भारत अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस पर अमृतमहोत्सव मना रहा है, और प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा घोषणा किया है कि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त दंगो
में मारे गए लाखों लोगों को याद किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा कि इस दिन को कभी भुलाया नहीं जा सकता। पीएम मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए
जानकारी दी कि अब से 14 अगस्त को विभाजन
विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horrors
Remembrance Day) के तौर पर मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस घोषणा को लेकर 14 अगस्त को केंद्रीय
गृह मंत्रालय की ओर से ‘भारत सरकार का
राजपत्र’ गजट जारी किया गया। इस अधिसूचना में जहां भारत के लोग, आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए अपनी प्रिय
मातृभूमि के उन बेटों एवं बेटियों को नमन करते हैं, जिनको भारत के विभाजन के दौरान अपने प्राण न्योछावर करने पड़े
थे, और जहां भारत सरकार ने विभाजन के दौरान अपने प्राण
गंवाने वाले लोगों की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’के रूप में घोषित करने का निर्णय लिया है। अतः भारत सरकार, भारत की वर्तमान और
भावी पीढ़ियों को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना एवं वेदना का स्मरण
दिलाने के लिए 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’के रूप में घोषित करती है।
द्वितीय विश्वयुद्ध के हार के बाद ब्रिटिश, सैनिक व आर्थिक रूप से कमजोर हो चुका था।अन्य देश को चलाने के लिए आर्थिक तंगी के कारण उपनिवेश देशों आजाद करने लगे थे। इसी क्रम में भारत को भी आजाद करने के लिए उन्होंने ब्रिटिश पार्लियामेंट में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत 18 जुलाई 1947 को प्रस्ताव पारित किया। उस समय भारतवर्ष की जनसंख्या के अनुसार हिन्दू और मुस्लिम द्विराष्ट्र सिध्दांत के आधार पर विभाजन किया जाना तय हुआ था। अतः भारत देश हिन्दूओ के लिए तथा नया देश पाकिस्तान में मुस्लिमों के लिए दो देश में विभाजन किया गया, पहला भारत बना दूसरा पाकिस्तान नया बना। पाकिस्तान के गठन के समय भारत के पश्चिमी क्षेत्र में सिंधी, पठान, बलोच, पंजाब और मुजाहिरों की बड़ी संख्या थी, इसे पश्चिम पाकिस्तान कहा जाता था। जबकि भारत के पूर्व हिस्से में बंगाली बोलने वालों का बहुमत था, इसे पूर्व पाकिस्तान कहा जाता था। 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश अलग देश बना। भारत में 556 रियासतों को विलय कर लोकतांत्रिक संप्रभुत राष्ट्र बना है।
भारत विभाजन के एक वर्ष बाद जिन्ना की टीवी बीमारी से मौत हो गई। अंग्रेजों ने 20 वर्ष पहले ही भारत का विभाजन की तैयारी शुरू कर दिया था। इसे रोका जा सकता था, लेकिन उस समय के नेताओं ने भारत की सत्ता प्राप्त करने के लिए भारत के विभाजन को स्वीकार किया। इसमें महात्मा गाँधी पंडित नेहरू सरदार पटेल सहित कांग्रेस के सरे नेता जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के विभाजन को स्वीकार किया । प्रधानमंत्री मोदी ने स्वत्रंतता के 75 वर्ष में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मानने की बात कह कर एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है। कंही न कही से अखंड भारत का रूप में एक सन्देश भी हो सकता है तथा कांग्रेस पार्टी ने भारत के विभाजन को स्वीकार किया यह बात आज के युवा पीढ़ी तक पहुचना भी था।
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