रविवार, 24 जुलाई 2022

भारत की प्रथम जनजाति महिला राष्ट्रपति - महामहिम द्रोपती मुर्मू जी


 

आज का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक है। 25 जुलाई यानी सावन का दूसरा सोमवार का दिन है। आज का दिन भारत के इतिहास में प्रथम जनजति महिला द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी। वे पहली जनजाति महिला हैं, जो भारत के सर्वोच्च पद तक पहुंचीं हैं। 21 जून को नवनिर्वाचित हुई द्रौपदी मुर्मू आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली । शपथ समारोह सुबह 10:15 बजे संसद के सेंट्रल हॉल में हुआ। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मा. एन. वी. रमणा उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाएंगे। इसके बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। शपथ ग्रहण के बाद नई राष्ट्रपति देश को संबोधित की।

21 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना पूरी होने के बाद निर्वाचन अधिकारी द्वारा परिणाम की घोषणा करते हुए द्रौपदी मुर्मू 6 लाख 76 हजार 803 वोट से जीत हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय ने ‘भारत के नए राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू के निर्वाचन संबंधी प्रमाण पत्र’ पर संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए। अब यही प्रमाण पत्र केंद्रीय गृह सचिव को भेजा गया है, जो भारत के 15वें राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में पढ़ा जाएगा।

शनिवार, 16 जुलाई 2022

I2U2 की प्रथम सम्मलेन में भारत की कृषि में बड़ा निवेश

 

I2U2 की प्रथम सम्मलेन 

अरब देशों में अमेरिका के इब्राहिम एकॉर्ड के बाद नया I2U2 चार देशों के समूह की  प्रथम वर्चस्व सम्मेलन सपन्न हुआ। अरब देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने था भारत को कृषि क्षेत्र में प्रभाव और तकनीक से उत्पादन बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। देखा जाए तो नए तरह का यह नया क्वाड हो सकता है। लेकिन अभी इस विषय में बात करना थोड़ा जल्दबाजी हो सकता है। रसिया और यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने अन्य देशों को अनाज देकर जो मदद किया है इससे विश्व में एक संदेश भी गया है कि खाद्य पदार्थों के मामले में भारत ही चीन को जबाब दे सकता है।

I2U2 का मतलब दो ( I ) आई इंडिया और इजरायल तथा (U) यू का मतलब अमेरिका और संयुक्त अमीरात 4 देशों का समूह मिलकर बनाया गया है इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडन इजरायल के प्रधानमंत्री या या लाफिट संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद जावेद अल्लाह आनी भी हिस्सा ले इस प्रथम समिति में सकारात्मक सहयोगात्मक नए वॉइस मैसेज वैश्विक नेताओं के बीच में एक ऊर्जा के साथ रोडमैप तैयार करना संयुक्त रूप से आने वाली चित्र में चुनौतियों से लड़ा जा सके आईटेल करना 18 अक्टूबर 2021 को 4 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में तय की गई थी इस में से प्रत्येक देश संयुक्त प्रत्येक देश सहयोग के संभावित क्षेत्रों को लेकर नियमित रूप से चर्चा करते रहें इसके बाद जिसके बाद I2U2 का गठन हुआ यह गठबंधन मुख्यतः क्षेत्रों पानी उर्जा परिवहन अंतरिक्ष स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा में संयुक्त निवेश को प्रसन्न करने के लिए बनाया गया है इन क्षेत्रों में निजी पूंजी निवेश के जरिए ढांचागत क्षेत्रों में आधुनिकरण उद्योगों के लिए न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन वाले उपाय सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार नवीनतम एवं प्रदूषण रहित प्रौद्योगिकी के विकास के लिए काम किया जाएगा

I2U2 पश्चिमी क्वाड की वर्चुवल बैठक हुई जिसमें 3 बड़े निर्णय लिए गए...

1.. भारत के मध्यप्रदेश और गुजरात मे UAE $2 बिलियन डालर का निवेश कर कई फ़ूड पार्क बनाएगा जिसकी तकनीकी इजरायल और अमेरिका देगा। इन फ़ूड पार्कों में सरंक्षित केले, हरी सब्जियां, आम, पपीता, अंडे, चावल, मशाले, चाय पत्ती आदि का निर्यात खाड़ी के देशों में कर खाड़ी के देशों की फ़ूड सिक्योरिटी सुरक्षित की जाएगी। इसके फलस्वरूप भारत के किसानों की आय दुगनी तो होगी ही, लगभग 2.25 लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा।

