शनिवार, 21 जनवरी 2017

चरखा चलाने का अधिकार गांधी को है क्या ?








भारत के सोशल मीडिया पर खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के कैलेंडर पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर की काफी चर्चा हुई । सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसकी आलोचना की और कहा कि मोदी ने बापू की जगह ले ली । लेकिन चरखा चलाने का अधिकार गांधी को ही है। यदि देश का प्रधानमंत्री चरखा चलाकर देश के नागरिकों को आह्वान करता है। पुरे देश में खादी की मांग 35 % बढ़ जाती है। उस व्यक्ति का चित्र वह विभाग अपने कैलेंडर पर लगता है तो कुछ कांग्रेसियो के पेट में दर्द होना स्वभाविक है। लेकिन महात्मा गांधी पर उनका अधिकार नही है अधिकार भी देश की जनता का है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि आदरणीय महात्मा गांधी को कोई रिप्लेस नहीं कर सकता है और ना केवल और खादी ग्राम उद्योग के अभी तो भारतवर्ष के हम सब की आत्मा महात्मा गांधी हैं।


इसके पूर्व में 'खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग' के कैलेंडर पर गांधी की ही तस्वीर होनी चाहिए, उन्हें ये जानना चाहिए कि ऐसा कोई नियम नहीं है। इसलिए किसी नियम का उल्लघंन नहीं हुआ हैं। गांधी जी खादी ग्रामोद्योग की आत्मा हैं उनके दर्शन के अनुसार ही वहां काम होता है। साल 1996, 2002, 2005, 2011, 2012 और 2013 में विभाग ने कैलेंडर पर महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं थी। वहीं खादी ग्राम उद्योग के चेयरमैन ने भी कहा है कि ये तस्वीर 2016 के खादी ग्राम उद्योग में से ली गई है, जहां पर पीएम ने 500 महिलाओं को चरखे दिए थे। भाजपा प्रवक्ता  बोले कि मोदी जी ने नारा दिया था कि खादी मतलब भारत और भारत मतलब खादी। भाजपा ने कहा कि एक पॉलिटिकल पार्टी ऐसी है जिन्होंने गांधी के नाम का इस्तेमाल कर शासन किया जब कि उनका गांधी से कोई लेना देना नहीं है। वे गांधीजी के नाम का दुरुपयोग करते रहे हैं और उनके नाम का राजनीतिकरण किया है। हमने तो गांधी जी के दर्शन को आगे बढ़ाया है।



तमिलनाडू का एक उत्सव - जल्लीकट्टू

तमिलनाडू में पोंगल पर होने वाली जल्लीकट्टू को सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबन्ध को लेकर आन्दोलन हो रहा है। यह आन्दोलन 8 जनवरी को तमिलनाडु राज्य भर से छात्र और युवा चेन्नई के मरिना ब्रज पर इकट्ठे हुए और जल्लीकट्टू पर पाबंदी के विरोध में रैली निकाली। तमिलों का यह आन्दोलन शांति पूर्वक मरीना ब्रज पर हो रहा है। इसमें सभी छात्रों, युवाओं तथा गणमान नागरिक भी शामिल हो रहे है। तमिलनाडू के मुख्यमंत्री प्रधानमत्री से मिले तथा राज्य की ताजा स्थिति से अवगत कराया हुए -एक अध्यादेश राज्य सरकार की ओर से दे दिया। प्रधानमत्री  नरेन्द्र मोदी ने कहा कि तमिलनाडू के लोगों की सांस्कृतिक आकांक्षाओ को पूरा करने के लिए हर तरह से प्रयास किया जायेगा तमिलनाडू की संस्कृति पर हमे गर्व है।

