मंगलवार, 30 जुलाई 2019

भारत में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी



भारत की संसद ने मुस्लिम महिलाओं की मांग पर तीन तलाक को अपराध का प्रस्ताव पास कर दिया है कुछ दिनों बाद यह कानून बन जायेगा मोदी सरकार ने तीन तलाक को कानून बनाने के लिए अपने घोषणापत्र में कहा था आज उनकी सरकार ने तीन तलाक को अपराध घोषित संसद राज्यसभा से प्रस्ताव पास कराकर किया मुझे याद आ रहा है - मोहम्मद अहमद खान व शाहबानो बेगम केस

कुछ दसक वर्ष पूर्व देश की सर्वोच्च अदालत ने भी मुस्लिम समाज से जुड़े तीन तलाक को अवैध करार दिया और केंद्र सरकार को आदेश दिया है, कि वजह जल्द ही इस मुद्दे पर कानून बनाए इसी के साथ इस केस को लड़ने वाली तमाम महिलाओं को चेहरे पर मुस्कान है ये सभी महिलाओं जीत गईं, लेकिन आज शाहबानो बेगम को याद किया जाना बहुत जरुरी हैशाहबानो बेगम ने भी गजब का मनोबल और साहस दिखाया था, वह कोर्ट में मोहम्मद अहमद खान व शाहबानो बेगम केस तो जीत गई थी, लेकिन हकीकत में उसे राजनीति ने हरा दिया था..... 
यह पूरा मामला 6 नवम्बर 1978 का था कि इंदौर निवासी शाहबानो को उसके पति मोहम्मद खान ( बड़े वकील थे ) ने दूसरी शादी करने के बाद तलाक दे दिया था पांच बच्चों की मां 62 वर्षीय शाहबानो ने गुजारा भत्ता पाने मुल्ला और मौलवियों के पास गई लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की आखिर में कोर्ट में जाकर कानून की शरण ली मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और हुई सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचते मामले को सात साल बीत चुके थे 23 अप्रैल 1985 उस पर 5 जजों की खंडपीठ ने फैसला सुनवाई चीफ जस्टिस वाई वी चन्द्रचुड  खंडपीठ ने (CRPC) अपराध दंड संहिता की धारा 125 के अंतर्गत निर्णय दिया जो हर किसी पर लागू होता है चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय का हो कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाते हुए शाहबानो के हक में फैसला देते हुए, मोहम्मद अहमद खान को 500 रूपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के वकील मो अहमद खान की शाहबानों से 1932 में निकाह हुआ था। शाहबानो से पांच बच्चे हुए थेलेकिन इसी बीच वकील खान से 14 साल बाद 1946 में दूसरा निकाह काफी कम उम्र महिला से साथ कर लिया शाहबानो अपने बच्चों के परवरिश के लिए खान के साथ रही। लेकिन 1978 एक दिन ऐसा आया कि वकील खान ने तलाक देकर धक्के मारकर उस घर से निकल दिया जिस घर में निकाह के बाद दुल्हन बनकर आई थी।कुछ महीनों तक 200 रूपये गुजरा भत्ता देता रहावह भी कुछ महोनों में बंद कर दिया। एक मुस्लिम तलाकशुदा शाहबानो बेगम महिला समाज में जीने के लिए अपने अधिकारों के लिए लड़ाई शुरू कीजो उसे भारतीय संविधान देता है। शुरू में वह काजी के पास भी गईलेकिन इस्लाम में उसे अधिकार नहीं मिला। तो भारतीय संविधान के तहत (CRPC) अपराध दंड संहिता की धारा 125 के तहत इंदौर न्यायालय का दरवाजा खटकाया। शाहबानो बेगम ने अपने बच्चों सहित जीविकापार्जन के लिए 500 महिना गुजरा देने की मांग की लेकिन मो अहमद खान ने न्यायालय को कहा कि मैने निकाह के समय तय की गई मेहर की राशी जो 5400 दे दिया तथा मुस्लिम पर्सनल ला के तहत गुजरा भत्ता देने के लिएबाध्य नहीं हू। इंदौर न्यायालय कोई भी तर्क नहीं माना तथा वकील मोहम्मद अहमद खान को 25 रूपये महिना गुजरा भत्ता देने का आदेश दिया। पच्चीस रूपये में गुजरा करना मुश्किल थाइसलिए शाहबानो ने मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय में गई। जिसे उच्च न्यायलय ने 1 जुलाई 1980 को शाहबानो के पक्ष में फैसला देते हुए गुजरा भत्ता 179 रूपये माहवार देने का आदेश दिया। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मो अहमद खान ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की जो भारतीय इतिहास में अध्याय लिखने वाला है।  

यह अपील सबसे पहले तीन फरवरी 1981 को दो जजों की बेंच के सामने आई। जस्टिस मुर्तजा फजल अली और ए. वरदाराजन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे पांच जजों की खंडपीठ को रेफर कर दिया। पांच जजों की इस खंडपीठ में थे जिसमे तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा, न्यायाधीश डीए देसाई, न्यायाधीश ओ. चिनप्पा रेड्डी और न्यायाधीश ईएस वेंकटरमैया ने सुनवाई की। उच्चतम न्यायालय मोहम्मद अहमद खान व शाहबानो बेगम केस की सुनवाई चार साल तक चलती रही। मो अहमद खान  का तर्क था कि उसने दूसरा निकाह कर लिया है, जो इस्लामिक क़ानून के तहत जायज है मेहर की राशि दे दिया, इसलिए अब पहली बीबी को गुजारा भत्ता देने के लिए वह बाध्य नहीं। उच्चतम न्यायालय ने 23 फरवरी 1985 को फैसला सुनाया। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को सही करार दिया गया। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में भारत सरकार को एक दिशा दिया कहा कि देश में समान नागरिक क़ानून (UCC)  की आवश्यकता है, जिस पर सरकार को विचार करना चाहिए। लेकिन सीआरपीसी की धारा 125 मुस्लिमों पर भी लागू होती है। यह धारा किसी जाति, धर्म और वर्ण में कोई भेद नहीं करती। शाहबानो के पति को उसे गुजारा भत्ता देना ही होगा। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमायत उलेमा-ए-हिंद भी इस मामले में पक्षकार बन गए थे। 

