शुक्रवार, 7 मई 2021

क्या बंगाल में अनुच्छेद 356 लागू कर राष्ट्रपति शासन लग सकता है ?




पश्चिम बंगाल में वैसे तो हिंसा का दौर जब से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में आई है, तब से अपने विरोधियों पर हमला कर हत्या कर दिया जाता रहा है। उसी तरह से अपने विरोधियों पर ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लोग भी वैसे ही हमला कर रहे हैं। बंगाल चुनाव परिणाम के बाद हो रही हिंसा अभी तक थमने का नाम नहीं ले रही है। अभी तक 24 लोगों की हत्या हो चुका, महिलाओं साथ बलात्कार, घरों में तोड़फोड़, लूटपाट हो रहा है। एक लाख से अधिक लोग अपनी जान बचने के लिए अन्य राज्यों में शरण ले रहे है। इसी बात को लेकर कोलकात्ता हाईकोर्ट में याचिका लगाया गया है। बंगाल के राजपाल को हिंसा की जानकारी नहीं दी जाए, इसके लिए मुख्य सचिव, डीजीपी पुलिस तथा कोलकाता के कमिश्नर को ममता बनर्जी ने निर्देश दिए हैं।

वही कोलकात्ता हाईकोर्ट के 5 जजों की खंडपीठ ने सुनवाई की जा रही है, कि पश्चिम बंगाल सरकार को दो दिनों में कोलकात्ता हाईकोर्ट को बंगाल हिंसा के बारे सरकार को रिपोर्ट देने को कहा है। पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हो रही हिंसा को लेकर कोलकात्ता हाईकोर्ट के वकील अनिल दास ने याचिका दाखिल किया है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य में चुनाव के बाद हो रही हिंसा तथा कोविड-19 से राज्य में भय का माहौल बन गया है। बंगाल हिंसा पर राजनीति के दबाव में पुलिस भी उचित कार्यवाही नहीं कर रही है। जिसके कारण आजादी के बाद पश्चिम बंगाल से, यहाँ के निवासी अन्य राज्यों में पलायन कर रहे है, ऐसी भी आ रही है। इस पर कोलकात्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा पर 10 मई तक रिपोर्ट दे। पहले डिवीजन बेंच के पास यह मामला आया था लेकिन गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने बड़ी बेंच का गठन किया है। ऐसा लगता है की कोलकात्ता हाईकोर्ट चुनाव के बाद हो रही हिंसा में जांच के लिए एसआईटी भी गठित किया जा सकता है। पश्चिम बंगाल के कम्युनिस्ट पार्टी ने भी अपने कार्यकर्त्ताओं की हत्या का आरोप टीएमसी पर लगाया है। पश्चिम बंगाल भाजपा प्रदेश ने बलराम मांझी तथा किशोर मंडी की हत्या का आरोप लगाते हुए, कहा कि हत्या अभी तक जारी है। यहां तक कि उनके मुस्लिम भाजपा के उपाध्यक्ष शेर मोहम्मद खान के परिवार सहित मारपीट की गई, उनके घरों में तोड़फोड़ किया है। 

3 मई को केंद्रीय सचिव अजय भल्ला ने बंगाल सरकार को पत्र लिखकर हो रहे हिंसा पर जबाव माँगा था, जो नहीं मिला है। 3 मई तक पश्चिम बंगाल में आदर्श चुनाव आचार संहिता लगा हुआ था और नाम मात्र की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी थी। ममता बनर्जी सरकार ने इस पर अभी तक जवाब नहीं दिया। पुन हिंसा होते देख केंद्र के केंद्रीय सचिव अजय भल्ला ने 4 सदस्य लोगों का जांच समिति बनाकर जांच के लिए पश्चिम बंगाल भेजा। अजय भल्ला ने कानून व्यवस्था बनाए जाए, राज्य अपनी कानून व्यवस्था ठीक से पालन नहीं करती है, तो राजपाल के द्वारा 356 लगाया जा सकता है। लेकिन अभी नई सरकार बनी है, उसे काम करने का और स्थिति को समझकर कानून व्यवस्था लागू करने के लिए समय मिलना चाहिए। इसलिए धारा 365 अभी नहीं लग सकता लेकिन केंद्र सरकार अनुच्छेद 356 लगाने से पूर्व उसकी भूमिका भी बना रही है। अनुच्छेद 256-257 के तहत प्रशासनिक अधिकार पर इस धारा का प्रयोग किया जाता है। जिसमें मुख्य सचिव और डीजीपी को आदेश दिया जाता है, कि सरकार वहां की सरकार कुछ भी करें लेकिन कानून व्यवस्था बनाने के लिए आप केंद्र के गृह मंत्रालय के आदेशानुसार काम करेंगे। इसके तहत गृह मंत्रालय ने 4 सदस्यों की टीम बनाकर पश्चिम बंगाल में जांच करने के लिए भेज दिया गया है। 

