रविवार, 21 फ़रवरी 2021

मालाबार दंगा या मोपला विद्रोह 1921 की



बात है आज से 100 वर्ष पूर्व की जब केरल के मालाबार क्षेत्र में मोपला मुसलमानों के द्वारा दंगा किया गया था। जिसे मालाबार का दंगा या मोपला विदोह 1921 कहा जाता है। इस हिंसा में 2500 से ज्यादा हिन्दू की हत्या, महिलाओं की अस्मिता हरण, सम्पति की लूटपाट और धर्मातरित कर मुसलमान बनाया गया था  इस घटना पर वीर सावरकर ने पुस्तक लिखी है जिसका नाम मोपला विद्रोह के नाम से जाना जाता है। आज ही केरल में Rss के वेश में कुछ दो व्यक्ति है पीछे में मुस्लिम समुदाय के लोग पकड़े हुए हैं। यह आज घटना की उस घटना 1921 की घटना 100वी साल का स्मरण भर नही बल्कि अलग मुस्लिम समुदाय की ओर से नया मुस्लिम राज्य की मांग की गई है। ( आज 2021 में भी कुछ मुस्लिम समुदाय के संगठन ने गजवा ए हिन्द की मानसिकता का माहौल बनाकर रखा गया है। सदियों से इस्लामिक भविष्यवाणी के अनुसार पूरी दुनिया में इस्लाम का शासन तभी सफल होगा जब हिन्द का शासक बेड़ियों मे जकड़ कर मुस्लिम खलीफा के सामने होगा। इसलिए भारत के शासक के प्रतीक RSS के गणवेशधारी व यूरोप (ब्रिटेन/फ्रांस) के शासक के प्रतीक लाल टोपी व लाल सफेद कपड़ों वालों बेड़ियों मे जकड़े दिखाया गया है। तुर्की का टेलीविज़न नाटक अरतुगरुल गाजी से प्रभावित होकर यह खलीफ़ा को दोबारा खड़ा करना चाहते हैं।) 

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मोपला विद्रोह अंग्रेजी सरकार के द्वारा तुर्की के खलीफा को हटाकर वहाँ के नए राष्ट्वादी विचारक युवा तुर्क मुस्तफा कमालपाशा के हाथों में सत्ता दे दिया। लेकिन भारत के मुस्लिम तुर्की के ख़लीफ़ा को अपना खलीफा मानते आए थे। लेकिन अंग्रेजों के द्वारा तुर्की खलीफा को हटाए जाने के कारण अंग्रेजो के खिलाफ भारत में खिलाफत आंदोलन शुरू किया। सबसे बड़ी बात है कि कांग्रेस ने इस खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया था महात्मा गाँधी ने भी इस आन्दोलन का समर्थन किया कहा कि मुसलमानों के बेगैर भारत की आजादी संभव नहीं है यही बात मुस्लिम नेताओं तक गई और भारत की विभाजन की पृष्ट भूमि तैयार हो गया 

उस समय ऐसे बहुत सारे नेता थे जो गाँधी जी के मुस्लिम तुष्टीकरण को नापसंद करते थे। एक बात कहा जाता है की तुर्की में खलीफा को हटाया गया है इस बात से भारत का क्या लेना देना है लेकिन यह बात गाँधी और उनके समर्थकों को पसंद नहीं आता था। उस समय की कांग्रसियों ने मालाबार में जाकर स्थिति का जायजा भी लेना उचित नहीं समझा | आर्य सामाजिक स्वामी श्रद्धानंद ने उस ने मालाबार में जाकर बलात्पुर्वक धर्मान्तरित हिन्दुओं को घरवापसी (शुद्धिकरण अभियान) कार्यक्रम चलाकर उन्हें वापस हिन्दू बनाया  






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