      
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पुरजोर विरोध किया शाहबानो के कानूनी तलाक भत्ते पर देशभर में राजनीतिक बवाल मच गया राजीव गांधी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को मिलने वाले मुआवजे को निरस्त करते हुए एक साल के भीतर मुस्लिम महिला (तलाक में संरक्षण का अधिकार) अधिनियम, ( 25 फरवरी 1986 ) पारित कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। एक मुस्लिम हिम्मती महिला शाहबानो ने तीन तलाक की लड़ाई को जीत कर हार गई क्योंकि मुस्लिम कट्टरपंथी के दबाव में आकर राजीव गाँधी की सरकार ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले को पलट दिया आगे बीमार शाहबानो ने ब्रेनहेमरेज की कारण 1992 निधन हो गया। फिर वक्त बदला सायरा बानो ने फिर से सुप्रीमकोर्ट में अपील की, मोदी सरकार से कानून बनाकर बाजी पलट दिए   

गुरुवार, 25 जुलाई 2019

20 वर्ष ऐतिहासिक कारगिल विजय दिवस -




आज कारगिल विजय दिवस के 20 साल पूरे हो गए। 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में भारत को विजय मिली थी, इस वजह से हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। भारत-पाकिस्तान संबंधों के इतिहास में 1999 उस साल नए रूप में सामने आया, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के नेत्रत्व में  अटारी वाघा सीमा पर बस की कूटनीति की शुरुआत हुई लेकिन तीन महीनों में कारगिल के युद्ध की ओर रुख किया। इस लिए पाकिस्तान पर विश्वास नही किया जा सकता है । करगिल युद्ध की जीत की घोषणा तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजेपयी ने 14 जुलाई को की थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस की घोषणा की गई थी।

एक चरवाहे ने भारतीय सेना को करगिल में पाकिस्तान सेना के घुसपैठ कर कब्जा करने की सूचना तीन मई 1999 को सेना की चौकी को दी थी। कारगिल से 60 किमी दूर तथा सिन्धु नदी के किनारे बसा एक गाव गरकौन के निवासी श्री ताशी नामग्याल ने अपनी यार्क को ढूढने के लिए सीमा के पास गया था। उसने देखा की पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल के चोटी पर कब्जा कर चुके है, उन्होंने पास की भारतीय चौकी को सुचना दी। उसके बाद दिल्ली तक बात पहुची की पाकिस्तान ने 150 किमी क्षेत्र में 10 किमी तक अन्दर घुस आया है। जब भारतीय सेना को अंदाजा नहीं मिला की पाकिस्तान की सेना बहुत संख्या में भारत की सीमा में घुस आये है।

जब भारतीय नेतृत्व को मामले की गंभीरता का पता चला तो उनके पैरों तले ज़मीन निकल गई भारतीय प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को फ़ोन मिलाया वाजपेयी ने नवाज़ शरीफ़ से शिकायत की कि आपने मेरे साथ बहुत बुरा सलूक किया है एक तरफ़ आप लाहौर में मुझसे गले मिल रहे थे, दूसरी तरफ़ आप के लोग कारगिल की पहाड़ियों पर क़ब्ज़ा कर रहे थे  नवाज़ शरीफ़ ने कहा कि उन्हें इस बात की बिल्कुल भी जानकारी नहीं है मैं परवेज़ मुशर्रफ़ से बात कर आपको वापस फ़ोन मिलाता हूँ तभी वाजपेयी ने कहा आप एक साहब से बात करें जो मेरे बग़ल में बैठे हुए हैं नवाज़ शरीफ़ उस समय सकते में आ गए जब उन्होंने फ़ोन पर मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार की आवाज़ सुनी दिलीप कुमार ने उनसे कहा, "मियाँ साहब, हमें आपसे इसकी उम्मीद नहीं थी, क्योंकि आपने हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच अमन की बात की है मैं आपको बता दूँ कि जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, भारतीय मुसलमान बुरी तरह से असुरक्षित महसूस करने लगते हैं और उनके लिए अपने घर से बाहर निकलना भी मुहाल हो जाता है

भारत ने 26 जुलाई 1999 को करगिल युद्ध (Kargil War) में विजय हासिल की थी। करगिल युद्ध में भारत की जीत के बाद से हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जाता आ रहा है। यह दिन करगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है। करगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। करगिल युद्ध (Kargil War) लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को उसका अंत हुआ। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। यह युद्ध ऊंचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ सेना की ओर से की गई कार्रवाई में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए तो करीब 1363 घायल हुए थे। इस लड़ाई में पाकिस्तान के करीब तीन हजार सैनिक मारे गए थे, मगर पाकिस्तान मानता है कि उसके करीब 357 सैनिक ही मारे गए थे।

करगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व होना चाहिए।