आप सभी जान रहे हैं कि ममता बनर्जी अभी नवनिर्वाचित सरकार है इसे काम करने का मौका मिलना चाहिए। लेकिन जिस तरह से ममता बनर्जी काम कर रही है उससे ऐसा लगता नहीं है कि वह कानून व्यवस्था को उचित ढंग से लागू कर रही है। कुछ दिन पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री बी मुरलीधरण बंगाल में हिंसा क्षेत्रों में अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलने जा रहे थे। तो मिदनापुर में एक गांव में उन्हें रोककर उनकी गाड़ियों पर हमला किया गया। शायद वहां रुकते तो उनकी हत्या भी कर दी जाती। वहां पुलिस भी मूकदर्शक बनी खड़ी है। कहीं ना कहीं इस हिंसा में वहां की पुलिस भी संदेह के दायरे में आती है। अभी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी अपने कार्यकर्त्ताओं की हत्या का आरोप टीएमसी पर लगाया है। 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बंगाल जाने पर एक बात उन्होंने स्पष्ट कर दी है कि बंगाल में जो भी हो रहा हिंसा के खिलाफ हम लोग लोकतांत्रिक तरीके से इसका हल निकालेंगे यह बहुत बड़ी बात है कि सरकार मोदी सरकार तत्काल में अनुच्छेद 356 के तहत पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन नहीं लगा रही है। लेकिन इसी अनुच्छेद के तहत एक प्रकार पश्चिम बंगाल में भूमिका भी बनाया जा रहा है। यदि सरकार बिना सोचे पश्चिम बंगाल में अनुच्छेद 356 लगाई जाती है। तो उसे कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है। कोर्ट तत्काल लेने अनुच्छेद 356 को रद्द कर देगी क्योंकि हम देख रहे हैं कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार को कोविड-19 से लड़ने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक से ना पालन करने पर ध्यान नहीं देकर, केंद्र सरकार को दोषी ठहराने का कोशिश किया है इन सारे बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र की सरकार ने बंगाल में अनुच्छेद 356  तत्काल में नहीं लगाने का जो निर्णय कर रखा है। वह वास्तव में सही है, दूसरी बात अनुच्छेद 356  लगते ही मोदी सरकार को बदनाम करने की पूरी दुनिया में कोशिश होगी ऐसे बहुत सारे सिविल सोसाइटी (टूलकिट ग्रुप) संस्थान हैं। जो टूलकिट ग्रुप वामपंथी द्वारा मोदी को हटाने के लिए बहुत कोशिश कर रहे हैं। इसमें मोदी को बदनाम किया जाए तथा देश में एक नई आने वाले लोकसभा में नई सरकार बनाने की भूमिका तय की जाए। जिसमें यह कहा जाए कि मोदी से देश नहीं चल रहा है। मोदी सरकार को बिल्कुल कोरोना काल में अपने इंतजामों के कारण फेल हो चुकी है। हजारों लोग मर रहे हैं, लाखों लोग हॉस्पिटल में है, ऑक्सीजन की कमी है, सरकार लोगों स्वास्थ्य पर लोगों को बचाने पर ध्यान नहीं देकर, पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर, लोकतंत्र व्यवस्था को भारत में लागू ना कर, मोदी तानाशाही व्यवस्था को लागू कर रहा है। इस तरह से हिन्दुओं के खिलाफ मौहाल बनाना और मोदी सरकार अब देश नहीं सभाल पा रहे .......

दूर तक सोचों -----

ऐसा प्रचारित करेंगे पहली बात सोशल मीडिया के द्वारा पाकिस्तान और चीन तथा टूलकिट ग्रुप, सिविल  सोसाइटी के लोग मोदी सरकार के खिलाफ योजना बनाकर पहले से बैठे हैं। दूसरी बात सबसे महत्वपूर्ण है की वीगर मुसलमानों पर हो रहे चीन में अत्याचार के कारण पूरी दुनिया में चीन की बदनामी हो चूका है अभी चीन और यूरोपीय यूनियन के साथ व्यापार को लेकर एक समझौता होने वाला था लेकिन यूरोपीय यूनियन ने कोविड-19 ने तथा वीगर मुसलमानों पर चीन द्वारा अत्याचार किए जा रहे हैं के कारण चीन के अत्याचारों के कारण यह समझौता रद्द कर दिया, नहीं हो पा रही है यूरोपियन यूनियन का भारत के तरफ रुख हो गया है, वह चाह रहा है कि भारत से यह समझौता हो जाए इस समय कोविद 19 के कारण देश में अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। जिससे हमारी अर्थव्यवस्था पटरी से उतर सकती हैं। लेकिन मोदी जी नहीं चाहते कि वह दुनिया में बदनाम हो और यह समझौता हो जाता है। उससे भारत को बहुत आर्थिक लाभ होने वाला है। जिसमें भारत में नए रोजगार के रास्ते खुलेंगे, नई कंपनी आएगी और भारत में जो प्रोडक्ट बन रहे, नए नए स्टार्टअप हो रहे हैं, उनके लिए एक बड़ा मार्केट मिल रहा है। उसको एक दुनिया में आगे बढ़ने में एक मौका मिलेगा। इन सारे बातों को ध्यान में रखते हुए मोदी जी अभी धारा 356  नहीं लगाएंगे और हम सभी पर मोदी जी को विश्वास रखना है, कि उचित समय पर बंगाल में मोदी जी ध्यान देंगे और एक खास बात मैं आपको बताना चाहता हूं, की भारतीय जनसंघ बाद भारतीय जनता पार्टी बनी उसके बाद अगर 35 वर्षों के बाद भारत में पूर्ण बहुमत का सत्ता मिला है। आप सोच सकते हो कि भारत की जनता भाजपा को इतने सालों तक परखा उसके बाद, आज मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता दिए। ऐसे ही बंगाल भी इन 5 सालों में भारतीय जनता पार्टी को वहां देखेगी पहचाने कि और हो सकता है कि अगले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ पश्चिम बंगाल सत्ता में आ जाये आज बंगाल के चुनाव के परिणामों की समीक्षा करते जरुरत हैं। जो पार्टी सरकार बना चुकी है, वे कांग्रेस और लेफ्ट 65 वर्षों तक बंगाल में राज किये है, किन्तु आज पश्चिम बंगाल में उन्हें एक भी सीट नहीं मिली। 



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