गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

क्या इस बार भी ओबामा को भारतीयों लोगों का प्यार मिलेगा ?





        आज बी बी सी ने सुबह-सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के तहत दोनों उम्मीदवार के बीच के बहस को सीधा प्रसारण दिखा रहे थे | एक तरफ बराक ओबामा तथा दूसरी तरफ मिट रोमनी थे | इस बहस के बाद बराक ओबामा की थोड़ी सी बढ़त हो गयी है | यह बहस आखरी बहस थी |1960 से अमेरिका के चुनाव में उम्मीदवार सावर्जनिक डिबेट्स होते है दोनों उम्मीदवार अपना पक्ष एक स्थान पर रखते है | इस डिबेट्स का टीवी पर लाइव प्रसारित किया जाता है | एक दूसरे के सवालों का जबाब एवं आरोप पत्यारोप भी लगते है | जनता इनके द्वारा किया सवाल एवं जबाब के बाद ही तय करती है किसे अमेरिका का राष्ट्रपति बनाना है | ऐसा चुनाव प्रचार अभी भारत में नहीं शुरू हुआ है | वैसे तो अमेरिका में केवल दो पार्टी डेमोक्रेटिक एवं रिपब्लिकन ही चुनाव लड़ती है | भारत में हर एक विचारधारा की पार्टी है तथा जो नेता अपनी ताकत रखता है वह भी एक पार्टी बना लेता है अपने देश में सैकडों पार्टी है |  

       अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा राष्ट्रपति के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा कर रहे हैं | 2008 में  चुनाव जीतकर अमरीका के 44वें राष्ट्रपति तथा दूसरी बार डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार के रुप में राष्ट्रपति बनने के लिए चुनावी मैदान में हैं | यह चुनाव और भी रोचक होगा है पहली बार बराक ओबामा अपना कार्यकाल पूरा कर रहे तो उनका मुक़ाबला रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी से है | मैंने मिट रोमनी को बी बी सी  के डिबेट्स देखा था | जिस तरह से वे अपनी बात लोगों के सामने रखते और बराक ओबामा की शासन की आलोचना करते दिखे तो जनता में उनका पक्ष मजबूत दिखा था |

        6 नवम्बर होने चुनाव में भारत के अमेरिकी अप्रवासी निवासीयों इस चुनाव से बहुत उम्मीद है | इस अमेरिकी चुनाव में भारतवासी के लिए एक नई उम्मीद यह है कि – आने वाले समय में भारत के प्रति उदारवादी एवं भारत के प्रति आर्थिक, सामरिक और कूटनीतिक मामलों से जुड़े मुद्दों पर अमेरिका कि नीति स्पष्ट हो कि -भारत के प्रति क्या रूख है, और कैसी नीति अपनाएंगे | भारत और अमरीका के बीच संबंध,अनेक मुददे जिनमें आर्थिक, सामरिक और अन्य मामलों में दोनों देशों के बीच सहयोग | इसके अलावा परमाणु संधि, आउटसोर्सिंग, एचवन बी वीज़ा, भारत में आर्थिक सुधार जैसे कई अहम मुद्दे भी हैं|  2005 में दोनों देशों के बीच हुई परमाणु संधि को पूरी तरह लागू अभी नहीं किया जा सका  हैं |
        
        राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ही सबसे पहले सरकारी दौरे की दावत दी और खुद ओबामा ने भी भारत का दौरा किया | राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत और अमरीका के बीच सामरिक वार्ता की शुरूआत की और वह दोनों देशों के बीच दीर्घकालीन सामरिक साझेदारी को जारी रखना चाहते हैं | लेकिन भारत का महत्वपूर्ण स्थान रिपब्लिकन पार्टी के जार्ज डब्ल्यू बुश के समय था वह महत्व भारत को नहीं मिला | भारत और अमरीका के बीच सामरिक वार्ता के तहत आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई, परमाणु अप्रसार, साइबर सुरक्षा और पर्यावरण जैसे अहम मुद्दों पर सहयोग जारी रखने की उम्मीद है | अमेरिका  यह जनता है कि अब भारत के महत्व को कम नहीं आका जाना चाहिए | दुनिया के सभी देश एशिया महाद्वीप में भारत कि आर्थिक महाशक्ति के रूप में देख रहा है | अमेरिका चीन से अपने को ज्यादा खतरा महशुस कर रहा है | दूसरी तरफ पाकिस्तान में कट्टरपंथी और आई एस आई वहाँ कि सरकार के नियंत्रण में नहीं है | अभी तक अफगानिस्तान में शांति स्थापना का कार्य पूरा नहीं हुआ है | इन सब मुद्दों को ध्यान रखे तो भारत से ठीक प्रकार सबंध होना चाहिए | इस कारण  दोनों देशों के बीच आर्थिक, सैन्य और विज्ञान के क्षेत्रों में भी सहयोग तेज़ी से बढ़ता  रहे है | यह कोशिश अमेरिकी सरकार को करनी है |

