प्रधानमंत्री
ने उम्मीद जताया है कि आने वाले वर्षो में चालू खाता घाटा (सीएडी) घटकर 2.5 फीसदी तक आ जाएगा | यह मानते हुए कि
देश विपरीत परिस्थितियों से गुजर रहा है, उन्होंने
कहा, मुझे मालूम है कि अर्थव्यवस्था में
मंदी के कारण उद्योग जगत बेहद चिंतित है| अर्थव्यवस्था को तेज विकास के रास्ते पर
वापस लाने के लिए वह सरकार की ओर देख रही है| मैं मानता हूं कि यह उनकी बिल्कुल
जायज उम्मीद है और इस पर हमारा सर्वाधिक ध्यान है| हाल के दिनों में सरकार ने
अर्थव्यवस्था में सुधार के जितने भी कदम उठाए हैं और उठाने जा रही है, वे साल के अंत से नतीजे देने लेंगे।
लेकिन साल के अंत तक का इंतजार कौन करता है तबतक चार राज्यों का चुनाव हो चुके
होगे |
एक अर्थशास्त्री
प्रधानमंत्री के होते हुए भारत एक मंदी के दौर से गुजर रहा है| यह बात प्रधानमंत्री
स्वंय कह रहे है| प्रधानमंत्री कह भी रहे है कि तुर्की, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका सहित कई
उभरते बाजारों को अवमूल्यन का सामना करना पड़ रहा है| हम भी रुपये की विनिमय दर में
गिरावट का सामना कर रहे हैं| इस रूपये के गिरावट के समय हम किन वस्तुओं का निर्यात
कर लाभ कमा सकते है| प्रधानमंत्री और देश के वित्त प्रबधन इस तरफ ध्यान क्यों नहीं
दिया |
प्रधानमंत्री
ने अपनी ख़राब होती छवि पर बोले कि देश कि अर्थ व्यवस्था को टीवी पर तोड़मरोड़ कर
तस्वीर पेश की गई है। उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक आलोचक एक खराब साल के तजुर्बे
पर फोकस करते हैं। यह टीवी पर अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि यूपीए शासनकाल में
गरीबी 2 फीसदी गिरी। उन्होंने माना कि एक साल
खराब रहा है, लेकिन भरोसा दिलाया कि देश जल्द इससे
उबर लेगा| लेकिन कैसे उबार पायेगा ? एक
तरफ ये कांग्रेसी एफडीआई को लेकर बड़ी बड़ी बाते करते है | अभी दूसरी तरफ भारतीय
अर्थव्यवस्था की तीन बड़ी घटनाये हुई एक
विश्व के दुसरे नम्बर के अमीर वारेन वफेट की इन्वेस्टमेंट कम्पनी बर्कशायर
हैथवे ने भारत से अपना सारा कारोबार समेट लिया| दूसरा एल एन मित्तल की कम्पनी
मित्तल आर्सेलर ने उड़ीसा में बन रहे पचास हजार करोड़ से निवेश को रद्द कर दिया|
स्टील कम्पनी पास्को ने उड़ीसा में बन रहे प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया| आखिर युवा
किस तरफ देखेगा |
मतलब
साफ़ है की इस देश के अनर्थशास्त्री प्रधानमंत्री ने इस देश का बन्टाधार कर दिया है
इस राजनैतिक माहोल में कोई भी देश आज भारत पर विश्वास करने को तैयार नही है !!
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