माननीय बाला
साहेब ठाकरे के अंतिम यात्रा
में 30 लाख से अधिक लोग पहुचें थे | इस अंतिम यात्रा में किसी भी प्रकार की गडबडी नहीं हुई
| लोगो ने चुपचाप
से अनेक कष्ट सहकर भी मुंबई शांति
पूर्वक इस अंतिम दर्शन हेतु यात्रा में शामिल हुए थे, पूरा मुंबई थम सा गया था | पुलिस ने अनेक बार चेतावनी जारी किया की जिन्हें इस यात्रा में शामिल नहीं होना वे कृपया अपने घर पर
ही रहे क्योकि पुलिस को लगता था की कोई भी अनहोनी हो
सकता है | पिछले महीने में
नमाज पडऩे के नाम पर मुंबई
में किस प्रकार की हिंसा किया गया था | इस हिंसा में
पुलिस हाथ पर हाथ धर का बैठी थी | इस हिंसा ने देश के अनेक भागों में हिंसक रूप ले लिया था |
पूरी दुनिया की मिडिया का ध्यान इस अंतिम
यात्रा पर था | देश और विदेशी मिडिया अपने चैनल पर सजीव चित्रण कर रहे थे | उन्हें भी लगता
था की कुछ भी घटना हो सकता है | पिछले महीने
हिंसा घटना का दोहराया जा सकता ऐसी आशंका मीडिया भी लगा
रही थी | मीडिया ने यह
अंतिम यात्रा एकदम से संजीव कर दिया | ऐसे करोडों लोगों ने अपने घर से यह अदभुत यात्रा का दर्शन किया जो अब सदियों
में भी नहीं हो सकता है | जिस अनुशासन की हम कल्पना भी नहीं कर सकता है वह भावना उस दिन
प्रत्येक भारतीय के मन में थी जो राष्ट्रीय भावना एवम अपने देश की माटी से जुडा
हुआ है | यह जन सैलाब
उमड़ा था जो किसी भी पशिचम देश और अपने देश के किसी नेता या नायक निधन पर भी नहीं हुआ | मुझे याद तत्कालीन
प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिराजी के हत्याकांड के बाद भी इतनी
भीड़ नहीं थी एवं उनके पुत्र श्री राजीव गाँधी जी हत्या के बाद भी इतनी भीड़ नहीं
थी | इन दोनों को मृत्यु नैसगिक नही थी | इंदिरा जी के हत्याकांड के बाद कांग्रेसयो ने सिखों का
नरसंहार हुआ वह भी एक इतिहास है | इस हत्याकांड के बाद स्व राजीव
गाँधी ने कहा था कि - जब बड़ा पेड़
गिरता है तो अनेक जीव जंतु मरे जाते है | आप समझ सकीते है कि कांग्रेसयो ने
शासनकाल में की प्रकार की अत्याचारों किये है |
मीडिया ने इस अंतिम यात्रा पर अपनी सकारात्मक भूमिका निभाया | किसी ने बाला साहेब ठा·रे की आलोचना करते हुआ उनकी बिशेषता की बातों ही बताया
| देश और दुनिया की आम जनता भी इस
अंतिम यात्रा को अपने आँखों से देश चाहती थी | तो कौनसा चैनल होगा
जो जनता का विरुद्ध दूसरा
खबर दिखा सकता है | 30 लाख लोग ने जिस
व्यक्तिव के दर्शन करना चाहती थी किस मीडिया की हिम्मत है की उसको न दिखाये या
अनदेखी करे | मीडिया अपने
बारे में यही ·हती है कि - वही दिखाती
है जो जनता देखना चाहती है |
अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले लोग
महाराष्ट्र तथा देश के कोनों से आये थे | ये लोग किसी प्रकार से बाबा साहेब
से जुड़े हुए थे | किसी समय मुंबई में कारोबार से मराठी मानुष बाहर हो गया | मुंबई में
गुजराती,मारवाड़ी तथा अन्य लोगो के हाथ में कारोबार था | उस समय वहां के लोगो के लिए जो काम शिवसेना की रूप में हुआ
उसे उससे जुड़ा हुआ मराठी मानुष कैसे भूल सकता है | राम मंदिर के आन्दोलन में शिवसेना ने देश में हिन्दू राष्ट्र की दबी भावना को फिर से जगा
दिया | विवादित
ढाचा गिरने के बाद बाला साहेब ने कहा कि - विवादित ढाचा
को शिवसैनिको ने गिराया है
तथा ये हिन्दू के लिए गौरवों की बात है उन्होंने कहा की- गर्व से कहो हम हिन्दू है | यह देश हिंदूओ का है तथा हम सब
