स्वतंत्र भारत के
इतिहास का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा रहा - गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स,
यानी जीएसटी - शनिवार, 1 जुलाई, 2017 से लागू हो गया। शुक्रवार मध्यरात्रि को संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित
एक विशेष समारोह में राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
घंटा बजाकर इसे लॉन्च किया। देश और राज्यों में फिलहाल लागू लगभग दर्जनभर अलग-अलग
अप्रत्यक्ष करों का स्थान खत्म जीएसटी लागू हो गया। सरकार का कहना है कि इससे 'एक देश, एक बाज़ार, एक कर'
व्यवस्था को लागू हो गया असली तो इसे अमली जामा पहनना है ।
वैसे भी मैं कोई
अर्थशास्त्री तो नही हुँ। लेकिन अर्थव्यवस्था के बारे में थोडा बहुत समझता हूं। समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो बेईमानी से पैसा ( धन
) कमाता है। उस कमाई पर टैक्स नहीं देता है और अधिकारी कर्मचारियों और समाज को भी
बेईमान बनता है। कहा जाये कि काला धन पैदा करने वाला होता है। जब भी हम बाजार से सामान
खरीदते हैं वे हम सभी से वैट भी वसूल लेता है। जब सरकार को टैक्स देनी होती है तो
वह अपनी कमाई कम बताकर काले धन को छुपाने के लिए अन्य लोगों धन देकर चोरी करने के
लिए प्रेरित करता है। देश में बेईमानों की संख्या बढ़ाने वाले लोग भी यही टैक्स चोर
है। आप किसी भी शहर में देखे मकान, गाड़ी,
मॉल, होटल, विदेश यात्रा
और लग्जरियस संपत्ति बहुत दिखाई देती है लेकिन अपनी कमाई से देश चलाने के लिए
टैक्स देने वाले की संख्या काफी कम है। जब भी जीएसटी का विरोध करता हुआ दिखे तो
समझ लेना चाहिए कि मोदी सरकार ने नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू कर काली कमाई पर बड़ा
प्रहार किया है। यही सभी लोग विरोध कर रहे है कहना यही है कि आम लोगों पर बोझ डाला
जा रहा है।लेकिन आम व्यक्ति जो भी सामान खरीदता है तो टैक्स भी देता है वैट भी
देता है। सामान्य व्यक्ति मूर्ख नही है इसलिए जीएसटी का विरोध नही कर रहा वह समझ
रहा कि आने वाले समय के लिए फायदा होगा।
पूर्व प्रधानमंत्री
श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जीएसटी की ओर कदम उठाया था। लगभग 14
वर्षो के अथक परिश्रम के बाद इसे लागू किया गया। प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने कहा कि सभी के प्रयास परिश्रम से लागू किया गया है।