रविवार, 17 मार्च 2019

लखनऊ गेस्टहाउस कांड, बीजेपी के ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती बचाई थी लांज


6 दिसंबर 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद उत्तरप्रदेश में कल्याण सिंह सहित 5 राज्य के भाजपा सरकार को केंद्र सरकार ने बर्खास्त कर दिया गया। उसी समय जनता दल से नाता तोड़कर मुलायम सिंह ने अपनी नई पार्टी समाजवादी पार्टी बनाई और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए दोनो ने गठबंधन किया। इस गठबंधन ने 1993 के पांच राज्यों के चुनाव में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 110 सीटें और बीएसपी को 67 सीटें मिली थीं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने बीएसपी और अन्य कुछ दलों के सहयोग से सरकार बनाई। जिसमें मुलायम सिंह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन बीएसपी ने मुलायम सरकार को सिर्फ बाहर से समर्थन दिया था। 

गठबंधन में आई खटास 
बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख नेता काशीराम का आरोप लगाया था कि दीनानाथ भास्कर बीएसपी के विधायकों को तोड़ने प्रयास कर रहे है। बीएसपी सुप्रीमो ने मुलायम सिंह यादव को कहा कि दीनानाथ भास्कर को पार्टी और मंत्रीमंडल से हटाये। बसपा सुप्रीमो काशीराम मुलायम सिंह को चेतावनी दिया, लेकिन मुलायम सिंह नहीं माने। दो साल के भीतर ही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के रिश्ते इतने खराब हो गए, कि गठबंधन टूटने की नौबत आ गई। समाजवादी पार्टी को भनक लग गई थी कि बीएसपी ने मुलायम सरकार से समर्थन वापस लेने का मन बना चुकी है। तब ....
 
2 जून 1995 का वह दिन बीएसपी प्रमुख कांशीराम के कहने पर पार्टी की प्रमुख नेता मायावती ने पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई। लखनऊ के गेस्ट हाउस में मायावती अपने विधायकों के साथ गठबंधन तोड़ने पर चर्चा कर रही थी। शाम का समय था, करीब 200 की संख्या में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और विधायकों ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बीएसपी के विधायकों के साथ मारपीट शुरू कर दी। वहां मौजूद बीएसपी कार्यकर्ताओं के कहने पर मायावती ने खुद को एक कमरे में बंद कर दिया। कुछ देर में भीड़ मायावती के कमरे तक पहुंच गई और दरवाजा तोड़ने की कोशिश करने लगी। इस दौरान समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मायावती को गालियां और जातिसूचक शब्द भी बोले। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस दौरान मायावती के साथ बदसलूकी का भी प्रयास किया। 

उसी समय हीरो बनाकर बीजेपी के ब्रह्मदत्त द्विवेदी और लालजी टंडन ने सैकड़ो कार्यकर्ताओं के साथ लाठी लेकर मायावती की जान बचाने के लिए गेस्टहाउस पहुचे थे। जिसका परिणाम यह हुआ कि मायावती की इज्जत और जान बच पाई। बीजेपी के ब्रह्मदत्त द्विवेदी और लालजी टंडन  ने मायावती को बचाने में मुख्य भूमिका निभाई थी। गेस्टहाउस कांड के समय लखनऊ के तत्काली एसपी ओपी सिंह को कांड के दो दिन बाद ही उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इसके कुछ देर बाद एसपी और डीएम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और मायावती की जान बचाई।

बीजेपी ने किया माया का समर्थन 
बीएसपी ने समाजवादी पार्टी से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया और मुलायम सरकार बर्खास्त हो गई। इसके बाद बीजेपी ने मायावती को समर्थन का ऐलान किया और गेस्ट हाउस कांड के अगले ही दिन (3 जून 1995) मायावती ने यूपी के सीएम पद की शपथ ली। भाजपा और बसपा के साथ मिलकर पहली बार एक दलित महिला सुश्री मायावती उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी। उसके बाद समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ छोड़ कर दिल्ली में डेरा जमा रखा था। जिन लोगों समाजवादी का गेस्टहाउस कांड में हाथ था वे सारे उत्तरप्रदेश से पलायन करना पड़ा।

आज 26 वर्ष बाद अखिलेश सिंह यादव तथा मायावती के बीच में लोकसभा 2019  के लिए गठबंधन हो चूका है। यह घटना मेरे सस्मरण में रहा है, तत्कालीन समय में उत्तरप्रदेश में था। कई बार मुलायम सिंह यादव और मायावती के बीच सुलह की कोशिश की गई। लेकिन मायावती ने नहीं स्वीकार किया था। अब मोदी लहर से जनता के बीच अपने अस्तित्व के लिए यह दोनों गठबंधन हुआ है।   

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