हिन्दू है यदि गैर हिंदूओ को यहाँ के लोगों के जन भावना को समझना चाहिए यदि जो नहीं समझते है वे पाकिस्तान जाने के लिए स्वतंत्र
है , यह बात स्पष्ट रूप से
बाला साहेब ने कही |
क्रिकेट को माध्यम बना कर भारत व पाकिस्तान की मैत्री कराने की कोशिश करने वाले के मुह पर तमाचा
मारा | शिवसैनिको ने पूरा
स्टेडियम को खोद दिया और यह
मैच स्थगित हो गया | जो लोग क्रिकेट के द्वारा अपनी धंधा चमकने की कोशिश कर रहे थे,
उनका धंधा बंद सा हो गया | हम जानते है पाकिस्तान का जन्म इस देश के बंटवारे से हुआ
है | जिसकी नीयत ठीक नहीं है तो उससे कैसे दोस्ती होगा यदि क्रिकेट से दोस्ती होता तो कितने सारे मैच हो
चुके है दोस्तों अब
तक पक्की क्यों नहीं हुआ ? बाला साहेब ठाकरे के जबाब का कोई तोड़ कोई नहीं दे पाया |
बाला साहेब ठाकरे को जो सम्मान आम लोगो से
मिला जो आज के दशक में संभव नहीं है | 30 लाख जनता जिसके लिए रोड़ पर थी,
ऐसे में अनेक े दिमाग खराब
होगा है | उसने से एक पगली लड़की ने अपनी दिमाग लगाई | देश के आवारा पागल कुत्ते को मौका का मिल गया | शिवसेना और उनके समर्थक पर मीडिया टूट पड़े | अब आप को पिछले दिनों में चितम्बरम पर अपने ब्लाग पर
अपने विचार पाडिचेरी के एक युवक ने कि पुलिस ने 2 बजे गिरफ्तार किया तथा कोर्ट ने पुलिस को फटकार था लेकिन एक भी मीडिया नहीं पहुचे | यही मीडिया चुप थी भोंकना जानती नहीं तो
आज कैसे भोंक रही है |
कुछ लोग को भूकने की आदत है मै बी
बी सी हिंदी में लेख पढ़ा जिसमे - बाल ठाकरे कवरेज : इतना भी
निरमा ना लगाओ अविनाश दत्त दिल्ली के संवाददाता ने
अनेक लोगो की बाते लिखा है | जिसमे इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में काम करने वाली शैलजा
सवाल उठाती हैं कि जिस तरह सीएनएन आईबीएन के राजदीप सरदेसाई और
टाइम्स नाउ के संपादक अर्णब गोस्वामी सहित हिन्दी चैनलों के संपादक ठाकरे की अंतिम यात्रा के कवरेज पर पूरा दिन टीवी पर खुद बिताते हैं,
वह कितना जायज़ है | दुसरे तरफ हिंदी समाचार
चैनल आईबीएन-7 के प्रबंध संपादक आशुतोष आलोचकों और समीक्षकों की टिप्पणियों को सिरे से नकार देते कहना है,
"टीवी चैनलों को गाली देने वाले
सोचें कि क्या हमने इससे
पहले कभी बाल ठाकरे के इस पक्ष पर
चर्चा नहीं की कि तमाम विवादों के बावजूद यह कौन नकार देगा कि ठाकरे एक चर्चित नेता थे | जो लोग टीवी चैनलों की निंदा कर रहे हैं वो
टीवी के चरित्र को नहीं समझते और
शायद समझना भी नहीं चाहते | यह बात एक टी वी चैनल ने स्पष्ट कर दिया वह क्यों दिखा
अंतिम यात्रा |
बाला साहेब ठाकरे ने अपने विचारों को कार्टून के माध्यम से एक राजनैतिक संगठन खड़ा कर दिया | यह राजनीतिक दल एक दिन में नहीं तथा हजारों लोगो की कठोर तपस्या के कारण खड़ा हुआ है | 1995 में शिवसेना और भाजपा की सरकार बनी तो
उन्होंने अपने को सत्ता से दूर रखकर मनोहर राव को मुख्यमंत्री बनाया था | सत्ता त्याग उन्होंने कभी ठिठोर नहीं पिटा जैसे
श्रीमती सोनिया गाँधी के लिए कांग्रेस करती है 7 आज जो लोग प्रश्न
खड़ा कर रहे है | 15 वर्ष पूर्व ये लोग क्या थे, और 15 बाद इनकी हालत क्या होगा
| लेकिन बाला साहेब ठाकरे का सम्मान लोग करते रहेगे | मराठी मानुष को लगता है कि उनकी बात करने वाला व्यकित नहीं है इसी प्रकार हिंदुत्व और राष्ट्रीयता की बात करने वाला तथा
अपनी स्पष्ट सोच रखने वाला व्यक्ति अब नहीं है | ऐसा व्यक्ति सैकडों वर्षो बाद ही
इस धरती पर अवतरित होते है |