शनिवार, 24 सितंबर 2011

सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा के बहाने कांग्रेस का एक नया षड्यंत्र


बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच परस्पर प्रेम कि भावना बढनी चाहिए ,ऐसा प्रयास  केन्द्र व राज्य कि सरकार का यह काम  होना चाहिए कि दोनों समुदाय में आपसी सहयोग एंव एकता बढ़नी चाहिए | लेकिन सोनिया गाँधी एंड कंपनी ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा तैयार किया गया एक ऐसा बिल जिसका नाम सांप्रदायिक और लक्षित हिसा रोकथाम बिल जो इस प्रकार कि भावना को नष्ट कर संदेह और हिंसा घटना कि वृद्धि  होगा |
कोई भी कार्य करने से पूर्व उसकी नीयत देखा जाता है | सोनिया गाँधी एक ईसाई महिला है तथा वह चर्च से जुडी हुई है | १० वर्षों में दो बड़े हिंसा हुआ है पहला कि गुजरात कि दंगा जो राम भक्तों पर गोधरा में रेलवे के दो डिब्बों में स्टेशन के निकट निवासियों मुसलमानों ने जलाकर  अनेक हिंदू महिला पुरुष  और बच्चो कि हत्या किया गया, | इस घटना के बाद पुरे  गुजरात में हिंसा हुआ इस घटना के पीछे मुसलमानों की किया गया घ्डित कार्य  था तथा दूसरा उडीसा में बाबा लक्षणानन्द  की ईसाई के द्वारा उनके आश्रम में गोली मार कर हत्या  दिया गया तो वनवासियों द्वारा आसपास ईसाई द्वारा धर्मातरित हिंदू पर शंक के कारण हिंसा हुआ, जिसमे अनेक लोगों की जान गई |
यह दोनों घटना अल्पसंख्यक द्वारा की गई हिंसा के कारण हुआ | अब इस घटना में कोई बहुसंख्यक का कोई हाथ नहीं था, लेकिन घटना के पीछे अल्पसंख्यको का  हाथ और उन्ही के द्वारा हुआ है | प्रक्रति  का नियम है कि क्रिया के बाद प्रतिक्रिया होती है , यदि बहुसंख्यक लोगों ने विरोध किया तो ईसाई के द्वारा हिंसा के बाद बहुसंख्यक ने हिंसा किया था | यदि लक्षणनन्द कि हत्यारा जल्दी पकड़ा गया होता तो इतनी हिंसा नही होती | ईसाई ने शुरू से आम लोगों को गुमराह किया जब लोगों ने हत्या के बाद पूरा उडीसा राज्य पूर्ण बंद था | ईसाई ने हत्या को पुलिस के हवाले कर दिया होता, तो इतनी हिंसा से बच जा सकता था लेकिन ईसाई ने इसे नक्सली द्वारा किया कारवाही कहा था, लेकिन बाबा पर ईसाई के कई बार हमला किया गया था | सरकार ने सुरक्षा के लिए पुलिस सुरक्षा दिया था लेकिन ईसाई के दबाव में वापस ले लिया गया | यह  बात आम लोगों तक पहुची तो उनका गुस्सा था, जो प्रशासन और ईसाई के द्वारा अपराधी को बचाने कि कोशिश का परिणाम था |
दूसरी बात यह है कि कांग्रेस अब जानती है उसका जनाधार कम हो गया है, इसलिए अल्पसंख्यक को अपने पक्ष में करने कि लिए इस प्रकार का काम  कर रही है |  जिससे उनेह अल्पसंख्यक का साथ  पुन मिले |
तीसरा बात है यह कि आज यह बिल को संसद में रखना में सरकार कि अब किरकिरी होने वाला है | इस लिए सरकार के लोगों ने राष्ट्रीय एकता परिषद द्वारा देश के सभी मुख्य मंत्रियो को बुलाकर  आम सहमती बने जाया | इस ओर सोनिया समर्थन के लोग काम में लग गये | देश में अन्ना के आंदोलन से सरकार अपने को डेमेज कंटोल करने में लगी है | इस लिए बिल संसद में न लाकर इसमें लोगों से चर्चा कर लिया जाये | इस कारण राष्ट्रीय एकता परिषद कि बैठक बुलाकर सरकार देश के मुख्य मंत्रियो कि राय जानना चाहिए तो सरकार को समझ में नही