सोमवार, 1 मार्च 2021

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वदेशी को वैक्सीन लगवाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत बायोटेक की कोवैक्सिन लगवाई। जो कि भारत बायोटेक के द्वारा भारत के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों द्वारा स्वदेशी कोवैक्सीन बनाया गया है। जिसे लेकर विपक्ष ने संदेह व्यक्त किया तथा फिर से मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए थे। पुडुचेरी की नर्स ने टीका लगाया, केरल की नर्स पास खड़ी थीं और प्रधानमंत्री मोदी जी असम का गमछा पहने थे। लेकिन सुई की दर्द विपक्ष को हो रही है 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना का पहला टीका लगवा लिया है। उन्हें भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का प्रथम डोज दिया गया। प्रधानमंत्री सोमवार की सुबह असम का गमछा गले में डालकर दिल्ली AIIMS पहुंचे। यहां पुडुचेरी की पी निवेदा ने मोदी को टीका लगाया, इस दौरान केरल की सिस्टर रोसम्मा अनिल पास में खड़ी थीं। इन तीनों राज्यों में 27 मार्च से 6 अप्रैल तक विधानसभा चुनाव होने हैं। अब तक भारत बायोटेक की कोवैक्सिन विपक्ष के द्वारा सरकार पर आरोप लगाया जाता रहा है कि तीसरे चरण की वैक्सीन बिना क्लिनिकल टायल किये ही सरकार ने लॉन्च कर दिया। अभी भारत बायोटेक द्वारा प्रमाणित नही है। सरकार हड़बड़ी में लोगों के जान से खिलवाड़ कर रही है। इन सब बातों का अंत प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं को को वैक्सीन लगाकर कर दिया है। बार बार विपक्ष के कारण जनता में सन्देह बनाया जा रहा था कि भारत बायोटेक द्वारा बनाया गया को वैक्सीन अभी भी प्रारंभिक जांच में है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने भारत बायोटेक स्वदेशी निर्मित को वैक्सीन को टीकाकरण रोक दिया है। यहाँ पर कोशिड वैक्सीन लगाया जा रहा है।

भारत में कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण 1 मार्च से प्रारभ हो गया है। इस दुसरे चरण में 60 वर्ष से अधिक और 45 वर्ष से अधिक गंभीर के व्यक्तियों को लगाया जा रहा है भारत में लोगों को दो तरह की वैक्सीन दी जा रही है। एक का नाम है कोविशील्ड जिसे एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया जिसे भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने इसका उत्पादन किया और दूसरा टीका है भारतीय कंपनी भारत बायोटेक द्वारा बनाया गया कोवैक्सीन।

जहां जो भी वैक्सीन लगाई जा रही है, वहां के नियामकों ने उसे सुरक्षित बताया है। वैक्सीन के लिए पहले लैब में सेफ्टी ट्रायल शुरू किए जाते हैं, जिसके तहत कोशिकाओं और जानवरों पर परीक्षण और टेस्ट किए जाते हैं। इसके बाद इंसानों पर अध्ययन होते हैं लैब का सेफ्टी डेटा ठीक रहता है तो वैज्ञानिक वैक्सीन के असर का पता लगाने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।पूरे काम और निष्कर्ष को स्वतंत्र रूप से जांचा गया और सत्यापित किया गया। कोविड वैक्सीन के परीक्षण बहुत तेज़ गति से किए गए, लेकिन पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया।

भारत की स्वदेशी कोवैक्सीन के डेटा की कमी को लेकर शुरू में चिंताएं जताई गई थीं, लेकिन इस वैक्सीन को बनाने वाले भारत बायोटेक के अध्यक्ष डॉ. एला ने कहा कि 26,000 में से लगभग 24,000 वॉलंटियर्स तीसरे चरण के परीक्षण में भाग ले चुके हैं, और फरवरी तक वैक्सीन की एफिकेसी यानी वैक्सीन कितनी प्रभावी है, उसका डेटा उपलब्ध होगा।

वैक्सीन से साइड-इफ़ेक्ट हो सकता है -

वैक्सीन आपको कोई बीमारी नहीं देती, बल्कि आपके शरीर के इम्यून सिस्टम को उस संक्रमण की पहचान करना और उससे लड़ना सिखाती है, जिसके ख़िलाफ़ सुरक्षा देने के लिए उस वैक्सीन को तैयार किया गया है। वैक्सीन लगने के बाद कुछ लोगों को हल्के लक्षण हो  सकते हैं। ये कोई बीमारी नहीं होती, बल्कि वैक्सीन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया होती है।लगभग 10 में से एक व्यक्ति को जो सामान्य रिएक्शन हो सकता है वह भी कुछ दिन में ठीक हो जाता है, जैसे - बांह में दर्द होना, सरदर्द या बुख़ार होना, ठंड लगना, थकान होना, बीमार और कमज़ोर महसूस करना, सिर चकराना, मांसपेशियों में दर्द महसूस होना।

भारत में किसी वैक्सीन को तभी मंज़ूरी मिलती हैजब ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) ये फ़ैसला करता है कि वैक्सीन इस्तेमाल के लिए सुरक्षित और असरदार है।

इसी तरह अन्य देशों में भी नियामक होते हैं जो वैक्सीन के इस्तेमाल को मंज़ूरी देते हैं। मंज़ूरी के बाद भी वैक्सीन के असर पर नज़र रखी जाती है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि आगे इसका कोई दुष्प्रभाव या दीर्घकालिक जोखिम नहीं है। इसके बाद किन लोगों को पहले वैक्सीन दी जानी है, ये सरकारें तय करती हैं।

अतः में - मुझे भी कोविडशी वैक्सीन लगा है लेकिन मुझे अबतक ऐसा कुछ भी लक्षण नही दिखाई या महसूस नही हुआ। मैं बिल्कुल स्वास्थ्य हू 


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