6 दिसंबर 1992 का दिन
भारतीय राजनीति में टर्निग पॉइंट रहा है। राम मंदिर आन्दोलन ने भारत की राजनीति को
हमेशा के लिए बदल दिया है। इसी आंदोलन से भाजपा का उदय हुआ और कांग्रेस के पतन की शुरुआत हुई।
इसी दिन लाखों कारसेवकों ने मिलकर बाबरी मस्जिद नाम से विवादित ढांचे को गिरा दिया था। 1992 में अयोध्या में जो हुआ, उसकी नींव 1990 में बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के साथ ही पड़ गई थी। उस वक्त 'कसम राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे' का नारा काफी चला था। इसके बाद धीरे-धीरे मुद्दे ने रंग पकड़ा और 1992 में 'एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो' के साथ मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया गया। 6 दिसंबर को आखिर 28 साल पहले क्या हुआ था।
सुबह करीब 10.30 बजे वरिष्ठ नेता बीजेपी और वीएचपी नेताओं ने विवादित ढांचे के पास पहुंचकर राम शिला की पूजा-अर्चना की गई। इसमें एल के आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के साथ कई संत भी शामिल थे। इनके पीछे थे करीब 1.5 लाख कारसेवक।
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