छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री द्वारा अतिउत्साह में लिया गया निर्णय पहली मई से सभी 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के लोगो को मुफ्त में कोरोना टीकाकरण किया जायेगा। लेकिन एक मई से यह अभियान शुरू होने से पूर्व शर्त यह जोड़ा गया की अन्त्योदय कार्ड धारकों को प्राथमिकता दिया जायेगा। इस पर कई लोगों ने सोशल मीडिया के द्वारा विरोध किया जाने लगा। इस विरोध पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान याचिका लिया और फटकार लगाकर पूछा की समाज में वर्गीकरण कोविद टीकाकरण में उचित है क्या ? उच्च न्यायालय ने टीकाकरण को लेकर राज्य शासन को आगामी शुक्रवार तक अंत्योदय कार्डधारकों के लिए टीकाकरण करने वाले आदेश को संशोधित कर स्पष्ट नीति बनाने का निर्देश दिया है, जिससे सभी वर्गों के लोगों को इसका लाभ मिल सके। बिना विचारे लिया गया निर्णय।
प्रधानमंत्री मोदी जी देश में
कोविद महामारी से बचने के लिए पुरे भारत में मुफ्त में टीकाकरण अभियान चला रहे है।
यह अभियान अभी 45 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए चल रहा था। अतिउत्साह में छत्तीसगढ़
के नेता चुनावों में घोषणा किया की छत्तीसगढ़ में 18 से ऊपर के लोगों राज्य शासन
मुफ्त में टीकाकरण करेगा। केंद्र सरकार के पास निश्चित मात्रा में वैक्सीन का
निर्माण हो रहा है। मोदी ने टीकाकरण अभियान में यह देखा की पहले लहर में अधिक आयु तथा
गंभीर बीमारी के लोग प्रभावित हो रहे थे। इसलिए उन्होंने ने टीकाकरण में इन्ही आयु
के लोगों को प्राथमिकता में रखकर टीकाकरण शुरू किया टीकाकरण के बाद आ रहे। रिसर्च (अनुभव) के आधार पर निर्णय लेना था। कई देशों
में जल्दीबाजी में खून में थक्का ज़माने लगा जिसके बाद निर्णय लिय गया की 28 दिनों
के अंतर को 42 दिन कर दिया गया है। इसी बीच केंद्र सरकार ने 18 वर्ष के ऊपर के लोगों
को भी टीकाकरण की अनुमति दे दिया। छत्तीसगढ़ में एक मई से हुए 18 से
45 वर्ष
आयु वर्ग के लोगो के टीकाकरण अभियान विस्तृत कार्ययोजना के बिना शुरू किया।
जब
केंद्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद राज्य सरकार ने वैक्सीन उत्पादकों से संपर्क वैक्सीन की 75 लाख खुराक मांगी थी। लेकिन 30 अप्रैल तक सरकार को वैक्सीन नहीं मिली थी। उस दिन देर शाम राज्य
सरकार को बताया गया कि एक मई को वैक्सीन की 1.5 लाख डोज पहुंचेगी। वैक्सीन
लगवाने वालों की अनुमानित संख्या 1.35 करोड़ थी। ऐसे में कानून
व्यवस्था और भीड़ इकट्ठा होने से बचाने के लिए एक समूह विशेष को प्राथमिकता देना
आवश्यक हो गया था। इसलिए मजबूरी में अति गरीब लोगों के प्रति सुरक्षात्मक नीति
अपनानी पड़ी है।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता तिवारी ने बताया कि राज्य शासन के इस फैसले के खिलाफ पांच याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति दर्ज करते उच्च न्यायालय से इस मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया था। याचिकाओं में कहा गया कि टीकाकरण में वर्गीकरण का यह निर्णय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के विपरीत है। सभी याचिकाओं में आदेश को तत्काल निरस्त करने और नई नीति बनाने की मांग की गई, जिससे बिना किसी भेदभाव के सभी वर्ग के लोगों को टीकाकरण का लाभ मिल सके। उच्च न्यायालय में मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश पी आर रामचन्द्र मेनन और जस्टिस पी पी साहू की युगल पीठ के समक्ष मामले की आनलाइन सुनवाई हुई। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने इस मामले में शासन का पक्ष रखा। याचिककर्ताओं की तरफ से अधिवक्तागण किशोर भादुड़ी, पलाश तिवारी, अनुमेह श्रीवास्तव, सुमित सिंह, हिमांशु चौबे तथा अन्य ने अपना-अपना पक्ष रखा।
उच्च
न्यायालय का आदेश मिलने के बाद राज्य सरकार ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन की अध्यक्षता
में सचिवों की एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है। यह समिति टीकाकरण में अन्त्योदय, BPL और
APL वर्गों
में प्राथमिकता का अनुपात तय करेगी। इसकी सिफारिशों के आधार पर सरकार अपना जवाब
उच्च न्यायालय में पेश करेगी।
आधार-http://www.navabharat.news/chhattisgarh-news/antyodaya-card-holders-first-vaccinated-high-court-said-state-government-should-make-clear-policy/
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