आज प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा कि एक समय था जब हमारे अपने लड़ाकू विमान तेजस को फाइलों में बंद करने नौबत आ गई थी लेकिन हमारी सरकार ने अपने इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और तेजस की क्षमताओं पर भरोसा किया और तेजस आज शान से आसमान में उड़ान भर रहा है। कुछ सप्ताह पहले ही तेजस के लिए ही 48 हजार करोड़ रुपए का आर्डर दिया गया है।एचएएल को भारतीय वायुसेना से 83 नए स्वदेशी एलसीए तेजस एमके1ए के निर्माण का अनुबंध मिला है, जिसकी अनुमानित लागत 48,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
तेजस का नाम 4 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था। तेजस एक संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब होता है अत्यधिक ताकतवर ऊर्जा। तेजस के तेज का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब बहरीन इंटरनेशनल एयर शो के लिए तेजस का नाम प्रस्तावित हुआ था तब पाकिस्तान और चीन ने अपना थंडरबर्ड का नाम इस एयर शो से वापस ले लिया था। यह भारत के हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित एक सीट और एक जेट इंजन वाला एक हल्का व कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है। यह एचएएल इंजीनियरिंग द्वारा, अनेक भूमिकाओं को निभाने में सक्षम एक हल्का युद्धक विमान है तथा यह बिना पूँछ का, कम्पाउण्ड-डेल्टा पंख वाला विमान है। इसका विकास 'हल्का युद्धक विमान' या (एलसीए) नामक कार्यक्रम के अन्तर्गत हुआ है, जो 1980 के दशक में शुरू हुआ था। यह विमान पुराने पड़ रहे रसियन मिग-21 का स्थान लेने के लिए बनाया गया है। इसे 1994 में बनकर तैयार हो जाना था लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जब पूरी दुनिया पोकरण के बाद प्रतिबन्ध लगाया तब ही 4 जनवरी 2001 दो प्रोटोटाईप तेजस तैयार हुआ। इसे भारतीय वायु सेना में कमीशन होने में 35 वर्ष लग गये। यह कहा जाये तो कि तेजस के मिशन में बहुत देर किया गया है।
यह हमारे देश की राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी तथा विदेश पर निर्भर रहना तथा देश
में नेता व अधिकारियों की कमीशन खोरी के कारण यह देरी हुई है। 1 जुलाई 2016 को भारतीय वायुसेना की पहली तेजस यूनिट
का निर्माण किया गया, जिसका नाम 'नम्बर
45 स्क्वाड्रन आई ए एफ फ्लाइंग ड्रैगर्स' है।
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