शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

राजीव गाँधी और राहुल गाँधी


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राजीव गांधी के जन्म के अवसर पर अचानक कांग्रेसियों द्वारा मनाया गया। मुझे ध्यान आया कि देश में कांग्रेसियों ने राहुल सोनिया के आगे राजीव गांधी को भूल गये, अचानक याद केैसे किया जा रहा है। चैनलों पर राजीव गांधी के विज्ञापन दिखाया जा रहा है। दो बातों ध्यान में आता है कि वर्तमान काग्रेस में वह ताकत नही है, दूसरा बात कि जो राहुल नाम का हवा खडा किया गया अब फुरूरूरूरू हो गया।

1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या हो गई। इस प्रतिक्रिया में देश भर में भीषण दंगा हुआ । इस दंगे में खास तौर से दिल्ली में अधिक जनहानि हुआ था। प्रधानमंत्री का पद खाली नही रखा जा सकता इसलिए लाशों के राजनीति करने वालों ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री की माला पहना दिया गया। राजीव गांधी से छोटे भाई संजय गांधी की पलेन दुर्घटना में निधन हो चुका। संजय के मरने के बाद पत्नी मेनका गांधी घर छोड चुकी थी।

राजीव गाँधी वैसे सरल, मन केे युवा नेता थे। अब तक के सभी प्रधानमंत्री में राजीव गांधी सबसे से युवा प्रधानमंत्री थे। अपने माता श्रीमती इंन्दिरा गाँधी की दुःख हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने। इंदिरा गांधी के हत्या के बाद कांग्रेसियों ने सहानभुति में और अतीय उत्साह में राजीव गाधी को देष का प्रधानमंत्री बना दिया। राजीव गांधी राजनीति अनुभव और कम उम्र होने के कारण प्रधानमंत्री रहते अनुभवहीनता के कारण कुछ गलती हुआ। उनके प्रधानमंत्री काल में कई प्रमुख घटना हुई ,जिसमे देश में पंचायती राज का देन तथा कम्पूटरयुग की शुरुवात करने वाले थे।

राजीव गाँधी देश का दौरा बहुत किया है, गाँव गाँव घुमे भी थे। गाँव की समस्या क्या होती है यह जानने का कोशिश किये है। उसका एक उदाहरण है कि एक बार उनसे मिलने वाले कुछ गाँव के लोग आये तथा नाली एवं सडक बनना की बात कही , राजीव के मन में आया की क्यों न प्रत्येक गाँव में ऐसी व्यवस्था की जाये की गाँव के लोगों के पास गाँव का विकास करने का राह बन जाये फिर  पंचायत राज का काम शुरू किया जाये। लेकिन इस पंचायतीराज से गाँव का विकास तो हुआ पर भष्टाचार गाँव गाँव पहुच गया। राजीव गांधी जी कहते थे कि मैं जो एक रूपये भेजता हूँ तो ८५ पैसे लोग खा जाते और १५ पैसा ही पहुचता है। लेकिन ८५ पैसे कांग्रेसियों के स्विस बैंक के खाते  में जमा होते रहे है। यह बात कांगेसीयों नहीं मानेगें , मानते तो अब तक स्विसबैंक में जमा पैसा भारत आ जाता।

नियति को कुछ ओैर मंजुर था श्री राजीव जी का बम विस्फोट में निर्मम हत्या हो गया। सरकार और कांग्रेस की बागडोर गांधी परिवार के हाथ से निकल गया। लेकिन 5 वर्प में तत्कालिन कांग्रेस अल्पमत में आ गयी। 2003 कांग्रेस की बागडोर सोनिया के हाथ में आ जाने से सत्ता में कांग्रस लौट आई। 7 साल केे बाद सत्ता में लौटने पर राहुल के कांग्रेस का कमान अपने हाथ में रखा। नई उर्जा के साथ 2008 में फिर से सत्ता में अब तक बने है। लेकिन 2008 की सत्ता पर भ्रप्टाचार इतने आरोप लगा जितने आजादी के बाद से भ्रप्टाचार के आरोप नही लगे होगे । इसी बीच अनना हजारे का आंदोलन चला लेकिन काग्रेस युवराज नही दिखे । युवा पीढी राहुल को ढूढती रही लेकिन राहुल नही नजर आये । इसी बीच मोदी जी ने गुजरात का माॅडल के साथ युवाओं के बीच जा कर जो भी संदेष दिया । युवा पीढी को नरेन्द्र मोदी में अपना भविप्य दिखाई दे रहा है । देष में  अटल जी के बाद नरेन्द्र मोदी को सुना जा रहा है।देष विदेष की मीडिया नरेन्द्र मोदी में भारत की नेतृत्व देख रहा है।

इस समय देष आर्थिक संकट से गुजर रहा है। रूपये डालर के मुकाबले कम हो रहा है इसके कारण मंहगाई रोज बढती जा रही है। भप्टाचार के रोज नये मामले निकल के आ रहे है। सरकार से लोगों भरोसा कम होता जा रहा। इस विकट परिस्थिति में देष की जनता धैर्य के साथ मेहनत करते हुए, निकलने की कोषिष कर रही है। कांग्रेस जनता की मुड को भाॅप चुके है, इसलिए अचानक राजीव गांधी याद आ गये। राजीव गांधी कम्पयुटर युग लाने वाले आधुनिक भारत के निर्माता आदि कसीदे कहे जाने लगे। वास्तव में राजीव गांधी प्रधानमंत्री के रूप में  ईमानदारी के साथ देष चलाया थे। उन्होने लोगों कि मर्यादा का ध्यान रखा। 1989 की चुनाव में पराजय को स्वीकारते हुए विपक्ष में बैठ। राजीव गांधी में धीरे धीरे परिपक्य हो गये। समय को और कुछ मंजुर था। लेकिन अब कांग्रेसियों की सत्ता भूख इतनी बढ गई है कि सत्ता में ऐनकेन प्रकरण से सत्ता में बने रहना चाहती है। राजीव गांधी के तरह विपक्ष में बैठने की मानसिकता कांग्रेसियों में है क्या ?

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