       अमरीका में आर्थिक मंदी और बेरोज़गारी बढ़ने के बाद बराक ओबामा आउटसोर्सिंग ( अमरीका से बहुत सी नौकरियाँ भारत भी भेजी जाती हैं ) या नौकरियों को विदेश भेजने की प्रक्रिया का कड़ा विरोध करते हैं | वो कहते हैं कि अमरीकी कंपनियाँ नौकरियों को भारत जैसे देशों में न भेजें | ओबामा उन कंपनियों को टैक्स में छूट खत्म करने की बात करते हैं, जो नौकरियां अमरीका से बाहर भेजती हैं | अमरीका में काम करने के लिए एच1बी वीज़ा हासिल करने के मुद्दे पर भी ओबामा के दौर में आईटी और अन्य क्षेत्रों में भारतीय पेशेवरों को मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं | ओबामा प्रशासन द्वारा एच1बी और एल1 वीज़ा की फ़ीस काफ़ी बढ़ा दी गई है | भारतीय छात्र जो उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका कि अमरीकी यूनिवर्सिटी से विज्ञान, गणित, और इंजीनियरिंग की उच्च डिग्री हासिल करना चाहते है ,ऐसे  छात्रों को अमरीकी ग्रीन कार्ड या स्थायी तौर पर अमरीका में रहने शोध काम करने की इजाज़त दी जानी चाहिए |
        
         बी बी सी के सीमा सिरोही के अनुसार आज भारतीय-अमरीकी मूल के 70 फीसदी लोगों के पास कॉलेज डिग्री है और दो तिहाई के पास मैनेजमैंट नौकरियाँ हैं   इनकी मीडियम आमदनी 88 हजार डॉलर है जो अमरीका में सबसे ज्यादा है | अमरीका में रहने वाले जो भारतीय भारत में पले बढ़े हैं, वो चाहते हैं कि अमरीका सरकार अच्छा काम करे | ज्यादातर भारतीय-अमरीकी लोग मध्यम वर्ग से हैं और उन्हें लगता है कि ओबामा उन मुद्दों को सुलझाएँगे जो उनके दिल के करीब हैं- जैसे कॉलेज शिक्षा की बढ़ती कीमत, नया स्वास्थ्य सेवा ऐक्ट पारित करना ताकि स्वास्थ्य सेवा मिलना सबका हक बन जाए और सोशल सेक्यूरिटी को बचाए रखना | भारतीय-अमरीकी लोगों को सोशल सेक्यूरिटी का प्रावधान पसंद है क्योंकि कई लोगों के बूढ़े माता-पिता रिटायरमेंट के बाद उनके पास अमरीका आ जाते हैं |
  
        भारतीय-अमरीकी लोगों की संख्या 28.5 लाख है | 2008 के चुनाव में इनमें से 84 फीसदी ने ओबामा के लिए वोट दिया था | जून में हुए प्यू रिसर्च सेंटर सर्वे के मुताबिक भारतीय मूल के अमरीकी लोगों में से 65 फीसदी को ओबामा का काम पसंद है | एशियाई मूल के जिन अमरीकी लोगों से बात की गई, उनमें से भारतीय मूल के लोगों ने डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रति सबसे ज्यादा झुकाव दिखाया | केवल 18 फीसदी ने रिपब्लिकन का पक्ष लिया | दिलचस्प बात ये है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए युवा पीढ़ी में ज़्यादा समर्थन है जबकि पहली नज़र में शायद ये लगे कि सफलता को लेकर रिपब्लिकन पार्टी की बातें युवाओं को ज़्यादा पसंद आएँगीं | अमरीका भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा है | रोज़गार के अवसर बहुत कम हैं और बेरोज़गारी आठ प्रतिशत पर बनी हुई है

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