2..भारत को अक्षय ऊर्जा का वैश्विक ऊर्जा केंद्र बनाने के लिए प्रथम कार्य के रूप में गुजरात में अक्षय ऊर्जा (सौर एवं पवन) वाला 300 मेगावाट का बैटरी स्टोरेज सिस्टम स्थापित किया जाएगा, इसकी तकनीक एवं पूंजी अमेरिका की ट्रेड एवं डेवेलपमेंट एजेंसी कराएगी।

 

3.. इजरायल के सबसे बड़े हैफा बन्दरगाह का संचालन भारत के अडानी समूह को दे दिया गया।

हम और आप कह सकते हैं कि इन सबके कारण भारत का कद और सम्मान विश्व में और बढ़ गया है।

 

भारत अब हिन्द प्रशांत क्षेत्र के क्वाड में आस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका के साथ है, तो I2U2 में पश्चिमी क्वाड में UAE, अमेरिका और इजरायल के साथ है। HU देशों की बैहको में भी भारत को पिछले कई वर्षों से बुलाया जा रहा है।

भारत अब इंद्र शान महाक्षेत्र के वार्ड में ऑस्ट्रेलिया जापान अमेरिका के साथ है तो आईटी यूट्यूब में पश्चिम कोर्ट में यूएई अमेरिका इजराइल के साथ हैं अमेरिका ने पिछले वर्षों में अरब देशों में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए इस तरह का नया स्वरूप बनाने का प्रयास कर रहा था जैसा कि अपराहन ए कोर्ट में किया इसराइल को कई अरब देशों के साथ मिलकर शांति स्थापित किया जाए इस अब्राहम एयरपोर्ट के तहत अमेरिका सफल हो गया इस स्थान पर भारत की भी एक भूमिका होनी चाहिए इसके लिए भारत भी तैयार है जैसा कि भारत में कृषि क्षेत्र के विकास हेतु निवेश और नए संसाधन तकनीक भी मिलेगा जो भारत के विकास में अहम योगदान देगा

 


शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

भारत का प्रथम हिंदुस्तान फाइटर जेट मारुत था

भारतीय वायुसेना का पहला स्वदेशी फाइटर जेटएचएफ-24 मारुत

    
            भारत का पहला स्वदेशी फाइटर जेट एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) थाजिसने लोंगेवाला युद्ध ( Battle of Longewala) में पाकिस्तानी तोपों की धज्जियां उड़ा दी थीं। ऐसा था भारत का पहला देसी फाइटर जेट एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) IAF Fighter Bomber Aircraft देश का पहला स्वदेशी फाइटर जेटसाथ ही एशिया का पहला फाइटर जेट जिसे रूस ने नहीं बनाया था यह देश का पहला फाइटर बॉम्बर था। लेकिन भारत का दुर्भाग्य था की इसे हम लोगों ने छोड़ दिया और आज का भारतीय वायुसेना का मिग 21 उड़ता ताबूत Flying coffin MIG 21 को लपक लिया। भारत का एक महत्वाकांक्षी अभियान असफल हो गया। इस असफलता से 6 दशक बाद भी आज भी हमने कावेरी इंजन ठीक से नहीं बना पायें है। आज तेजस को हमारे इंजीनियरिंग ने वर्षो से मेहनत कर आने वाले समस्या को समझा और लगातार उसमे सुधार करते रहे है। आज हमने वायुसेना में 40 तेजस को शामिल किया और पहले से बेहतर करने के कारण अब नये वेरियंट 83 तेजस एमके1 तथा कुछ वर्षो में तेजस एमके2 को भारतीय वायुसेना में शामिल करने जा रहे है   

अपने देश में कुछ खास प्रजाति के लोग पायें जाते है।  भारतीय व्यक्ति द्वारा नया कुछ भी किया जाये ऐसे लोग स्वीकार नहीं करते है ऐसा ही मारुत के साथ हुआ था। आज के तेजस विमान से 6 दसक पूर्व भारत का पहला स्वदेशी लड़ाकू विमान 60 के दशक में ही बन गया था। उसने 23 साल भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं भी दीं। तेजस (Tejas) बनाने से करीब 6 दशक पहले भारत ने स्वदेशी फाइटर जेट बनाया था। यह उस समय का वायुसेना का सबसे तेज उड़ने वाला फाइटर जेट था। बस कमी थी कि उसने कभी मैक-यानी 1234 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा गति हासिल नहीं की। लेकिन उस समय यह विमान दुनिया की नजर में भारत के आत्मनिर्भर होने का संदेश था। एक विश्वसनीय और बेहतरीन प्रोजेक्ट कैसे खराब नेताओंभ्रष्टाचार नौकरशाही और लालफीताशाही ने भारत के वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग की संभावना की बलि चढ़ाईजो देश के इतिहास का सुनहरा अध्याय हो सकती था।

