शुक्रवार, 12 मार्च 2021

नमक सत्याग्रह या दांडी यात्रा से अमृत महोत्सव

नमक सत्याग्रह या दांडी मार्च भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इस आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया था। महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को 78 सत्याग्रहियों के साथ अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी जिले के दांडी गांव के लिए पैदल कूच किया था। अंग्रेजों के नमक कानून के विरोध में गांधीजी ने दांडी मार्च कर 6 अप्रैल 1930 को सांकेतिक रूप से नमक बनाकर अंग्रेजी कानून को तोड़ा था, जिसके बाद उन्हें सत्याग्रहियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। इस आंदोलन ने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी।

1929 के कांग्रेस की लौहार अधिवेशन में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया जिसमें जवाहरलाल नेहरू को अध्यक्ष बनाकर तथा दूसरा पूर्ण स्वराज ( पूर्ण स्वतंत्रता) की घोषणा की गई। 26 जनवरी 1930 को भारत के सभी प्रमुख स्थानों में राष्ट्रीय ध्वजारोहण कर देशभक्ति की गीत गाकर स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसी समय गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ नमक सत्याग्रह की घोषणा की। यह कानून भारतीयों को मूल्य से 14 गुना अधिक कीमत पर बेचा जाता था। इस आंदोलन को लेकर गाँधी जी ने तत्कालीन वायसराय इर्विन को पत्र लिखकर सूचित किया। कहा कि भारत के सवार्धिक घृणित कानूनों में से एक है नमक का कानून इसे जल्द समाप्त किया जाये। प्रत्येक भारतीय के घर में नमक का उपयोग किया जाता है। यह भारत की जनता के भावना के अनुरूप बड़ा आंदोलन बन गया। 6 अप्रैल 1930 को वे दांडी पहुँच कर मुठ्ठी भर नमक उठाकर नमक कानून को तोड़ कर अंग्रेजों को ललकारा दिया। यही से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई।

नमक सत्याग्रह के स्मृति में केंद्र सरकार ने 12 मार्च 2021 से 15 अगस्त 2022 तक 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' मनाने की घोषणा की है। इसी सिलसिले में शुक्रवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के 91 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में अमृत महोत्सव की शुरुआत करते हुए इसकी वेबसाइट लॉन्च की। उन्होंने दांडी मार्च यात्रा को भी हरी झंडी दिखाई। इस यात्रा में शामिल 81 लोग 386 किमी की यात्रा कर 5 अप्रैल को दांडी पहुंचेंगे।




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