बुधवार, 31 जुलाई 2013

गरीबी का मजाक


     आज गरीबों का मजाक बनाया जा रहा है । योजना आयोग के द्वारा फिर से यह बताया कि देsश में गरीबी कम हो रही है। रिपोंर्ट आते ही कुछ कांग्रेसियों उत्साहित होकर कहने लगे कि 12 रूपये या 5 रूपये में पेट भर खाना खाया जा सकता । फिर क्या लोगों ने अपने तरीकों द्वारा विरोध प्रगट करने लगे। मीडिया ने जगह जगह जाकर लोगों के विचार लेने लगा और नेताओं का मजाक उडाना शुरू कर दिया।

    कांग्रेस में एक नेता है, उस नेता तक अपनी को पहॅुच सबसे महत्व रखता है क्योकि उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण स्थान में चाहिए। इसलिए वे क्या बोलते है उन्हे बाद में पता चलता, जब लोग खुब आलोचना करते है। इस श्रेणी में दिग्विजय सिह आते है, अव राजबब्बर शामिल हो गये है।

     योजना आयोग ने अभी कहा है कि देश में गरीब 22 प्रतिषत से कम हुआ है। देश में 2004/5 में गरीब का प्रतिषत 30 था । 2010/11 में यह घट कर 30 प्रतिषत रह गया और सरकार ने मनरेगा के कारण अब 22 प्रतिषत रह गया है। सरकार किस पैमाने से यह कह रही है यह स्पश्ट नही करती है। योजना आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री है। योजना आयोग ने पिछले साल कहा था कि शहरी क्षेत्र में 33 रूपये तथा गा्रमीण क्षे़त्र में 27 रूपये आमदनी वाले गरीबी रेखा से उपर र्है। गरीबी के ये आंकड़े योजना आयोग द्वारा तेंदुलकर समिति के द्वारा सुझाए गए मापदंडों पर गरीबी की नई रेखा की परिभाषा पर आधारित हैं।

     ताजा सर्वे में बड़ी संख्या में अर्थ विशेषज्ञ मानते हैं कि इस काम में बढाती मंहगाई घटते रोजगार के अवसर के बारे में विचार नही किया गया है। बीते वर्षो में लगातार बढ़ती हुई महंगाई और रोजगार के अवसरों में अपर्याप्त होने से अनेक लोग गरीबी से कैसे उपर आ गये समझ नही आता। भारत के अर्थ योजक यह कहा रहे है कि गरीबी की नई रेखा से देश के वास्तविक गरीबों की संख्या मालूम नहीं हो पाएगी क्योकि ये आंकडे बाजी दिखाया जा रहा है। यदि योजना आंयोग चाहता हैं कि गरीबी, न केवल आंकड़ों में कम होती दिखाई दे। वास्तव में कम करना हो, गरीबी की रेखा के निर्धारण के लिए केवल कैलोरी नहीं बल्कि बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा सेवाओं की उपलब्धता की जरूरतों का भी ध्यान रखें।

    देश के गरीबों के पास धन का एक बड़ा भाग भोजन की पूर्ति में लगता है। कहने का मतलब गरीब के पास पैसा आने पर वह खाने के उपर ही अधिक खर्च करता है। जो पैसा बच जाता है तो वह शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा जुटाने में व्यय करता है। फिर घुम कर वही आ जांता है । 

     इदिरा गांधी ने गरीबी हटाओं को नारा दिया लेकिन गरीबी कम नहीं हुई और बढ गई। गरीबी देश का सबसे बड़ा अभिशाप माना जाता और बिना भ्रष्टाचार के गरीबी हटाने का प्रयास हुआ होता आज स्थित अलग होती।

शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

गिरता रुपया सोती सरकार


 
              देश की रुपया का स्तर गिरता जा रहा है वित्त प्रबधन हेतु चितम्बरम अमेरिका का चक्कर लगा रहे है और देश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उद्योगपतियों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए कोई भी कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी| लेकिन देश के युवाओ को प्रधानमंत्री पर विश्वास न उठ जाये |

       प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताया है कि आने वाले वर्षो में चालू खाता घाटा (सीएडी) घटकर 2.5 फीसदी तक आ जाएगा | यह मानते हुए कि देश विपरीत परिस्थितियों से गुजर रहा है, उन्होंने कहा, मुझे मालूम है कि अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण उद्योग जगत बेहद चिंतित है| अर्थव्यवस्था को तेज विकास के रास्ते पर वापस लाने के लिए वह सरकार की ओर देख रही है| मैं मानता हूं कि यह उनकी बिल्कुल जायज उम्मीद है और इस पर हमारा सर्वाधिक ध्यान है| हाल के दिनों में सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार के जितने भी कदम उठाए हैं और उठाने जा रही है, वे साल के अंत से नतीजे देने लेंगे। लेकिन साल के अंत तक का इंतजार कौन करता है तबतक चार राज्यों का चुनाव हो चुके होगे |

