मंगलवार, 12 मार्च 2019

भारत की इंडियन एयरलाइंस प्लेन IC 814 हाईजैक की कहानी, काठमांडू से कंधार तक


24 दिसंबर 1999 को पूरे विश्व में ईसाईंयों का त्यौहार क्रिसमस या ’’ बड़ादिन ’’ मनाया जा रहा था। 20 वर्ष पूर्व इसी दिन भारत का प्लेन IC 814 को हाईजैक किया गया था। यह इंडियन एयरलाइंस के प्लेन था जिसमें 176 यात्री सवार थे। जिन्हें छुड़ाने के लिए भारत सरकार से कश्मीर के जेल में तीन खतरनाक आंतकियों को छोड़ना पड़ा था। उसमें मौलाना मसूद अजहर जिसने जैस ए मोहमद नामक आतंकी संगठन बनाकर मुंबई आतंकी हमला, संसद पर हमला, उरी घटना तथा पुलवामा घटना का जिम्मेदारी लेने वाला आतंकी संगठन है। इनके आतंकी कैप पर एयरफ़ोर्स ने मिराज से पाकिस्तान के बालाकोट एयरस्ट्रिक किया गया है। कंधार की घटना का दुष्परिणाम आज भी पूरा भारत भुगत रहा है   
 
24 दिसंबर, 1999 को शुक्रवार के शाम 05:30 नेपाल की राजधानी काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले इंडियन एयरलाइंस का विमान IC-814 को पाकिस्तान की आतंकवादी संगठन हरकत उल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों प्लेन हाइजैक कर लिया था।हम सभी को शाम तक टी वी के द्वारा पता चला था, कि भारतीय विमान इंडियन एयरलाइंस का विमान IC-814 हाइजैक हो गया है। जिसे पहले पाकिस्तान के लाहौर एअरपोर्ट पर लैंडिंग किया जाना था। लेकिन ईंधन कि कमी के कारण अमृतसर में पायलट ने उतारा था। अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि भारत सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों ने समय पर उचित कार्यवाही नहीं करने के कारण अपहरणकर्ताओं ने प्लेन को पाकिस्तान के लाहौर एअरपोर्ट पर लैंडिंग किया था। उस समय पाकिस्तान ने भी अपेक्षित सहयोग नहीं किया था। तब इंडियन एयरलाइंस का विमान आईसी-814 को दुबई में उतारा गया जहा पर 27 महिलाओं और बच्चों को छोड़कर अफगानिस्तान के कंधार एअरपोर्ट पर लैंडिंग किया था। दुबई में प्लेन में 176 यात्री में से रूपिन कात्याल नाम के एक यात्री ( जिनकी तुरंत विवाह हुआ था ) को आतंकियों ने हत्या कर दिया तथा कई यात्री घायल हो गए थे।

उस समय अफगानिस्तान में मुस्लिम आतंकी तालिबान का शासनकाल हुआ करता था। कंधार में विमान के उतरने के बाद तालिबानी अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने की एक कोशिश में भारतीय अधिकारियों के साथ सहयोग करने और अपहर्ताओं एवं भारत सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की सहमति दे दी। 

भारतीय सेना के कमाडो द्वारा उचित कार्यवाही न हो, इसके लिए तालिबान को पाकिस्तान की ISI ने हथियार दिए थे। अफगानिस्तान के आतंकी तालिबान के लडके सशस्त्र लड़ाकों को अपहृत विमान के पास तैनात कर दिया। अपहरण का यह सिलसिला दिनों तक चला और 31 दिसंबर 1999 को भारत द्वारा तीन इस्लामी खूंखार आतंकवादियों - मुश्ताक अहमद जरगरअहमद उमर सईद शेख (जिसे बाद में अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या के लिए गिरफ्तार कर लिया गया) और मौलाना मसूद अजहर ( जिसने बाद में जैश-ए-मुहम्मद की स्थापना की) को रिहा करने के बाद खत्म हुआ। 

हमारे देश के लिए दुर्भाग्य है कि आज तक जनता में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण नहीं कर पाये। सत्ता के लिए तत्कालीन विपक्ष और मीडियाकर्मियों ने नकारात्मक भूमिका निभाई। मीडिया ने अपहृत परिवारों को उसकाकर प्रधानमंत्री आवास का घेराव करवाया, साथ ही इसे लाइव टेलीकास्ट किया गया था, कि भारत किसी भी कीमत पर अपाहत किये गए लोगों को छुड़ाया जाये। इस घटना का परिणाम आज पूरा देश भुगत रहा है। यदि देश कि जनता ने सरकार पर यह दवाब बनाया होता कि किसी भी परिस्थिति में आतंकियों को नही छोड़ा जाना चाहिए, तो आज स्थिति कुछ और होती।


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