भारत
के टीवी सीरियल के इतिहास में 1987
में रामायण सीरियल दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था,
एक इतिहास रच दिया था। पहली बार 25 जनवरी 1987 में दूरदर्शन पर रामायण का प्रसारण हुआ था, लगभग 78 एपिसोड के बाद इसे 31 जुलाई 1988 तक प्रसारित कर समाप्त कर दिया गया था। कोरोना वारस के कारण पुरे देश में घोषित बंद ( Lockdown ) के बाद में इसे कई बार री-टेलीकास्ट किया गया। इस बीच केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को साफ किया
कि जनता की मांग पर दूरदर्शन में शनिवार से रामायण सीरियल का प्रसारण होगा। पहला
एपिसोड कल सुबह 9 बजे और दूसरा कल ही रात
9 बजे दिखाया जाएगा।
सोमवार, 30 मार्च 2020
सोमवार, 23 मार्च 2020
100 Days बाद शाहीनबाग का खेल खत्म,
आज ही लगभग 100 दिनों
के बाद शाहीनबाग में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को
पुलिस ने हटा दिया है। 15 दिसंबर
से नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में तथाकथित वामपंथी, कांग्रेस तथा आप पार्टी के समर्थन से चल रहा था शाहीनबाग का आन्दोलन का
खेल को पुलिस ने खत्म कर दिया। पुरे विश्व में कोरोना वायरस के खतरे के कारण
से दिल्ली समेत पूरे भारत में लॉकडाउन तथा धारा
144 लागू किया गया है। लेकिन इसके बाद भी शाहीनबाग में प्रदर्शनकारी मंगलवार सुबह
भी प्रदर्शन की तैयारी में थे। लेकिन अब पुलिस ने वहां महिला प्रदर्शनकारियों को पूरी तरह
से हटाकर दिया है।
गृहमंत्री अमित शाह ने
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) कानून
भारत की संसद के दोनों सदनों पटल पर रखा और 12 दिसंबर को पारित तथा राष्ट्रपति महोदय ने भी अपनी मुहर लगा दे दी। नागरिकता संशोधन कानून (CAA)
के विरोध में दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के
छात्र लगातार सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे। नागरिकता संशोधन कानून (CAA)
लागु होने के पहला शुक्रवार 15 दिसंबर 2019 को नमाज खत्म
होने के बाद जामिया नगर के लोग सीएए के खिलाफ सड़क पर उतर आए थे। इस प्रदर्शन में जामिया मिल्लिया के छात्रों भी घुस आये, दिल्ली की सड़को पर हिंसा करना शुरू कर दिए।जामिया
मिल्लिया के छात्रों के अचानक इस प्रदर्शन ने
हिसंक रूप में बसों में तोड़फोड़ औऱ उसे जलाने लगे। पुलिस
और प्रदर्शनकारियों के बीच पथराव शुरू हो गया, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। इतना ही नहीं पुलिस ने जामिया की लाइब्रेरी में घुसकर प्रदर्शनकारियों पर
लाठीचार्ज किया, जिसमें कई
छात्र भी घायल हुए। वामपथी मीडियाकर्मियों तथा कांग्रेस,
आप पार्टी और विपक्षी पार्टियों ने इस आन्दोलन को हाथों हाथ ले
लिया। चारों तरफ से आलोचनाओं के कारण दिल्ली
पुलिस बैकफुट पर आ गई और आगे से कोई दूसरी कार्रवाई नहीं करना चाहती थी। जामिया का हिंसक प्रदर्शन से परेशान प्रशासन ने इलाके को चारों तरफ से बंद
कर दिया था। शाम से आठ बजे से शाहीन बाग इलाके की कुछ
महिलाएं रोड पर आ कर बैठ गईं। दिल्ली पुलिस से सबसे बड़ी
गलती यही हुई कि ये महिलाएं रात में वापस चली जाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह दिल्ली पुलिस की गलती ने देश के देशदोहियो को एकजुट कर दिया
16 दिसंबर की शाम में करीब 500 महिलाएं इस प्रदर्शन में शामिल हो चुकी थीं। इसी बीच जेएनयू और जामिया के
छात्र-छात्राएं शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए। इसके बाद इस प्रदर्शन की कमान महिलाओं ने अपने हाथों में ले ली और क्षेत्र के लोग वॉलिंटियर
के रूप में लग गए। शाहीन बाग के आंदोलन में 29 दिन की बच्ची को मां गोद में लेकर धरने पर बैठी नजर आई तो 80 साल की दादी इस प्रोटेस्ट का हिस्सा बनी। इतना ही नहीं शाम होते ही आसपास की महिलाएं आंदोलन स्थल पर पहुंच जाती हैं।
गुरुवार, 19 मार्च 2020
अंततः निर्भया के चारों दोषियों को एक साथ फांसी दी गई
निर्भया केस को आज 7 साल
बीत चुके हैं और अभी भी पूरे देश को दोषी मुकेश, विनय और अक्षय और पवन की फांसी का इंतजार है, लेकिन चार बार निर्भया के दरिंदों को फांसी के डेथ वारंट जारी हुआ कानून की दावपेच के कारण बचते रहे। आज सभी विकल्प गुरुवार को रात्रि में समाप्त हो गए। आज सुबह शुक्रवार को नई सुबह कोर्ट इनके फांसी की अगली
तारीख 20 मार्च को घोषित कर दी है। निर्भया के चारों दोषियों पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और मुकेश सिंह की फांसी तय है।
16 दिसंबर 2012 ये वो तारीख है, जिस दिन दिल्ली की सड़कों पर रात के अंधेरे में चलती बस
में निर्भया के साथ 6 कुकर्मियों ने जघन्य
अपराध की सारी हदें पार कर दी थीं। इन 6 में एक ने जेल में आत्महत्या कर ली। उसका नाम राम सिंह था, जो बस ड्राइवर और मुख्य आरोपी था। एक नाबालिग था, जो 3 साल की सजा काटकर 20 दिसंबर 2015 को रिहा हो चुका है और केजरीवाल
की सिलाई मशीन के साथ कहीं चैन से अपनी जिंदगी जी रहा है।
इनके नाम थे- मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय
ठाकुर। इन दोषियों को उनके गुनाह की सजा 7 साल
3 महीने और 4 दिन
बाद मिली। चारों दोषियों को तिहाड़ की जेल नंबर-3 में 20 मार्च की सुबह साढ़े 5 बजे
फांसी पर लटकाया गया। फांसी देने के लिए जल्लाद पवन 17 तारीख को ही तिहाड़ पहुंच चुका था।
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