गुरुवार, 18 मार्च 2021

बांग्लादेश के उदय के 50 साल पूरे होने पर आयोजित होने वाले समारोहों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'मुजीब जैकेट' के साथ शामिल होगें



बांग्लादेश की पाकिस्तान से (मुक्ति दिवस ) आजादी के 50 साल पूरे होने के अवसर पर इस माह आयोजित होने वाले समारोहों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नेपाल, श्रीलंका, भूटान और मालदीव की सरकारों के प्रमुखों सहित विश्व के कई नेता हिस्सा लेंगे। वर्ष 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के बाद पाकिस्तान से देश को आजादी मिलने की 50 वीं वर्षगांठ पर 17 से 27 मार्च तक विभिन्न समारोहों का आयोजन किया जाना है। आजादी की 50 वीं वर्षगांठ और राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी साथ-साथ मनाई जायेगी। बांग्लादेश सरकार के प्रधान सूचना अधिकारी सुरथ कुमार सरकार ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल, श्रीलंका, भूटान और मालदीव के राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष अलग-अलग कार्यक्रमों में शिरकत करने वाले विशिष्ट विदेशी मेहमानों में शामिल होंगे।

प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय यात्रा पर 26 मार्च को आएंगे। भारत में खादी के मुजीब जैकेट के साथ मुख्य स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होंगे। यह मौका बांग्लादेश-भारत के राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने का भी होगा। सरकार ने बताया कि विदेशी गणमान्य अतिथि राष्ट्रपिता की जन्म शताब्दी के मौके पर बंगबंधु संग्रहालय भी जाएंगे। बांग्लादेश ने स्वतंत्रता के 50 साल पूरे होने और बंगबंधु की जन्म शताब्दी के मौके पर भव्य समारोहों के आयोजन की योजना बनाई थी लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण उसे अपनी योजना में बदलाव करना पड़ा।

ब्रिटिश पार्लियामेंट में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत भारतवर्ष का जनसंख्या के अनुसार पर हिन्दू और मुस्लिम द्विराष्ट्र सिध्दांत के आधार पर  विभाजन किया जाना तय हुआ था अतः भारत देश हिन्दूओ के लिए तथा नया देश पाकिस्तान में मुस्लिमों के लिए दो देश में विभाजन किया गया, पहला भारत बना दूसरा पाकिस्तान बना। पाकिस्तान के गठन के समय भारत के पश्चिमी क्षेत्र में सिंधी, पठान, बलोचपंजाब और मुजाहिरों की बड़ी संख्या थी, इसे पश्चिम पाकिस्तान कहा जाता था। जबकि भारत के पूर्व हिस्से में बंगाली बोलने वालों का बहुमत था, इसे पूर्व पाकिस्तान कहा जाता था। पूरबी पाकिस्तान भाग में राजनैतिक चेतना की कभी कमी नहीं रही लेकिन पूर्वी हिस्सा पाकिस्तान की सत्ता में कभी भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका, हमेशा राजनीतिक रूप से उपेक्षित रहा। यहाँ तक की सभी को उर्दू पढ़ना, लिखना और बोलने का आदेश दिया गया था। बंगाली भाषा की उपेक्षा को लेकर पूर्वी पाकिस्तान में भारी विरोध हो रहा था इससे पूर्वी पाकिस्तान के लोगों में जबर्दस्त नाराजगी थी। इसी नाराजगी के परिणाम स्वरुप उस समय 1969 में पूर्व पाकिस्तान के नेता शेख मुजीब-उर-रहमान ने अवामी लीग का गठन किया और पाकिस्तान के अंदर ही स्वायत्तता की मांग की। 1970 में हुए आम चुनाव में पूर्वी क्षेत्र में शेख की पार्टी ने जबर्दस्त विजय हासिल की। उनके दल ने संसद में बहुमत भी हासिल किया। उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के बजाय उन्हें जेल में डाल दिया गया। यहीं से पाकिस्तान के विभाजन की नींव रखी गई। 

पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली बोलने वाले पर अत्याचार किया जाने लगा। बंगाली भाषी लोगों को पकड़कर जेल भेजना तथा गोली मार का 3 लाख लोगों का नरसंहार किया जाने लगा। उनकी महिलाओं के साथ तो सबसे बुरा बर्ताव किया गया, महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार कर हत्या किया गया खासकर हिन्दुओं के साथ तो बहुत ही जघन्य अपराध किया गया था। यह सब पाकिस्तानी सेना और वहाँ की पुलिस कर रही थीं। 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान के कई हिस्से में जबर्दस्त 3 लाख नरसंहार हुआ। इससे पाकिस्तानी सेना में काम कर रहे पूर्वी क्षेत्र के निवासियों में जबर्दस्त रोष हुआ और उन्होंने अलग मुक्ति वाहिनी बना ली। पाकिस्तानी फौज का निरपराध, हथियार विहीन लोगों पर अत्याचार जारी रहा। बंगला भाषी लोग अपनी जान बचाने के लिए भारत के पश्चिम बंगाल असम त्रिपुरा में 10 लाख शरणार्थी पहुँचने लगे जिससे भारत की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी थीभारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लगातार अपील की कि पूर्वी पाकिस्तान की स्थिति सुधारी जाए, लेकिन किसी देश ने ध्यान नहीं दिया। जब वहां के विस्थापित लगातार भारत आते रहे तो अप्रैल 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुक्ति वाहिनी को समर्थन देकर, बांग्लादेश को आजाद करवाने का निर्णय लिया। 

भारतीय सेना ने दोनों तरफ पूर्वी पाकिस्तान एवं पश्चिम पाकिस्तान पर  जबरदस्त हमला कर दिया था। 3 दिसंबर को पाकिस्तान ने कश्मीर से गुजरात के सभी हवाई अडडा पर हमला कर दिया, थोड़ी देर अगेजी  समाचार में पाकिस्तान ने हमला कर दिया। सेना को तुरन्त जबाब देना पड़ा। 

थल सेना ने पश्चिमी छोर से जबरजस्त जबाबी कारवाही शुरू किया। पाकिस्तान के पजाब सिंध कश्मीर के इलाके के 5 हजार वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया था। जैसे लोंगोवाल फ्वाइत् पर पाकिस्तान की ओर से हमला हुआ द्य भारतीय सेना पहले से तैयार बैठी थी 23 पंजाबी रेजिमेंट के 120 जवानों ने मुकाबला किया द्य बहादुरी के साथ रात भर पाकिस्तानी सेना को रोक कर राखा। पाकिस्तानी सेना में 3000 सेना 58 टैक के साथ थी। सुबह होते ही भारतीय एयर र्फोर्स  से पाकिस्तानी सेना 52 टैक को उड़ दिया 6 टैक को कब्जा कर लिया। इसके हीरो ब्रिगेडियर कुलदीपसिंह थे।

इधर पूर्वी कमान प्रमुख जे स जैकब ने सीधा ढाका पहुँचकर उनके साथ मात्र 3000 सेना थी। उहोने ने कूटनीति का सहारा लेकर नियाजी के पास जाकर कहा की आप लोग समर्पण करो, आप और  आप के आदमी की सुरक्षा की गारंटी लेते है। 120 उसके बाद ऐसा नहीं किया तो सुरक्षा की गारंटी नहीं होगी और तुम्हे 30 मिनट का समय देता हूँ। स्वयं जाकर सरेंडर के कागज तैयार किया और  तीन बार पुनः पूछा और नियाज ने स्वीकार कर लिया। उस समय जिया के पास 30 हजार सेना थी। इस प्रकार 93 हजार सैनिको के साथ  आत्मसमर्पण किया।

अंत्यतः 16 दिसंबर 2971 कोनौ महीनों तक चले युद्ध के पश्चात्पूर्वी पाकिस्तान ने बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्रता घोषित कर दी।

16 दिसम्बर 1971 को भारत ने पाकिस्तान को हारकर इतिहास रचा था द्य 93 हजार पाकिस्तान की  सेना को घुटने टेकने के किए मजबूर कर दिया। उसके बाद उदय हुआ बाग्लादेश का ....


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