       एक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री के होते हुए भारत एक मंदी के दौर से गुजर रहा है| यह बात प्रधानमंत्री स्वंय कह रहे है| प्रधानमंत्री कह भी रहे है कि तुर्की, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका सहित कई उभरते बाजारों को अवमूल्यन का सामना करना पड़ रहा है| हम भी रुपये की विनिमय दर में गिरावट का सामना कर रहे हैं| इस रूपये के गिरावट के समय हम किन वस्तुओं का निर्यात कर लाभ कमा सकते है| प्रधानमंत्री और देश के वित्त प्रबधन इस तरफ ध्यान क्यों नहीं दिया |

        प्रधानमंत्री ने अपनी ख़राब होती छवि पर बोले कि देश कि अर्थ व्यवस्था को टीवी पर तोड़मरोड़ कर तस्वीर पेश की गई है। उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक आलोचक एक खराब साल के तजुर्बे पर फोकस करते हैं। यह टीवी पर अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि यूपीए शासनकाल में गरीबी 2 फीसदी गिरी। उन्होंने माना कि एक साल खराब रहा है, लेकिन भरोसा दिलाया कि देश जल्द इससे उबर लेगा| लेकिन कैसे उबार पायेगा ? एक तरफ ये कांग्रेसी एफडीआई को लेकर बड़ी बड़ी बाते करते है | अभी दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था की तीन बड़ी घटनाये हुई एक  विश्व के दुसरे नम्बर के अमीर वारेन वफेट की इन्वेस्टमेंट कम्पनी बर्कशायर हैथवे ने भारत से अपना सारा कारोबार समेट लिया| दूसरा एल एन मित्तल की कम्पनी मित्तल आर्सेलर ने उड़ीसा में बन रहे पचास हजार करोड़ से निवेश को रद्द कर दिया| स्टील कम्पनी पास्को ने उड़ीसा में बन रहे प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया| आखिर युवा किस तरफ देखेगा |

मतलब साफ़ है की इस देश के अनर्थशास्त्री प्रधानमंत्री ने इस देश का बन्टाधार कर दिया है इस राजनैतिक माहोल में कोई भी देश आज भारत पर विश्वास करने को तैयार नही है !!

शनिवार, 13 जुलाई 2013

बोफोर्स दलाल क्वात्रोच्चि

        16 अप्रैल इटली के रेडियों से एक समाचार का प्रसारण किया गया। पूरे भारत में हडकम मच गया । यह समाचार था कि बोफोर्स के खरीदी में दलाली दी गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस समाचार को रोकने के लिए पूरी कोषिष श्किया । अनेक समाचार पत्र को मैनेज कर लिया गया। लेकिन इंडियनएक्प्रेस ने इस समाचार को प्रमुखता से छापा, पूरे देष इस समाचार से स्तब्ध होगा। राजीव गाधी की छवि एक सामान्य जनक थी । लोगों को विष्वास नही हुआ कि राजीव गांधी ऐसा भी कर सकते है। बोफोर्स घोटला के नाम से जाना गया और कांग्रेस का ग्राफ गिरता ही गया ।

       1986 में स्विस आर्म्स निर्माता कंपनी बोफोर्स ने हाविट्जर तोपों की सप्लाई के लिए भारत के साथ 1600 करोड़ रुपये का सौदा किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी के करीबी दोस्त माने जाने वाले क्वात्रोच्चि पर इस सौदे में एजेंट की भूमिका निभाया था। सोनिया के मित्र क्वात्रोच्चि पर आरोप था कि इस सौदे के बदले उसे दलाली की रकम का बड़ा हिस्सा मिला। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद को आश्वासन दिया था कि बोफोर्स तोप खरीद में कोई घोटाला नहीं हुआ है। देष ने इस घोटाले में राजीच गांधी को दोशी मानते हुए 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया ।

       इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोच्चि बोफोर्स घोटाले का अहम किरदार माना जाता रहा है। क्वात्रोच्चि पर बोफोर्स तोप सौदे में दलाली लेने का आरोप था। क्वात्रोच्चि को भारतीय राजनीति के सबसे ताकतवर गांधी परिवार का निकट माना जाता रहा है। जब भी सत्ता में काग्रेस आई तो क्वात्रोच्चि को अनेक बार बचाया गया। गिरफतारी से बचने के लिए क्वात्रोच्चि 1993 में भारत से फरार कराया गया था। इस मामले में तोता पिजडा में बंद रहा । अनेक बार गिरफतार क्वात्रोच्चि को भारत नही लाया जा सका क्यों कि जिस देषों में  क्वात्रोच्चि गिरफतार किया जाता वहां पर प्रत्यपण संधि न होना । उसकी मौत के साथ ही इस घोटाले से जुड़े कई राज दफन हो गए।