आया कि क्या करे | सरकार यह सोच रही थी कि यदि संसद में बिल नही बन सकता तो कम से कम इसे एक प्राधिकरण बनाकर लागू किया जाये | लेकिन सभी  मुख्यमंत्री  ने एक सिरे से नकार दिया तथा सरकार के नीयत पर शक किया कि आखिर किस आधार पर कि हिंसा के दोषी केवल बहुसंख्यक समाज हो सकता है | दूसरी बात है हैकि हिंसा के दौरान प्राधिकरण के रिपोर्ट पर सा राज्य सरकार के कारवाही पर केंद्र नजर रखेगा |जो राज्य पर सीधा हस्तक्षेप होगा जो राज्य के मुख्य मंत्री को मंजूर नही है |
चौथी बात कि यदि राज्य  सरकार उस समय अल्पसंख्यक कि रक्षा नही कर पति है तो धारा ३५५ लगाया जा सकता है अर्थात  राज्य सरकार को बरखास्त किया जाता सकता है | जो छोटे दल है जिनकी केवल एक राज्य में सरकार है वे सभी केंद्र सरकार के कृपा पात्र है | आज केंद्र में कांग्रेस कि सरकार है | कांग्रेस कि सरकार केंद्र में चलती रहे | इससे छोटे दल कांग्रेस के दबाव में रहे | कांग्रेस ने अपनी सरकार चलने के लिए अनेक बार राज्य सरकार को बार बार बर्खास्त किया है |अनेको बार भाजपा ,अकाली दल जनता पार्टी ,तेलगुदेशम दमक आदमक आदि कि अनेक बार सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति लगाकर अपने पाद का दुरपयोग कि है | हद तो तब हुआ कि अकाली दल कि ८ बार सरकार को कांग्रेसियों ने बर्खास्त किया |
कांग्रेसियों के पुरे देश में मिली जुली सरकार मज़बूरी में चला रहे है | हर राजनीतिक पार्टी कि लक्ष्य केवल सत्ता प्राप्त करना |सत्ता के लिए वह कुछ भी करते रहते है |देश में आजादी के बाद कांग्रेस एक बड़ी पार्टी थी लेकिन नेहरु ने अपने को एक प्रकार का तानाशाह के रूप में शासन किया उनसे नाराज हो कर अनेक लोगों ने उनका साथ छोड़ दिया | जिन लोगों ने साथ छोड़ा वह लोगों अपने श्हेत्र के बड़े जनाधार वाले लोग थे | उन्ही लोगों ने अनेक क्षेत्रीय दल बनाया जैसे श्यामाप्रसादमुखर्जी ने जनसंघ , राममनोहर, ने समाजवादी, रामाराव ने तेलगुदेशम तमिलनाडु अन्ना दुरैई ने दमक बनाया था  और  उनकी पुत्री इंदिरा गाँधी से नाराज होकर सभी लोगों ने जनता पार्टी बनाया | धीरे धीरे क्षेत्रीय दल इतने मजबूत हो गये कि आज कांग्रेस राज्यों में सत्ता के लिए तरस रही है | कूल बात यह कि राज्य में जो पार्टी शक्तिशाली होगी उसी के संसद लोकसभा में जायेगे जिनकी संख्या अधिक होगा उसकी सरकार केद्र में होगी या उसकी भागीदारी अधिक होगा |
पुरे भारत के  सभी राज्य में राज्य सरकार है जिसमे आज के समय महाराष्ट्र जिसमें शरद पवार के साथ , आंध्रप्रदेश में आंतरिक कलह में ,केरल में पूर्ण ,राजस्थान में पूर्ण , हरियाणा ,दिल्ली ,असम तथा अरुणाचलप्रदेश में कांग्रेस सिमट गई  है | बड़े राज्य में अपनी हैसियत खोज रही है | उत्तर प्रदेश ,बिहार ,मध्यप्रदेश,उडीसा , गुजरात ,प् बंगाल तमिलनाडू ,कर्नाटका  इन राज्यों में लोक सभा के ३०० सीटें जहां कांग्रेस कि सरकार वर्षों से नही है | इस प्रकार अल्पसंख्यक के द्वारा कांग्रेस कि सरकार ने न्य खेल किया है |कि अपनी सरकार बनाने के लिए आम लोगों पर किस प्रकार से षड्यंत्र कर रही है | यह षड्यंत्र   भारत के संविधान के खिलाफ भी है | जो संविधान को बाबा साहेब अम्बेडकर  ने बनाया उसी संविधान को नष्ट करना चाह रही है कांग्रेस  सरकार |

