रविवार, 24 जुलाई 2011

नई नारी तलाशती नई राह........

आज समय तेजी से बदल रहा है | बदलते समय में परस्थितियों भी बदल गयी है |शिक्षा ने स्त्री और पुरुष के समानता ला दिया है | आज लड़की कॉलेज में लडको के साथ पढ़ रही है | इसलिए कुछ अच्छी बात तथा कुछ बुरी बात हो रही है | यह समय रहते समझे की है कल परस्थितियाँ और बिगड़ने वाली है |
शिक्षा के माध्यम से सामाजिक बदलाव हुए है | आज स्त्री भी पुरुषों के साथ- साथ काम कर रही है | इस लिए अब कुछ बातों को ध्यान देना होगा | नहीं तो बहुत सी गलत बाते शुरू हो रही है | अभी पुरे देश में बलात्कार की घटनों में तेजी के साथ चर्चाओं में आने लगी है | लड़की की सुरक्षा का | पहले कोई लड़की बाहर जाती थी तो परिवार से कोई न कोई साथ होता था | इस लिए कि कोई गलत हरकत ना करे , लेकिन समय ने तेजी से करवट बदला है | लड़कियां स्वयं घर से निकल कर कॉलेज ऑफिस जा रही है | यानि काम-काजी महिलाएं के रूप में काम कर रही है | अब पुरुषों के साथ काम करने से समस्याएं और बढ़ रही है |
वर्तमान शिक्षा के कारण लड़के व लड़कियाँ और स्वछ्न्द हो रही है | लड़कियां समाज में अब खुल कर आ रही है जो पर्दा था अब खत्म सा होगा या है तो दूसरी प्रकार कि समस्या उत्पन्न हो रही है | अब जो समस्या आ रही है सामाजिक अराजकता का | पहले कहा जाता था कि विवाह के बाद स्त्री-पुरुष एक गाड़ी के दो पहिए के सामान है | आज स्त्री भी कमा रही है और पुरुष तो जो एक दूसरे के बीच पूरकता था वह खत्म हो गया उसके जगह समानता आ गया जो समस्या कि जड़ है | दूसरी बात है कि एकल परिवार होगा है मकान में बड़े बुजुर्ग नही होने से उन्हें सिखायेगा कौन ? अब इनके बच्चोँ को संस्कार क्या है पता नहीं ? और तो बच्चे एक ही न तो भाई न बहन तो एक दूसरे से रिश्ते कैसे होने चाहिए | उन बच्चोँ को पता नहीं है भाई बहन क्या होता है | अब ऐसे लोग बड़े होगे तो बॉय फ्रेड या गर्लफ्रेंड होगे | आज जो हो राह है वह क्या है इस प्रकार कि समस्या कि शुरुवात है |यह सब जो आज होने लगा है उसकी प्रारंभ अवस्था है | समझना स्त्री को पडेगा कि आज जो समस्या खड़ा हो राह है उसका ईलाज क्या है |
नई दौर के नई राह है इस समस्या का हल है | भारतीय समाज में स्त्री को सामाजिक रूप से पारिवारिक मानता है कि घर परिवार कि ठीक प्रकार से देखभाल करना है | यदि उसे परिवार चलाना है तो बच्चों में अच्छे संस्कार देने होगे | क्योंकि आने वाला समस्या बहुत विकट होने वाला है | आज परिवार चलाने कि लिए अर्थ कि सबसे पहले आवश्कता है तो स्त्री-पुरुष तालमेल के साथ चलना पड़ेगा |आज हर परिवार यही चाहता है कि उसकी भी लड़की अपने पैरों पर खड़ी रहे है | तब लड़की को विवाह कि जरूरत नहीं है लेकिन समाज को जरुरत है | इसलिए विवाह तो करना पड़ेगा लेकिन समय और मर्यादा के साथ तभी समाज रूपी परम्परा ठीक प्रकार से चलता रहेगा | यह अगर कुछ लोग सोचते है अकेले राह जा सकता है तो सही कि अकेला राह जा सकता है लेकिंन आगे चलकर ऐसे लोग अकेलेपन के कारण स्थितियां खराब हुई है | आगे चलकर पुरुष के साथ कंधा से कंधा मिला कर चलना और घर परिवार को भी संभालते हुए सब काम करना ही श्रेष्ठ होगा |

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