गुरुवार, 22 नवंबर 2012

बाला साहेब ठाकरे की अंतिम महायात्रा


    
  
            माननीय बाला साहेब ठारे े अंतिम यात्रा में 30 लाख से अधि लोग पहुचें थे | इस अंतिम यात्रा में िसी भी प्रार ी गडबडी नहीं हुई | लोगो ने चुपचाप से अने ष्ट सहर भी मुंबई शांति पूर्व इस अंतिम दर्शन हेतु यात्रा में शामिल हुए थे, पूरा मुंबई थम सा गया था | पुलिस ने अने बार चेतावनी जारी िया ी जिन्हें इस यात्रा में शामिल नहीं होना वे ृपया अपने घर पर ही रहे क्योि पुलिस ो लगता था ोई भी अनहोनी हो सता है | पिछले महीने में नमाज पडऩे े नाम पर मुंबई में िस प्रार ी हिंसा िया गया था | इस हिंसा में पुलिस हाथ पर हाथ धर ा बैठी थी | इस हिंसा ने देश े अने भागों में हिंस रूप ले लिया था |

          पूरी दुनिया ी मिडिया ा ध्यान इस अंतिम यात्रा पर था | देश और विदेशी मिडिया अपने चैनल पर सजीव चित्रण र रहे थे | उन्हें भी लगता था ुछ भी घटना हो सता है | पिछले महीने हिंसा घटना ा दोहराया जा सता ऐसी आशंा मीडिया भी लगा रही थी | मीडिया ने यह अंतिम यात्रा एदम से संजीव र दिया | ऐसे रोडों लोगों ने अपने घर से यह अदभुत यात्रा ा दर्शन िया जो अब सदियों में भी नहीं हो सता है | जिस अनुशासन ी हम ल्पना भी नहीं र सता है वह भावना उस दिन प्रत्ये भारतीय े मन में थी जो राष्ट्रीय भावना एवम अपने देश ी माटी से जुडा हुआ है | यह जन सैलाब उमड़ा था जो िसी भी पशिचम देश और अपने देश िसी नेता या नाय निधन पर भी नहीं हुआ | मुझे याद तत्ालीन प्रधानमंत्री  श्रीमती इंदिराजी े हत्याांड े बाद भी इतनी भीड़ नहीं थी एवं उने पुत्र श्री राजीव गाँधी जी हत्या े बाद भी इतनी भीड़ नहीं थी | इन दोनों ो मृत्यु नैसगि नही थी | इंदिरा जी े हत्याांड े बाद ांग्रेसयो ने सिखों   नरसंहार हुआ वह भी ए इतिहास है | इस हत्याांड े बाद स्व राजीव गाँधी ने हा था ि - जब बड़ा पेड़ गिरता है तो अने जीव जंतु मरे जाते है | आप समझ सकीते है ि ांग्रेसयो ने शासनाल में ी प्रार ी अत्याचारों िये है |

          मीडिया ने इस अंतिम यात्रा पर अपनी सारात्मभूमिा निभाया | िसी ने बाला साहेब ठा·रे ी आलोचना रते हुआ उनी बिशेषता ी बातों ही बताया | देश और दुनिया ी आम जनता भी इस अंतिम यात्रा ो अपने आँखों से देश चाहती थी | तो ौनसा चैनल होगा जो जनता ा विरुद्ध दूसरा खबर दिखा सता है | 30 लाख लोग ने जिस व्यक्तिव े दर्शन रना चाहती थी िस मीडिया ी हिम्मत है ी उसो न दिखाये या अनदेखी करे | मीडिया अपने बारे में यही ·हती है ि - वही दिखाती है जो जनता देखना चाहती है |

         अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले लोग महाराष्ट्र तथा देश ोनों से आये थे | ये लोग िसी प्रार से बाबा साहेब से जुड़े हुए थे |  िसी समय मुंबई में ारोबार से मराठी मानुष बाहर हो गया | मुंबई में गुजराती,मारवाड़ी तथा अन्य लोगो े हाथ में ारोबार था | उस समय वहां े लोगो े लिए जो ाम शिवसेना ी रूप में हुआ उसे उससे जुड़ा हुआ मराठी मानुष ैसे भूल सता है | राम मंदिर े आन्दोलन में शिवसेना ने देश में हिन्दू राष्ट्र ी दबी भावना ो फिर से जगा दिया | विवादित ढाचा  गिरने े बाद बाला साहेब ने हा ि - विवादित ढाचा ो शिवसैनिो ने गिराया है तथा ये हिन्दू े लिए गौरवों ी बात है उन्होंने हा ी- गर्व से हो हम हिन्दू है | यह देश हिंदूओ ा है तथा हम सब हिन्दू है यदि गैर हिंदूओ ो यहाँ े लोगों े जन भावना ो समझना चाहिए यदि जो नहीं समझते है वे पािस्तान जाने े लिए स्वतंत्र है , यह बात स्पष्ट रूप से बाला साहेब ने ही |
 