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

सड़कों पर नमाज पढ़ने पर रोक लगा..... फ्रास


सड़क पर नमाज पढना मँहगा पड़ा सकता है फ़्रांस की सरकार ने मुसलमानों को मुसला बिछाकर नमाज पढने पर प्रतिबंध लगा दिया है अभी पुरे देश में बुर्का पर फ़्रांस की सरकार ने लगा दिया था अब नमाजियो पर भी ऐसा प्रतिबंध लगाया है इसका श्रेय राष्ट्रपति सरकोजी को जाता है की फ़्रांस में सड़क के नमाजियो को प्रतिबंध गया |

फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोज़ी ने कई बार  कहा है कि वो चाहते हैं कि एक ऐसा नया क़ानून बनाया जाए जो मुस्लिम महिलाओं को बुर्क़ा या नक़ाब पहनने से रोके फ़्रांस मेंबुर्का पहनना स्वीकार्य नही है, क्योंकि बुर्का पहनने वाले एक कैदी के सामान है तथा समान्य सामाजिक जिंदगी से वंचित रहती है और अपनी पहचान कई मोहताज रहती है मेरे  ख़याल में बुर्क़ा या नक़ाब पहनना फ्रांस की धर्मनिर्पेक्ष जीवन शैली से मेल नहीं खाता है कि फ्रांस में महिलाओं के चेहरों को ढका जाना सहन नहीं किया जा सकता और उन्होंने क़ानून के ज़रिए बुर्क़ा या नक़ाब पर पाबंदी लगाने की हिमायत की है अपनी बातों के पक्के होने के कारण पुरे देश में एक इसके लिए अनुकूल माहौल बनाया | फ़्रांस में पूरी जनसख्या के १० से ज्यादा मुसलमानों कई संख्या है तथा वहाँ पर २००० से अधिक महिलाओं बुर्का पहती थी संसद में प्रतिबंध के बाद कोई भी महिला बुर्का पहनती है तो उसे १५० यूरो का अर्थ दंड देना पडता है फ़्रांस ने प्रतिबंध लगाने के बाद अनेक यूरोपीय देश बुर्का पर प्रतिबंध लगा दिए है फ़्रांस में धार्मिक चिन्हों पर प्रतिबंध पहले से लगा हुआ है इस लिए वहाँ सिक्खो पर पगड़ी सार्वजनिक स्थान पर प्रतिबंध है कुछ वर्ष पूर्व तीन सिक्ख बच्चो को विद्वालय  से निकल दिया गया था |

आज यूरोप कट्टरवाद के कारण परेशान होगया है | जहां पर मुस्लमान कई संख्या बढती है तो सामाजिक मतभेदों के कारण तनाव बढ़ जाता है | अभी अभी ब्रिटेन में दंगा जो पुरे देश में फैल गया था वहाँ पर स्थानीय लोगों को लगता है इनके आने के बाद उन्हें सांप्रदायिक भावना बिगड़ती है वर्तमान यूरोप इस नये समस्या से जूझ रहा है फ़्रांस के जनता यह महसूस कर रही है कई आने वाले समय के लिए यह एक खतरा है और  देर हुआ तो स्थिति गंभीर हो सकती है इस लिए इन सब बातों के कारण फ़्रांस ने समय रहते ही सड़क पर नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया | लेकिन किसी भी प्रकार से धर्म को मानने वाले को  कोई कठिनाई न हो इसके लिए उन्होंने फ़्रांस के खाली पड़े बैरक में नमाज पढने की व्यवस्था की | एक प्रकार से यह सन्देश जाये की फ़्रांस की सरकार इस्लाम विरोधी नही है |