शनिवार, 1 जुलाई 2017

गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी - टैक्स सुधार की नई व्यवस्था


स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा रहा - गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी - शनिवार, 1 जुलाई, 2017 से लागू हो गया। शुक्रवार मध्यरात्रि को संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित एक विशेष समारोह में राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घंटा बजाकर इसे लॉन्च किया। देश और राज्यों में फिलहाल लागू लगभग दर्जनभर अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों का स्थान खत्म जीएसटी लागू हो गया। सरकार का कहना है कि इससे 'एक देश, एक बाज़ार, एक कर' व्यवस्था को लागू हो गया असली तो इसे अमली जामा पहनना है ।

वैसे भी मैं कोई अर्थशास्त्री तो नही हुँ। लेकिन अर्थव्यवस्था के बारे में थोडा बहुत समझता हूं समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो बेईमानी से पैसा ( धन ) कमाता है। उस कमाई पर टैक्स नहीं देता है और अधिकारी कर्मचारियों और समाज को भी बेईमान बनता है। कहा जाये कि काला धन पैदा करने वाला होता है। जब भी हम बाजार से सामान खरीदते हैं वे हम सभी से वैट भी वसूल लेता है। जब सरकार को टैक्स देनी होती है तो वह अपनी कमाई कम बताकर काले धन को छुपाने के लिए अन्य लोगों धन देकर चोरी करने के लिए प्रेरित करता है। देश में बेईमानों की संख्या बढ़ाने वाले लोग भी यही टैक्स चोर है। आप किसी भी शहर में देखे मकान, गाड़ी, मॉल, होटल, विदेश यात्रा और लग्जरियस संपत्ति बहुत दिखाई देती है लेकिन अपनी कमाई से देश चलाने के लिए टैक्स देने वाले की संख्या काफी कम है। जब भी जीएसटी का विरोध करता हुआ दिखे तो समझ लेना चाहिए कि मोदी सरकार ने नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू कर काली कमाई पर बड़ा प्रहार किया है। यही सभी लोग विरोध कर रहे है कहना यही है कि आम लोगों पर बोझ डाला जा रहा है।लेकिन आम व्यक्ति जो भी सामान खरीदता है तो टैक्स भी देता है वैट भी देता है। सामान्य व्यक्ति मूर्ख नही है इसलिए जीएसटी का विरोध नही कर रहा वह समझ रहा कि आने वाले समय के लिए फायदा होगा।
पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जीएसटी की ओर कदम उठाया था। लगभग 14 वर्षो के अथक परिश्रम के बाद इसे लागू किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सभी के प्रयास परिश्रम से लागू किया गया है।

सोमवार, 29 मई 2017

कांग्रेसियों ने मोदी सरकार के विरोध करने के लिए गौहत्या शुरू की -


केरल के युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बीती शनिवार 27 मई, 2017 को कन्नूर में सार्वजनिक गोहत्या कर गौमांस खाने का पार्टी आयोजन किया। कांग्रेसियों की यह कृत्य जिसकी चारों तरफ आलोचना हो रही है। भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने नए नियम के तहत देश के किसी भी पशु बाजार में कत्लखाने के लिए मवेशियों की खरीद बिक्री पर रोक लगा दिया है। केंद्र सरकार गौमांस तथा तस्करी को रोकने के लिए हो सकता किया है। क्योंकि गाय हजारों वर्षों से हिंदुओं मान्यताओं में पूजनीय माना जाता है। गाय पशु नही बल्कि हमारे अर्थ व्यवस्था का अंग रहा है। गाय जन्म से लेकर अपनी मौत तक दुध, गोबर, मूत्र तथा मृत्यु के बाद भी मानव के लिए अत्यंत उपयोगी है। इसलिए गाय को एक पशु नही, एक माता के रूप में मान्यता है। लेकिन भारत में मुगलों के आगमन के बाद हिंदुओं की धर्मान्तरण के गौहत्या कर मांस भक्षण शुरू हुआ। इसके पूर्व धार्मिक भावना के कारण गौ हत्या अपराध ही माना जाता रहा है।

ऐसा लग रहा है कि मोदी सरकार की लोकप्रियता से विपक्ष इतना डरा हुआ है कि विरोध करने के लिए कांग्रेस ने वह किया जिसका चारों तरफ विरोध किया जा रहा है। केरल पुलिस ने गो हत्या और इसकी ब्रिकी करने वाले 16 युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। कन्नूर में  गो हत्या कर बीफ खाने की पार्टी आयोजन किया और इसके मीट को आसपास के लोगों में बांटा। पुलिस ने मामले में जानकारी देते हुए बताया कि जिस जानवर का वध किया गया उसे एक टेंपो में लादकर लाया गया था जो कि नियम का उल्लंघन है।

कांग्रेस ने पहले तो कहा कि वे पार्टी से जुड़े लोग नही है। लेकिन भाजपा नेता के द्वारा जारी किया गया वीडियो है जिसमें वहाँ के युवा कांग्रेस के लोग झंडे और नारेबाजी करते हुए दिख रहे हैं। चारों तरफ से विरोध के बाद कांग्रेस के तीन कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकाल दिया है। इससे कांग्रेस उपाध्य राहुल गांधी ने इसकी निंदा की है। उनके ट्विटर के जरिए घटना पर अपना विरोध जताया। राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, ‘कल केरल में जो भी हुआ उसका उसे मैं बिल्कुल भी स्वीकार नहीं सकता और ना ही कांग्रेस पार्टी इसे स्वीकारती है। मैं इस घटना का पुरजोर विरोध करता हूं।ये ट्वीट कांग्रेस उपाध्यक्ष ने 28 मई (2017) को किया था। लेकिन बहुसंख्यकों में गौ हत्या पर कांग्रेसियों कों दोषी मान रहा है। कांग्रेस ने गाय नहीं काटी बल्कि 100 करोड़ हिन्दुओं को चुनौती दी है, 100 करोड़ हिन्दुओं की भावनाओं को भड़काने का काम किया है

केंद्र सरकार की नई अधिसूचना के अनुसार पशु (गाय, बैल, भैंस, ऊंट) को बाजार में लाकर इनकी हत्या किए जाने के इरादे खरीद ब्रिकी पर रोक लगा दी है। 23 मार्च को जारी की गई अधिसूचना के अनुसार धार्मिक उद्देश्यों के लिए जानवरों की हत्या किए जाने पर रोक लगाई गई है।


शनिवार, 21 जनवरी 2017

चरखा चलाने का अधिकार गांधी को है क्या ?








भारत के सोशल मीडिया पर खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के कैलेंडर पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर की काफी चर्चा हुई । सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसकी आलोचना की और कहा कि मोदी ने बापू की जगह ले ली । लेकिन चरखा चलाने का अधिकार गांधी को ही है। यदि देश का प्रधानमंत्री चरखा चलाकर देश के नागरिकों को आह्वान करता है। पुरे देश में खादी की मांग 35 % बढ़ जाती है। उस व्यक्ति का चित्र वह विभाग अपने कैलेंडर पर लगता है तो कुछ कांग्रेसियो के पेट में दर्द होना स्वभाविक है। लेकिन महात्मा गांधी पर उनका अधिकार नही है अधिकार भी देश की जनता का है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि आदरणीय महात्मा गांधी को कोई रिप्लेस नहीं कर सकता है और ना केवल और खादी ग्राम उद्योग के अभी तो भारतवर्ष के हम सब की आत्मा महात्मा गांधी हैं।


इसके पूर्व में 'खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग' के कैलेंडर पर गांधी की ही तस्वीर होनी चाहिए, उन्हें ये जानना चाहिए कि ऐसा कोई नियम नहीं है। इसलिए किसी नियम का उल्लघंन नहीं हुआ हैं। गांधी जी खादी ग्रामोद्योग की आत्मा हैं उनके दर्शन के अनुसार ही वहां काम होता है। साल 1996, 2002, 2005, 2011, 2012 और 2013 में विभाग ने कैलेंडर पर महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं थी। वहीं खादी ग्राम उद्योग के चेयरमैन ने भी कहा है कि ये तस्वीर 2016 के खादी ग्राम उद्योग में से ली गई है, जहां पर पीएम ने 500 महिलाओं को चरखे दिए थे। भाजपा प्रवक्ता  बोले कि मोदी जी ने नारा दिया था कि खादी मतलब भारत और भारत मतलब खादी। भाजपा ने कहा कि एक पॉलिटिकल पार्टी ऐसी है जिन्होंने गांधी के नाम का इस्तेमाल कर शासन किया जब कि उनका गांधी से कोई लेना देना नहीं है। वे गांधीजी के नाम का दुरुपयोग करते रहे हैं और उनके नाम का राजनीतिकरण किया है। हमने तो गांधी जी के दर्शन को आगे बढ़ाया है।



तमिलनाडू का एक उत्सव - जल्लीकट्टू

तमिलनाडू में पोंगल पर होने वाली जल्लीकट्टू को सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबन्ध को लेकर आन्दोलन हो रहा है। यह आन्दोलन 8 जनवरी को तमिलनाडु राज्य भर से छात्र और युवा चेन्नई के मरिना ब्रज पर इकट्ठे हुए और जल्लीकट्टू पर पाबंदी के विरोध में रैली निकाली। तमिलों का यह आन्दोलन शांति पूर्वक मरीना ब्रज पर हो रहा है। इसमें सभी छात्रों, युवाओं तथा गणमान नागरिक भी शामिल हो रहे है। तमिलनाडू के मुख्यमंत्री प्रधानमत्री से मिले तथा राज्य की ताजा स्थिति से अवगत कराया हुए -एक अध्यादेश राज्य सरकार की ओर से दे दिया। प्रधानमत्री  नरेन्द्र मोदी ने कहा कि तमिलनाडू के लोगों की सांस्कृतिक आकांक्षाओ को पूरा करने के लिए हर तरह से प्रयास किया जायेगा तमिलनाडू की संस्कृति पर हमे गर्व है।

हम जिसे मकर संक्रांति कहते है तमिलनाडू में पोंगल त्यौहार कहते है, इस अवसर पर नए फसल के बाद उत्सव के रूप सैकड़ो वर्षो से बैलों को दौड़ाया जाता है, फिर उसे काबू में किया जाता है। जो व्यक्ति बैल को काबू करता उसे पुरस्कार के रूप में बैल के सिंग में बधे सोने या चाँदी सिक्के मिलते है। लेकिन 7 मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश का कानून खारिज करते हुए जल्लीकट्टू पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी। पाबंदी का कारण मुख्य रूप से जानवरों के प्रति क्रूरता रोकना और बैलों को संरक्षण देना है।
तमिलनाडू सरकार तथा आम जनता को भी यह समझना चाहिए कि यदि उचित रूप से जल्लीकट्टू का संचालित हो, जिससे जल्लीकट्टू प्राणियों को यंत्रणा देने का खेल नहीं होना चाहिए। इसकी वजह से पशु प्रेमियों को पूरे खेल को ही खराब नहीं समझना चाहिए। इसमें भागीदारों के घायल होने, दर्शकों के लिए सुरक्षा का ध्यान तथा अन्य आपत्तियां पर सुरक्षा का उचित व्यवस्था होनी चाहिए। यदि उचित सावधानी बरतने से खतरा को काबू किया जा सकते हैं। खतरा तो क्रिकेट में भी पिछले साल एक खिलाडी को बाल लगने से मैदान में ही मौत हो गई। क्या क्रिकेट को भी प्रतिबन्ध कर दिया जाये।
समस्या यह भी कि हिन्दू संस्कृति से सम्बधित कोई भी मामला हो तो तुरंत कोर्ट प्रतिबद्ध लगा देता है, चाहे दीपावली हो, मट्टका फोड़ या जल्लीकट्टू लेकिन बकरीद, तलाक, अन्य पशु वध पर जैसे- गौ हत्या, क्रिसमस पर गाय काटे जाते है। इस पर सभी कोर्ट मौन हो जाते है। किसी भी समस्या का हल निकला जाना चाहिए। जल्लीकट्टू पर प्रशासन को सुरक्षा का पूरा ध्यान दिया जाये। बैलों का भी मेडिकल जाँच हो, आयोजक द्वारा प्रशिक्षित बैलों हो, आयोजन के दौरान डॉक्टरों की मौजूदगी, प्रशासनिक उपायों से इसे नियंत्रण में लाया जा सकता है। 
#Jallikattu #Tamilnadu #tamilsVsPETA 

गुरुवार, 19 जनवरी 2017

ममता बनर्जी मुस्लिम वोटबैंक में अंधी हो चुकी ?


उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कोलकाता में रैली की अनुमति देकर पुलिस और ममता सरकार को नसीहत दी। 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन संघ ब्रिगेड परेड ग्राउंड में रैली करना चाहता था। लेकिन राज्य सरकार के इशारे पर कोलकाता पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। जिसके बाद संघ ने कलकत्ता हाईकोर्ट से अनुमति की माँग की। संघ ने हाईकोर्ट को बताया कि संघ के द्वारा मकरसंक्राति का उत्सव प्रतिवर्ष मनाया जाता है। संघ बंगाल में 1939 से कोलकाता में भी काम कर रहा हैं। लेकिन आज तक पुलिस प्रशासन ने सहयोग किया है लेकिन किसी के इशारे से हमें रोका जा रहा है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने संघ को मकर संक्रांति उत्सव पर अपना कार्यक्रम करने की अनुमति दे दी। वही कलकत्ता पुलिस को फटकारते हुआ पुलिस आयुक्त को कोर्ट ने शो काज नोटिस भी देकर दो सप्ताह के अंदर हलफनामा देकर जबाब माँगा है।
इस खबर से जहाँ हिंदुओं में उत्साह आ गया। पिछले कई दिनों से बंगाल के कई हिस्सों से मुसलमानों द्वारा हिंदुओं पर अत्याचार किया जा रहा है। लेकिन ममता सरकार उचित कार्यवाही दूर मुसलमानों को उकसाया जा रहा हैं। इसका मतलब है कि मुस्लिम वोट बैंक को ममता अपने साथ रखना चाहती है। लेकिन मुस्लिम वोट बैंक किसी भी पार्टी के नहीं है। पहले कांग्रेस के साथ थे फिर कम्युनिस्ट पार्टी के साथ लेकिन आज ममता के साथ है। अगर मौका लगा तो अगली बार भाजपा के साथ हो जायेगी।