इस विमान को बनाया था हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाया था। लेकिन इसका डिजाइन जर्मन एयरोनॉटिकल इंजीनियर कर्ट टैंक (Kurt Tank) ने बनाया था। यह पहला फाइटर जेट है जिसे भारत ने विकसित किया और पहला एशियन देश जो विमान विकसित करने वाला देश था। जबकि उस समय रूस यानी सोवियत संघ ही फाइटर जेट बनाता था। सोवियत संघ के समय का MIG 21 सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है।

इस विमान का नाम था एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) इसकी पहली उड़ान 17 जून 1961 को हुई थी। 1 अप्रैल 1967 को इसका उत्पादन शुरु किया गया था। इसी दिन स्वदेशी फाइटर जेट को भारतीय वायुसेना को सौंपा गया था। यह उस समय यह फाइटर जेट सुपरसोनिक होगा लेकिन यह 1234 किमी प्रतिघंटा (Mach-1) की गति से ऊपर नहीं जा पाया इस कारण इस मारुत का  काफी विरोध भी हुआ था। वैज्ञानिकों ने जब गति की जांच की तो पता चला कि इंजनों में इतनी ताकत नहीं थी कि वो इसे मैक-से आगे की गति पर ले जा सकें। इसके अलावा एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) की कीमत और अन्य विमानों की तुलना में कम ताकत की वजह से आलोचना का शिकार होना पड़ा था। HAL ने कुल मिलाकर 147 एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) विमान बनाए थे। 

मारूत को इतिहास में हमेशा एक नाकाम डिज़ाइन के तौर पर याद किया जाएगा। लेकिन वास्तविक युद्ध के समय उसे जिस तरह से इस्तेमाल किया गयाउसने उम्मीद से बढ़कर कारनामा दिखाया। पाकिस्तानी सैनिकों को उल्टे पांव भागने पर मजबूर कर दिया था। उसी युद्ध के दौरान स्क्वॉड्रन लीडर केके बख्शी ने अपने मारुत जेट से पाकिस्तान के F-86 Sabre फाइटर जेट को मार गिराया था। 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जब पाकिस्तानी सीमा पर लोंगेवाला की लड़ाई ( Battle of Longewala) हुआतब एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) फाइटर जेट ने कमाल दिखाया था। यह कम ऊंचाई पर बहुत शानदार तरीके से उड़ता था। 5 दिसंबर 1971 को लोंगेवाला में इन विमानों की तैनाती हुई थी। इसने दो हफ्ते में 300 सॉर्टीज करके पाकिस्तान के कई टैंकों को उड़ाया था। मतलब यह है कि जीत कर भी हार गया मारुत फाइटर जेट।   

साल 1982 में भारतीय वायुसेना ने एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) फाइटर जेट्स को डिकमीशन करने की शुरुआत की। धीरे-धीरे करके 1990 तक इसे पूरी तरह से वायुसेना से बाहर कर दिया गया। लेकिन 23 सालों तक इस विमान ने देश की रक्षा की। अब अगर आपको इस विमान को देखना हो तो आप बेंगलुरु के विश्वशरैया इंडस्ट्रियल एंड टेक्नोलॉजिकल म्यूजियम, HAL म्यूजियम और ASTE, पुणे के कमला नेहरू पार्कमुंबई के नेहरू साइंस सेंटरचेन्नई के पेरियार साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटरडुंडीगुल के एयरफोर्स एकेडमी और पालम में इंडियन एयरफोर्स म्यूजियम में देख सकते हैं। 

आज हमे अपने देश में अपनी ही टेक्नोलॉजी से नया फाइटर सुपर सोनिक जेट तेजस बनाना पड़ा। हम दुसरे देशों पर कब तक निर्भर रहेंगे। जिन देशों ने फाइटर जेट बनाया है एक दिन या एक दो साल में नहीं बनते है सालों साल लग जाते है। हमने यदि मारुत पर फोकस किया होता तो आज हमारे पास भारत के द्वारा बनाया गया फाइटर सुपरसोनिक जेट होता मारुत की कमी को ठीक किया जाता तो आज परिस्थितियों कुछ और होती ......

 

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मारुत को सिंगल पायलट उड़ाता था इसकी लंबाई 52.1 फीट थी, विंगस्पैन 29.6 फीट और ऊंचाई 11.10 फीट थी इसमें 1491 लीटर ईंधन आता था। इसकी अधिकतम गति 1112 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। कॉम्बैट रेंज 396 किलोमीटर थी, अधिकतम 40 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता था इसमें 4x30 मिलिमीटर की ADEN तोप लगी थी, जिसमें से 120 आरपीजी भी दागे जा सकते थे इसके अलावा 2.68 इंच के 50 Matra रॉकेट के पैक तैनात था. 1800 किलोग्राम के चार बम लगाए जा सकते थे।