भारत के सोशल मीडिया
पर खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के कैलेंडर पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर की काफी
चर्चा हुई । सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसकी आलोचना की और कहा कि मोदी ने बापू की
जगह ले ली । लेकिन चरखा चलाने का अधिकार गांधी को ही है। यदि देश का प्रधानमंत्री
चरखा चलाकर देश के नागरिकों को आह्वान करता है। पुरे देश में खादी की मांग 35
% बढ़ जाती है। उस
व्यक्ति का चित्र वह विभाग अपने कैलेंडर पर लगता है तो कुछ कांग्रेसियो के पेट में
दर्द होना स्वभाविक है। लेकिन महात्मा गांधी पर उनका अधिकार नही है अधिकार भी देश
की जनता का है। भाजपा प्रवक्ता ने
कहा कि आदरणीय महात्मा गांधी को कोई रिप्लेस नहीं कर सकता है और ना केवल और खादी
ग्राम उद्योग के अभी तो भारतवर्ष के हम सब की आत्मा महात्मा गांधी हैं।
इसके पूर्व में 'खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग' के कैलेंडर पर गांधी की ही तस्वीर होनी चाहिए, उन्हें ये जानना चाहिए कि ऐसा कोई नियम नहीं है। इसलिए
किसी नियम का उल्लघंन नहीं हुआ हैं। गांधी जी खादी ग्रामोद्योग की आत्मा हैं उनके
दर्शन के अनुसार ही वहां काम होता है। साल 1996, 2002, 2005, 2011, 2012
और 2013 में विभाग ने कैलेंडर पर महात्मा गांधी की तस्वीर
नहीं थी।
वहीं खादी ग्राम
उद्योग के चेयरमैन ने भी कहा है कि ये तस्वीर 2016 के खादी ग्राम उद्योग में से ली
गई है, जहां पर पीएम ने 500 महिलाओं को चरखे दिए थे। भाजपा प्रवक्ता बोले कि मोदी जी ने नारा दिया था कि खादी मतलब
भारत और भारत मतलब खादी। भाजपा ने कहा कि एक पॉलिटिकल पार्टी ऐसी है जिन्होंने
गांधी के नाम का इस्तेमाल कर शासन किया जब कि उनका गांधी से कोई लेना देना नहीं है।
वे गांधीजी के नाम का दुरुपयोग करते रहे हैं और उनके नाम का राजनीतिकरण किया है।
हमने तो गांधी जी के दर्शन को आगे बढ़ाया है।
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