सोमवार, 29 अगस्त 2016

पीओके से आए शरणार्थियों के लिए 2,000 करोड़ रुपये के पैकेज - मोदी सरकार का अभिनदंन


पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पीओके ( पाकअधिकृत कश्मीर ) तथा गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों से संबंध जोड़ने और बढ़ाने की पहल के बीच केंद्र सरकार देश में रह रहे पीओके के विस्थापित लोगों के लिए 2,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा करने वाली है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने पैकेज वितरण के लिए 36,348 परिवारों की पहले ही पहचान कर ली है, जिसके तहत प्रत्येक परिवार को लगभग साढ़े पांच लाख रुपये मिलेंगे। लेकिन समस्या भारत सरकार द्वारा इनको वर्षो से विस्थापितों को नागरिकता देना भी होना चाहिए जो धारा 370 के कारण अभी तो संभव नहीं। फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा यह पहल मील का पत्थर साबित होगा।
1947 में भारत के बंटवारे के बाद आये सभी नागरिकों का भारत में पुनर्वास किया गया था । लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान, ज्यादातर पीओके से आए शरणार्थी जिसमे हिन्दू थे । वे लोग जम्मू, कठुआ और राजौरी जिलों के विभिन्न हिस्सों में बस गए हैं। इनका आज भी पुनर्वास नहीं हो पाया। इसके लिए शेख अब्दुल्ला तथा पंडित नेहरू जिम्मेदार है इन्होंने पुनर्वास न कर आज भी दर दर ठोकर खा रहे है। इन्हें आज तक उनको जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुसार राज्य के स्थाई निवासियों की श्रेणी में नहीं आते यानी कि आज भी वे भारत के नागरिक नहीं है। इसमें से कुछ परिवार 1947 में भारत के बंटवारे के समय विस्थापित हो गए थे और अन्य परिवार 1965 तथा 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्धों के दौरान विस्थापित हुए थे। विस्थापित लोग लोकसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव में वे वोट नहीं डाल सकते।
जम्मू-कश्मीर में बसे पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों की समस्याओं पर विचार करने के बाद मोदी सरकार ने जनवरी 2015 में शरणार्थियों के लिए कुछ रियायतें मंजूर की थीं। रियायतों में इन लोगों को अर्धसैनिक बलों में भर्ती करने के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाने, राज्य में समान रोजगार अवसर उपलब्ध कराने, शरणार्थियों के बच्चों को केंद्रीय विद्यालयों में दाखिला देने जैसे कई कदम शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर चर्चा के लिए 12 अगस्त को आयोजित सर्वदलीय बैठक में पहली बार पीओके, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान के लोगों की दशा के बारे में बात की थी ।मोदी ने इसके तीन दिन बाद स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में एक बार फिर पाकिस्तान के कब्जे वाले इन तीनों क्षेत्रों का जिक्र किया था। भारत सरकार बेंगलुरु में आयोजित होने वाले अगले प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर पीओके, गिलगित-बाल्टिस्तान से संबध रखने वाले समुदायों को आमंत्रित करने की योजना बना रही है। एक तरह से अखण्डभारत की ओर एक ही कदम ही सही होगा।

इस कार्य के लिए मोदी सरकार का अभिनदंन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें