शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

क्या नेता और शासक इजरायल से प्रेरणा लेंगे ?


      भारत के जम्मू और कश्मीर के पुंछ सेक्टर में  पाकिस्तान के कमांडो ने भारतीय चौकी पर हमला किया | इस हमले में पाँच भारतीय सैनिकों की हत्या की गई है| भारत सरकार द्वारा जैसा प्रतिक्रिया होना चाहिए न कर , संसद में गृहमंत्री एंटनी ने कहा था कि पांच भारतीय सैनिकों की हत्या आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहने लोगों ने की है | पुरे देश में सोशल मिडिया द्वारा प्रतिक्रिया ने विपक्ष को हमला करने को मजबूर किया | सरकार चेती दुसरे दिन एटनी ने बयान बदला लेकिन रक्षामंत्री ने बिना सोचे कैसा कहा ...एक जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा इतनी बड़ी गलती से देश को कितना हानि हो सकती है | लेकिन क्या भारत के नेता और शासक इजरायल से प्रेरणा लेंगे  
       जब फिलिस्तीनी आतंकवादियो ने 1972 के म्यूनिख ओलंपिक गेम्स विलेज में घुसकर 11 इस्राइली खिलाडियों की हत्या कर दिया था । तब तत्कालीन इस्राइली प्रधानमंत्री श्रीमती गोल्डा मायर ने कोई भी बयान नहीं दिया | उन्होंने सारे मृत खिलाडियो के घरवालो को खुद फोन करके कहा की हम बदला लेकर रहेंगे | उन्होंने अपनी गुप्तचर एजेंसी मोसाद को पूरी छुट दे दी, मोसाद का एकमात्र मिशन था कि दुनिया के किसी भी कोने से इन आतंकियों को तलाश करो, उसको ख़त्म करो |  एक बार मिशन म्यूनिख के आतंकियों के  ख़ात्मे का ज़िम्मा सौंपे जाने के  बाद मोसाद ने अपने मिशन का आग़ाज़ किया | तारीख़ थी 9 अप्रैल 1973 और मिशन का नाम था रॉथ ऑफ गॉड | इसके लिए मोसाद का सबसे पहला काम था | दुनिया के  किसी भी कोने में छिपे आतंकियों को खोज निकालना | यह ज़िम्मा मोसाद के यूरोपियन एजेंट्स को सौंपा गया था |
      1972 के म्यूनिख ओलंपिक घटना में जितने लोग भी शामिल थे, वो चाहे दुनिया के किसी भी देश में हो उनको जिन्दा नहीं रहने देना है| मोसाद ने पता लगा लिया की इस हत्याकांड में 14 आतंकवादी शामिल थे| इन आंतकवाद को खोज कर मरना शुरू किया |

१ - एक आतंकवादी सलाह खलिफ जेदाह में अपने परिवार के साथ रहता था । मोसाद ने उसके घर में रखे टेबल जिस पर फ़ोन रखा था, ठीक वैसा ही टेबल रख दिया और टेबल के अन्दर बम फिट करके उसका कनेक्शन फोन से जोड़ दिया, फिर उसके फोन की घंटी बजी उसने जैसे ही फोन उठाया उसके चीथड़े उड़ गए |
2 -
एक आतंकवादी अबू दयुद बेरुत में छुपा था मोसाद ने उसकी पूरी दिनचर्या पर नज़र रखी । वो एक क्लब में रोज जाता था । इजराइल ने अपने खतरनाक कमांडो को बेरुत भेजा, जिसमे सिर्फ 3 लोग थे, एक कमांडो बेंजामिन नेतान्याहू जो बाद में इसराइल के राष्ट्रपति बने | एक ख़ूबसूरत लड़की का भेष रखकर उस क्लब में नाच रहे थे, जैसे ही वो आतंकवादी उनके करीब नाचने के लिए आया, बेंजामिन ने अपनी फुल्ली औटोमटिक गन से गोलियों की बौछार कर दी 15 लोग मरे गए, और बेंजामिन और उनका साथी जो उनको कवर कर रहा था | लेबनानी पुलिस के नकली गाड़ी में फरार हो गए।
3 -
एक आतंकवादी अमिन अल हिंदी को मोसाद ने अम्मान में उसके बिल्डिंग के नीचे गोलियों से भुन दिया |
4 -
अब बाक़ी बचे आतंकवादियो ने डरकर आत्मसमर्पण करने का प्रस्ताव भेजा। लेकिन गोल्डा मायर ने कुछ नहीं बोला चौथे आतंकवादी अबू फयाज, जो छुप कर हेलसिंकी में रहता था, उसे कार से कुचल कर मार दिया गया ।
5 -
पाचवे आतंकवादी अली हसन सलामेह जो पेरिस में छुपा था, वही उसको साइनाइड जहर देकर मार दिया गया
6 -
महमूद हम्शारी को दमिस्क में गोली मारी गयी ।
      इस तरह मासोद ने एक एक को चुन चुन कर पूरी दुनिया में मारा । इज़रायल का यह मिशन 20 से भी अधिक वर्षों तक चला |  मोसाद का यह मिशन कितना ख़ौफ़नाक था,  इसकी सबसे बड़ी दास्तां यह है कि जिस किसी पर भी मोसाद को शक़ हुआ | वह इसकी नज़रों से बच नहीं पाया | 15 मई, 1948 को ब्रिटिश हुकूमत से मिली आज़ादी के बाद इज़रायल पर अरबों का हमला जारी रहा | इस तरह अरबों से सुरक्षा और इज़रायल की संप्रभुता को बरक़रार रखना एक चुनौती कम नहीं था | इजराइल को अपने विरोधियों से निपटने के लिए ख़ु़फिया सूचनाओं की ज़रूरत होती थी | इनका मक़सद था यहूदियों को अरबों के आतंक से बचाना | इजराइल को ज़रूरत नए ख़ु़फिया तंत्र को विकसित करने की, ताकि इसकी संप्रभुता को क़ायम रखा जा सके | इन्हीं सारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए जुलाई 1949 में इज़रायली ख़ु़फिया एजेंसी मोसाद ने इस दुनिया में पहली बार क़दम रखा | इज़रायल की यह ख़तरनाक ख़ु़फिया एजेंसी मोसाद, अपने सभी मिशन को अंजाम तेल अवीव स्थित मुख्यालय से देता है| जिसके लगभग 1500 एजेंट दुनिया के हर देश में मौजूद हैं | अपने ख़ु़फिया कारनामों की वजह से यह दुनिया की सबसे बेहतरीन और दुश्मन के लिए खतरनाक ख़ु़फिया एजेंसियों है मासोद |
       मोसाद ने धीरे-धीरे हर मुल्क़ में अपने पांव पसारने शुरू कर दिए| ऐसा कोई देश नहीं, जहां मोसाद के एजेंट मौजूद न हों | इज़रायल की ख़ु़फिया एजेंसी मोसाद के बारे में इतना कहना ही काफी होगा कि स़िर्फ भगवान ही सब कुछ जानता है और वह मोसाद के लिए काम करता है |  इजराइल के जज्बे को सरकार और जनता मिल कर करती है | इजराइल  के नागरिक हमेशा अपना सर उठा कर दुनिया के किसी भी कोने में चलते है | अमेरिका में ११ सितम्बर कि घटना में एक भी इजराइल के नागरिक नहीं मारा गया |
        इनसे हम कोई सबक नही सीखेगे क्या ?

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