आज कारगिल विजय दिवस के 20 साल पूरे हो गए। 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में भारत को विजय मिली थी, इस वजह से हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। भारत-पाकिस्तान संबंधों के
इतिहास में 1999 उस साल नए रूप में सामने आया, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल
बिहारी बाजपेयी जी के नेत्रत्व में अटारी
वाघा सीमा पर बस की कूटनीति की शुरुआत हुई लेकिन तीन महीनों में कारगिल के युद्ध
की ओर रुख किया। इस लिए पाकिस्तान पर विश्वास नही किया जा सकता है । करगिल युद्ध
की जीत की घोषणा तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजेपयी ने 14 जुलाई को की थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस की घोषणा की गई थी।
एक चरवाहे ने भारतीय सेना को
करगिल में पाकिस्तान सेना के घुसपैठ कर कब्जा करने की सूचना तीन मई 1999 को सेना की चौकी को दी थी। कारगिल से 60 किमी दूर तथा सिन्धु नदी के किनारे
बसा एक गाव गरकौन के निवासी श्री ताशी नामग्याल ने अपनी यार्क को ढूढने के लिए सीमा
के पास गया था। उसने देखा की पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल के चोटी पर कब्जा कर
चुके है, उन्होंने पास की भारतीय चौकी को सुचना दी। उसके बाद दिल्ली तक बात पहुची
की पाकिस्तान ने 150 किमी क्षेत्र में 10 किमी तक अन्दर घुस आया है। जब भारतीय
सेना को अंदाजा नहीं मिला की पाकिस्तान की सेना बहुत संख्या में भारत की सीमा में
घुस आये है।
जब भारतीय नेतृत्व को मामले की गंभीरता का पता चला तो उनके
पैरों तले ज़मीन निकल गई। भारतीय प्रधानमंत्री
अटलबिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को फ़ोन मिलाया। वाजपेयी ने नवाज़
शरीफ़ से शिकायत की कि आपने मेरे साथ बहुत बुरा सलूक किया है। एक
तरफ़ आप लाहौर में मुझसे गले मिल रहे थे,
दूसरी
तरफ़ आप के लोग कारगिल की पहाड़ियों पर क़ब्ज़ा कर रहे थे। नवाज़ शरीफ़ ने कहा कि उन्हें इस
बात की बिल्कुल भी जानकारी नहीं है। मैं परवेज़ मुशर्रफ़ से बात कर आपको वापस फ़ोन
मिलाता हूँ। तभी वाजपेयी ने कहा आप एक साहब से बात करें जो
मेरे बग़ल में बैठे हुए हैं। नवाज़ शरीफ़ उस समय सकते में आ गए जब उन्होंने
फ़ोन पर मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार की आवाज़ सुनी।
दिलीप कुमार ने उनसे कहा, "मियाँ
साहब, हमें
आपसे इसकी उम्मीद नहीं थी, क्योंकि आपने हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच अमन की
बात की है। मैं आपको बता दूँ कि जब भी भारत और पाकिस्तान
के बीच तनाव बढ़ता है, भारतीय
मुसलमान बुरी तरह से असुरक्षित महसूस करने लगते हैं और उनके लिए अपने घर से बाहर
निकलना भी मुहाल हो जाता है।
भारत ने 26 जुलाई 1999 को करगिल युद्ध (Kargil War) में विजय हासिल की थी। करगिल
युद्ध में भारत की जीत के बाद से हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जाता आ रहा है। यह दिन करगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों
के सम्मान हेतु मनाया जाता है। करगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से
भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। करगिल
युद्ध (Kargil War) लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को उसका अंत हुआ। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े
वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा
पार वापिस जाने को मजबूर किया। यह युद्ध ऊंचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों
की सेनाओं को लड़ने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पाकिस्तानी
घुसपैठियों के खिलाफ सेना की ओर से की गई कार्रवाई में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए तो करीब 1363 घायल हुए थे। इस लड़ाई में
पाकिस्तान के करीब तीन हजार सैनिक मारे गए थे, मगर पाकिस्तान मानता है कि उसके करीब 357 सैनिक ही मारे गए थे।
करगिल युद्ध भारतीय सेना के
साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व होना चाहिए।
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