शनिवार, 28 अगस्त 2021

अफगानिस्तान - कभी हिन्दूराष्ट्र और अखंड भारत का हिस्सा था -

 

अफगानिस्तान में तालिबान का शासन कायम हो चुका है। बम और बंदूक के दम पर आतंकी संगठन तालिबान ने लोकतंत्र तरीके से बनी अफगानिस्तान की सरकार को हटा दिया है। भारत और अफगानिस्तान का संबंध एक दशक, एक सदी या फिर हजार साल का नहीं है। किसी वक्त अफगानिस्तान हिंदुस्तान का ही हिस्सा हुआ करता था। महाभारत काल से ही भारत का रिश्ता तब के गांधार और अब के कंधार से रहा है। महाभारत काल से है हिंदुस्तान का अफगानिस्तान से रिश्ता रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान राज से हम भारत के लोगों पर क्या असर होगा और आने वाले दिनों में हिंदुस्तान के साथ अफगानिस्तान के रिश्ते कैसे रहने वाले हैं।1800 में महाराजा रणजीत सिंह की सेना ने अहमद शाह अब्दाली के बेटे शुजा शाह दुर्रानी को हरा कर   अफगान राज्य पर कब्जा कर कोहिनूर हीरे को वापस भारत मे ले आये थे। 1970 में अफगानिस्तान खुले विचारों तथा महिलाओं की आजाद पूर्वक रहने वाला देश था। लेकिन 1990 में इस्लामिक कट्टरपंथी आतंकी संगठन तालिबान और अलकायदा के कारण नरक बन गया है       

भारतवर्ष के आर्यावर्त, जम्बूद्वीप, तथा भारतखण्ड जैसा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा की तरह ही अफगानिस्तान पहले अखण्ड भारत का हिस्सा हुआ करता था। करीब 3,500 साल पहले एकेश्वरवादी धर्म की स्थापना करने वाले दार्शनिक जोरास्टर यहीं रहते थे। 13 वीं शताब्दी के महान कवि रूमी का जन्म भी अफगानिस्तान में ही हुआ था। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी और महान संस्कृत व्याकरणाचार्य पाणिनी यही के बाशिंदे थे।

अफगानिस्तान की मूल जाति पख्तूेन है।जिसे पख्तून पठान या पठान कोपहले पक्ता कहा जाता था।ऋग्वेद के चैथे खंड के 44वें श्लोक में भी पख्तूनों का वर्णन श्पक्त्याकयश् नाम से मिलता है।इसी तरह तीसरे खंड का 91वें श्लोक आफरीदी कबीले का जिक्र श्आपर्यतयश् के नाम से करता है। सुदास संवरण के बीच हुए दाशराज्ञ युद्घ में ‘पख्तूनोंश् का उल्लेख पुरू (ययाति के कुल के) कबीले के सहयोगियों के रूप में हुआ है। महाभारत में गांधारी के देश के अनेक संदर्भ मिलते हैं।हस्तिनापुर के राजा संवरण पर जब सुदास ने आक्रमण किया तो संवरण की सहायता के लिए जो पस्थश्लोग पश्चिम से आएवे पठान ही थे।

अफगानिस्तान की मूल जाति पख्तूेन है।जिसे पख्तून पठान या पठान कोपहले पक्ता कहा जाता था।ऋग्वेद के चैथे खंड के 44वें श्लोक में भी पख्तूनों का वर्णन श्पक्त्याकयश् नाम से मिलता है।इसी तरह तीसरे खंड का 91वें श्लोक आफरीदी कबीले का जिक्र श्आपर्यतयश् के नाम से करता है। सुदास संवरण के बीच हुए दाशराज्ञ युद्घ में ‘पख्तूनोंश् का उल्लेख पुरू (ययाति के कुल के) कबीले के सहयोगियों के रूप में हुआ है। महाभारत में गांधारी के देश के अनेक संदर्भ मिलते हैं। 

जिन नदियों को आजकल हम आमू, काबुल, कुर्रम, रंगा, गोमल,हरिरुद आदि नामों से जानते हैं, उन्हें प्राचीन भारतीय लोग क्रमशरू वक्षु, कुभा, कुरम, रसा, गोमती, हर्यू या सर्यू के नाम से जानते थे। प्राचीन संस्कृत साहित्य में कंबोज देश मिलता है। कंबोज देश का विस्तार कश्मीर से हिंदूकुश तक था। वंश-ब्राह्मण में कंबोज औपमन्यव नामक आचार्य का उल्लेख मिलता है। वैदिक काल में कंबोज आर्य-संस्कृति का केंद्र था जैसा कि वंश ब्राह्मण के उल्लेख से मिलता है, किंतु कालांतर में जब आर्यसभ्यता पूर्व की ओर बढ़ती गई तो कंबोज आर्य-संस्कृति से बाहर समझा जाने लगा। वे सभी वैदिक धर्म का पालन करते थे, फिर बौद्ध धर्म के प्रचार के बाद यह स्थान बौद्धों का गढ़ बन गया। यहां के सभी लोग ध्यान और रहस्य की खोज में लग गए। चीनी यात्री युवानच्वांग ने इस्लामव अफगानिस्तान के बौद्धकाल का इतिहास लिखा है। गौतम बुद्ध अफगानिस्तान में लगभग 6 माह ठहरे थे। बौद्धकाल में अफगानिस्तान की राजधानी बामियान हुआ करती थी। बामियान में भगवान बुद्ध की प्रतिमा को 2001 में तालिबान ने बमों से  एक ऐतिहासिक नष्ट कर था ईरान के पार्थियन तथा भारतीय शकों के बीच बंटने के बाद अफगानिस्तान के आज के भू-भाग पर सासानी शासन आया।

अफगानिस्तान के बामियान, जलालाबाद, बगराम, काबुल, बल्ख आदि स्थानों में अनेक मूर्तियों, स्तूपों, संघारामों, विश्वविद्यालयों और मंदिरों के अवशेष मिलते हैं। काबुल के आसामाई मंदिर को 2,000 साल पुराना बताया जाता है। आसामाई पहाड़ पर खड़ी पत्थर की दीवार को हिन्दूशाहोंश् द्वारा निर्मित परकोटे के रूप में देखा जाता है। काबुल का संग्रहालय बौद्घ अवशेषों का खजाना रहा है। अफगान अतीत की इस धरोहर को पहले इस्लामिक मुजाहिदीन और अब तालिबान ने लगभग नष्ट कर दिया है। बामियान की सबसे ऊंची और विश्वप्रसिद्घ बुद्घ प्रतिमाओं को भी उन्होंने लगभग नष्ट कर दिया।

इस्लाम के आगमन के बाद यहां एक नई क्रांति की शुरुआत हुई। बुद्ध के शांति के मार्ग को छोड़कर ये लोग क्रांति के मार्ग पर चल पड़े। शीतयुद्ध के दौरान अफगानिस्तान को तहस-नहस कर दिया गया। यहां की संस्कृति और प्राचीन धर्म के चिह्न मिटा दिए गए। 



1989 में अफगानिस्तान से सोवियत संघ ( रूस ) भी भागा था, आज अमेरिका भी भाग रहा है 

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस , अखंड भारत और भारत की 75 वां स्वतंत्रता दिवस का अमृतमहोत्सव

भारत का गौरवशाली इतिहास

भारत में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी