अपने देश में कुछ खास प्रजाति के लोग पायें जाते है। भारतीय व्यक्ति द्वारा नया कुछ भी किया जाये ऐसे लोग स्वीकार नहीं करते है ऐसा ही मारुत के साथ हुआ था। आज के तेजस विमान से 6 दसक पूर्व भारत का पहला स्वदेशी लड़ाकू विमान 60 के दशक में ही बन गया था। उसने 23 साल भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं भी दीं। तेजस (Tejas) बनाने से करीब 6 दशक पहले भारत ने स्वदेशी फाइटर जेट बनाया था। यह उस समय का वायुसेना का सबसे तेज उड़ने वाला फाइटर जेट था। बस कमी थी कि उसने कभी मैक-1 यानी 1234 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा गति हासिल नहीं की। लेकिन उस समय यह विमान दुनिया की नजर में भारत के आत्मनिर्भर होने का संदेश था। एक विश्वसनीय और बेहतरीन प्रोजेक्ट कैसे खराब नेताओं, भ्रष्टाचार नौकरशाही और लालफीताशाही ने भारत के वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग की संभावना की बलि चढ़ाई, जो देश के इतिहास का सुनहरा अध्याय हो सकती था।
इस विमान को बनाया था हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाया था। लेकिन इसका डिजाइन जर्मन एयरोनॉटिकल इंजीनियर कर्ट टैंक (Kurt
Tank) ने बनाया था। यह पहला फाइटर जेट है जिसे भारत ने विकसित किया और पहला एशियन देश जो विमान विकसित करने वाला देश था। जबकि उस समय रूस यानी सोवियत संघ ही फाइटर जेट बनाता था। सोवियत संघ के समय का MIG 21 सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है।
इस विमान का नाम था एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut)। इसकी पहली उड़ान 17 जून 1961 को हुई थी। 1 अप्रैल 1967 को इसका उत्पादन शुरु किया गया था। इसी दिन स्वदेशी फाइटर जेट को भारतीय वायुसेना को सौंपा गया था। यह उस समय यह फाइटर जेट सुपरसोनिक होगा लेकिन यह 1234 किमी प्रतिघंटा (Mach-1) की गति से ऊपर नहीं जा पाया इस कारण इस मारुत का
काफी विरोध भी हुआ था। वैज्ञानिकों ने जब गति की जांच की तो पता चला कि इंजनों में इतनी ताकत नहीं थी कि वो इसे मैक-1 से आगे की गति पर ले जा सकें। इसके अलावा एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) की कीमत और अन्य विमानों की तुलना में कम ताकत की वजह से आलोचना का शिकार होना पड़ा था। HAL ने कुल मिलाकर 147 एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) विमान बनाए थे।
मारूत को इतिहास में हमेशा एक नाकाम डिज़ाइन के तौर पर याद किया जाएगा। लेकिन वास्तविक युद्ध के समय उसे जिस तरह से इस्तेमाल किया गया, उसने उम्मीद से बढ़कर कारनामा दिखाया। पाकिस्तानी सैनिकों को उल्टे पांव भागने पर मजबूर कर दिया था। उसी युद्ध के दौरान स्क्वॉड्रन लीडर केके बख्शी ने अपने मारुत जेट से पाकिस्तान के F-86 Sabre फाइटर जेट को मार गिराया था। 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जब पाकिस्तानी सीमा पर लोंगेवाला की लड़ाई ( Battle of Longewala) हुआ, तब एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) फाइटर जेट ने कमाल दिखाया था। यह कम ऊंचाई पर बहुत शानदार तरीके से उड़ता था। 5 दिसंबर 1971 को लोंगेवाला में इन विमानों की तैनाती हुई थी। इसने दो हफ्ते में 300 सॉर्टीज करके पाकिस्तान के कई टैंकों को उड़ाया था। मतलब यह है कि जीत कर भी हार गया मारुत फाइटर जेट।
साल 1982 में भारतीय वायुसेना ने एचएफ-24 मारुत (HF-24 Marut) फाइटर जेट्स को डिकमीशन करने की शुरुआत की। धीरे-धीरे करके 1990 तक इसे पूरी तरह से वायुसेना से बाहर कर दिया गया। लेकिन 23 सालों तक इस विमान ने देश की रक्षा की। अब अगर आपको इस विमान को देखना हो तो आप बेंगलुरु के विश्वशरैया इंडस्ट्रियल एंड टेक्नोलॉजिकल म्यूजियम, HAL म्यूजियम और ASTE, पुणे के कमला नेहरू पार्क, मुंबई के नेहरू साइंस सेंटर, चेन्नई के पेरियार साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर, डुंडीगुल के एयरफोर्स एकेडमी और पालम में इंडियन एयरफोर्स म्यूजियम में देख सकते हैं।
आज हमे अपने देश में अपनी ही टेक्नोलॉजी से नया फाइटर सुपर सोनिक जेट तेजस बनाना पड़ा। हम दुसरे देशों पर कब तक निर्भर रहेंगे। जिन देशों ने फाइटर जेट बनाया है एक दिन या एक दो साल में नहीं बनते है सालों साल लग जाते है। हमने यदि मारुत पर फोकस किया होता तो आज हमारे पास भारत के द्वारा बनाया गया। फाइटर सुपरसोनिक जेट होता मारुत की कमी को ठीक किया जाता तो आज परिस्थितियों कुछ और होती ......
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मारुत को सिंगल पायलट उड़ाता था। इसकी लंबाई 52.1 फीट थी, विंगस्पैन 29.6 फीट और ऊंचाई 11.10 फीट थी। इसमें 1491 लीटर ईंधन आता था। इसकी अधिकतम गति 1112 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। कॉम्बैट रेंज 396 किलोमीटर थी, अधिकतम 40 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता था। इसमें 4x30 मिलिमीटर की ADEN तोप लगी थी, जिसमें से 120 आरपीजी भी दागे जा सकते थे। इसके अलावा 2.68 इंच के 50 Matra रॉकेट के पैक तैनात था. 1800 किलोग्राम के चार बम लगाए जा सकते थे।
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