हम जिसे मकर संक्रांति कहते है तमिलनाडू में पोंगल त्यौहार कहते है, इस अवसर पर नए फसल के बाद उत्सव के रूप सैकड़ो वर्षो से बैलों को दौड़ाया जाता है, फिर उसे काबू में किया जाता है। जो व्यक्ति बैल को काबू करता उसे पुरस्कार के रूप में बैल के सिंग में बधे सोने या चाँदी सिक्के मिलते है। लेकिन 7 मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश का कानून खारिज करते हुए जल्लीकट्टू पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी। पाबंदी का कारण मुख्य रूप से जानवरों के प्रति क्रूरता रोकना और बैलों को संरक्षण देना है।
तमिलनाडू सरकार तथा आम जनता को भी यह समझना चाहिए कि यदि उचित रूप से जल्लीकट्टू का संचालित हो, जिससे जल्लीकट्टू प्राणियों को यंत्रणा देने का खेल नहीं होना चाहिए। इसकी वजह से पशु प्रेमियों को पूरे खेल को ही खराब नहीं समझना चाहिए। इसमें भागीदारों के घायल होने, दर्शकों के लिए सुरक्षा का ध्यान तथा अन्य आपत्तियां पर सुरक्षा का उचित व्यवस्था होनी चाहिए। यदि उचित सावधानी बरतने से खतरा को काबू किया जा सकते हैं। खतरा तो क्रिकेट में भी पिछले साल एक खिलाडी को बाल लगने से मैदान में ही मौत हो गई। क्या क्रिकेट को भी प्रतिबन्ध कर दिया जाये।
समस्या यह भी कि हिन्दू संस्कृति से सम्बधित कोई भी मामला हो तो तुरंत कोर्ट प्रतिबद्ध लगा देता है, चाहे दीपावली हो, मट्टका फोड़ या जल्लीकट्टू लेकिन बकरीद, तलाक, अन्य पशु वध पर जैसे- गौ हत्या, क्रिसमस पर गाय काटे जाते है। इस पर सभी कोर्ट मौन हो जाते है। किसी भी समस्या का हल निकला जाना चाहिए। जल्लीकट्टू पर प्रशासन को सुरक्षा का पूरा ध्यान दिया जाये। बैलों का भी मेडिकल जाँच हो, आयोजक द्वारा प्रशिक्षित बैलों हो, आयोजन के दौरान डॉक्टरों की मौजूदगी, प्रशासनिक उपायों से इसे नियंत्रण में लाया जा सकता है। 
#Jallikattu #Tamilnadu #tamilsVsPETA 

गुरुवार, 19 जनवरी 2017

ममता बनर्जी मुस्लिम वोटबैंक में अंधी हो चुकी ?


उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कोलकाता में रैली की अनुमति देकर पुलिस और ममता सरकार को नसीहत दी। 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन संघ ब्रिगेड परेड ग्राउंड में रैली करना चाहता था। लेकिन राज्य सरकार के इशारे पर कोलकाता पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। जिसके बाद संघ ने कलकत्ता हाईकोर्ट से अनुमति की माँग की। संघ ने हाईकोर्ट को बताया कि संघ के द्वारा मकरसंक्राति का उत्सव प्रतिवर्ष मनाया जाता है। संघ बंगाल में 1939 से कोलकाता में भी काम कर रहा हैं। लेकिन आज तक पुलिस प्रशासन ने सहयोग किया है लेकिन किसी के इशारे से हमें रोका जा रहा है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने संघ को मकर संक्रांति उत्सव पर अपना कार्यक्रम करने की अनुमति दे दी। वही कलकत्ता पुलिस को फटकारते हुआ पुलिस आयुक्त को कोर्ट ने शो काज नोटिस भी देकर दो सप्ताह के अंदर हलफनामा देकर जबाब माँगा है।
इस खबर से जहाँ हिंदुओं में उत्साह आ गया। पिछले कई दिनों से बंगाल के कई हिस्सों से मुसलमानों द्वारा हिंदुओं पर अत्याचार किया जा रहा है। लेकिन ममता सरकार उचित कार्यवाही दूर मुसलमानों को उकसाया जा रहा हैं। इसका मतलब है कि मुस्लिम वोट बैंक को ममता अपने साथ रखना चाहती है। लेकिन मुस्लिम वोट बैंक किसी भी पार्टी के नहीं है। पहले कांग्रेस के साथ थे फिर कम्युनिस्ट पार्टी के साथ लेकिन आज ममता के साथ है। अगर मौका लगा तो अगली बार भाजपा के साथ हो जायेगी।