          क्रिेट ो माध्यम बना र भारत व पािस्तान ी मैत्री राने ोशिश रने वाले े मुह पर तमाचा मारा | शिवसैनिो ने पूरा स्टेडियम ो खोद दिया और यह मैच स्थगित हो गया | जो लोग क्रिेट े द्वारा अपनी धंधा चमने ोशिश र रहे थे, उना धंधा बंद सा हो गया | हम जानते है पािस्तान ा जन्म इस देश े बंटवारे से हुआ है | जिसी नीयत ठी नहीं है तो उससे ैसे दोस्ती होगा यदि क्रिेट से दोस्ती होता तो ितने सारे मैच हो चुे है दोस्तों अब त पक्की क्यों नहीं हुआ ? बाला साहेब ठारे े जबाब ोई तोड़ ोई नहीं दे पाया |  

        बाला साहेब ठारे ो जो सम्मान आम लोगो से मिला जो आज े दश में संभव नहीं है | 30 लाख जनता जिसे लिए रोड़ पर थी, ऐसे में अने े दिमाग खराब होगा है | उसने से ए पगली लड़ी ने अपनी दिमाग लगाई | देश े आवारा पागल ुत्ते ो मौा मिल गया | शिवसेना और उने समर्थ पर मीडिया टूट पड़े | अब आप ो पिछले दिनों में चितम्बरम पर अपने ब्लाग पर अपने विचार पाडिचेरी े ए युव ने ि  पुलिस ने 2 बजे गिरफ्तार िया तथा ोर्ट ने पुलिस ो फटार था लेिन ए भी मीडिया नहीं पहुचे | यही मीडिया चुप थी भोंना जानती नहीं तो आज ैसे भोंरही है |

               ुछ लोग ो भूने ी आदत है मै बी बी सी हिंदी में लेख पढ़ा  जिसमे - बाल ठारे वरेज : इतना भी निरमा ना लगाओ  अविनाश दत्त दिल्ली े संवाददाता ने अने लोगो ी बाते लिखा है | जिसमे इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में ाम रने वाली शैलजा सवाल उठाती हैं ि जिस तरह सीएनएन आईबीएन े राजदीप सरदेसाई और टाइम्स नाउ े संपाद अर्णब गोस्वामी सहित हिन्दी चैनलों े संपाद ठारे ी अंतिम यात्रा वरेज पर पूरा दिन टीवी पर खुद बिताते हैं, वह ितना जायज़ है | दुसरे तरफ हिंदी समाचार चैनल आईबीएन-7 े प्रबंध संपाद आशुतोष  आलोचों और समीक्षों ी टिप्पणियों ो सिरे से नार देते हना है, "टीवी चैनलों ो गाली देने वाले सोचें ि क्या हमने इससे पहले भी बाल ठारे े इस पक्ष पर चर्चा नहीं ि तमाम विवादों े बावजूद यह ौन नार देगा ि ठारे ए चर्चित नेता थे | जो लोग टीवी चैनलों ी निंदा र रहे हैं वो टीवी े चरित्र ो नहीं समझते और शायद समझना भी नहीं चाहते | यह बात ए टी वी चैनल ने स्पष्ट र दिया वह क्यों दिखा अंतिम यात्रा |

       बाला साहेब ठारे ने अपने विचारों ार्टून े माध्यम से ए राजनैति संगठन खड़ा र दिया |  यह राजनीति दल ए दिन में नहीं तथा हजारों लोगो ठोर तपस्या ारण खड़ा हुआ है |   1995 में शिवसेना और भाजपा ी सरार बनी तो उन्होंने अपने ो सत्ता से दूर रखर मनोहर राव ो मुख्यमंत्री बनाया था | सत्ता  त्याग  उन्होंने भी ठिठोर नहीं पिटा जैसे श्रीमती सोनिया गाँधी े लिए ांग्रेस रती है 7 आज जो लोग प्रश्न खड़ा र रहे है |  15 वर्ष पूर्व ये लोग क्या थे, और 15 बाद इनी हालत क्या होगा | लेिन बाला साहेब ठारे ा सम्मान लोग रते रहेगे | मराठी मानुष ो लगता है ि उनी बात रने वाला व्यित नहीं है इसी प्रार हिंदुत्व और राष्ट्रीयता ी बात रने वाला तथा अपनी स्पष्ट सोच रखने वाला व्यक्ति अब नहीं है | ऐसा व्यक्ति सैडों वर्षो बाद ही इस धरती पर अवतरित होते है |
 




  

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