबंधन सलाह का कार्य दिया। प्रशांत
भाजपा के साथ काम कर चुके है इसलिए भाजपा में क्या कमी है उसे पता था। ममता बनर्जी
ने धीरे धीरे अपने पार्टी के कमजोरियों को ठीक करना शुरू किया।
चुनाव आते ही टीएमसी में भगदड़ मचा उनके लोग भाजपा में जाने लगे ममता चाहती थी की कुछ लोगों को पार्टी से निकलना वैसे लोग खुद ही चले गए। उनके स्थान पर नए चेहरों को टिकट दिया। वे नये चेहरें जीते, जो भाजपा में आते भाजपा ने उन्हें टिकट दिया अधिकांश हार गए। इससे भाजपा के पुराने लोग नाराज हो गए की वर्षो से काम कर रहे थे। लेकिन चुनाव के समय पार्टी ने उन्हें किनार कर दिया। ममता ने बांग्ला भाषा पर फोकस किया और भाजपा ने सोनार बंगला कहा। आपको को यद् होगा बांग्लादेश बांग्ला भाषा के नाम पर बना है। यहाँ पर ग्रामीण क्षेत्रों में बांग्ला भाषा ने काम किया। उनको लगा की भाजपा वाले बांग्ला जानते नहीं वे कैसे हमको समझेगे। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी काम टीएमसी ने ठीक से किया। आप देखे तो नगरी क्षत्रों में भाजपा ने अच्छे मत मिले है, ग्रामीण में नहीं मिला है। भाजपा को लगा की मुस्लिम वोट कांग्रेस में बंटेगा लेकिन मुसलमानों ने ममता बनर्जी को एक तरफ़ा वोट किया है।
भाजपा ने केवल हवा बनाया इसका उन्ही को नुकसान हुआ है। ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी की जमीनी पकड़ को फिर से मजबूत करने की पूरा प्रयास किया। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह ने कहना शुरू किया कि अब भाजपा मैदान में आ गई है, हमे अब बंगाल में 200 सीट मिलेगी ही। लेकिन यहाँ पर लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने अपना वोटबैंक बचा लिया था। इस विधानसभा चुनाव में ममता ने अपना वोटबैंक को बढ़ाने पर ध्यान दिया। 10 वर्षो में लोक हितों के कार्य किये होगे इसका भी प्रभाव पडा है। बंगाल का एक परम्परा रहा है कि कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शकर रे थे। उनके बाद कोई भी राष्ट्रीय पार्टी चुनाव नहीं जीती है। केंद्र में कांग्रेस पार्टी थी तो बंगाल में वामपथियों की सरकार 34 वर्ष तक बनती रही है। वैसे ही जब ममता बनर्जी की पार्टी क्षेत्रीय पार्टी के तहत वामपंथियों लड़कर सरकार बनाई थी। अब तक बंगाल में राष्ट्रीय पार्टी की सरकार नहीं बनी है।
अमित शाह जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, नरेन्द्र मोदी और अमित शाह जानते थे की लोकसभा २०१४ के बाद जिस राज्यों से भाजपा को अधिक सीत मिले है। आगामी लोकसभा में कम हो सकती है। इसलिए मोदी अमित शाह की जोड़ी ने कई राज्यों की ओर भाजपा का कदम बढ़ाना शुरू किया। जिसमे पूर्वोत्तर भारत बंगाल उड़ीसा आंध्रप्रदेस तमिलनाडु केरल जैसे राज्य जहा भाजपा की केवल उपस्थिति था। अमित शाह ने पार्टी के अध्यक्ष होते हुए बंगाल के बूथों पर फोकस कर प्रवास करने लगे। पुरे 5 वर्षो में कई दिनों तक बंगाल में रहे उन्होंने ने मध्यप्रदेश के भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय को पुरे समय बंगाल का प्रभारी बनाया। एक ही काम भाजपा का विस्तार और बूथ मैनेमेंट का काम खड़ा किया जाये और भाजपा इसमें सफल हो गई। उसका परिणाम २०१९ के लोकसभा चुनाव में बंगाल से भारतीय जनता पार्टी को 18 सीटों पर चुनाव जीतने में सफल हो गई। इसी बूथ मैनेमेंट के आधार पर अमित शाह बार बार दावा किया करते थे कि अबकी बार भाजपा 200 के पार ...... लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अगर आप हर बार जीतेगे, ऐसा कभी कभी नहीं होता है। यदि ऐसा होता तो आज भी कांग्रेस की सरकार होती, आज भाजपा भी नहीं होती समय है। भाजपा की अपनी कमी को दूर करने की समय है। अब विपक्षी पार्टी हो गई है। कांग्रेस और वामपंथियों का सूपड़ा साफ हो
गया है। अब बंगाल में दो पार्टियों के
बीच ही मुकाबला हों होने वाला है। भाजपा तीन सीटों से 77 पर पहुच गई है। अब भाजपा को जनहित के मुद्दे
को उठाकर आम बांग्ला भाषी लोगों तक पहुचंने की जरुरत है।
लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है.....
अब परीक्षा ममता बनर्जी को होनी है। वह प्रदेश को जीत जरुर गई, लेकिन अपना विधान सभी सीट हार गई है। अब मुख्यमंत्री कौन बनेगा ....
बंगाल आज कंगाल है वहा उघोग धंधे कम है, लोगों की जरूरते ज्यादा है...
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