शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

राजीव गाँधी और राहुल गाँधी


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राजीव गांधी के जन्म के अवसर पर अचानक कांग्रेसियों द्वारा मनाया गया। मुझे ध्यान आया कि देश में कांग्रेसियों ने राहुल सोनिया के आगे राजीव गांधी को भूल गये, अचानक याद केैसे किया जा रहा है। चैनलों पर राजीव गांधी के विज्ञापन दिखाया जा रहा है। दो बातों ध्यान में आता है कि वर्तमान काग्रेस में वह ताकत नही है, दूसरा बात कि जो राहुल नाम का हवा खडा किया गया अब फुरूरूरूरू हो गया।

1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या हो गई। इस प्रतिक्रिया में देश भर में भीषण दंगा हुआ । इस दंगे में खास तौर से दिल्ली में अधिक जनहानि हुआ था। प्रधानमंत्री का पद खाली नही रखा जा सकता इसलिए लाशों के राजनीति करने वालों ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री की माला पहना दिया गया। राजीव गांधी से छोटे भाई संजय गांधी की पलेन दुर्घटना में निधन हो चुका। संजय के मरने के बाद पत्नी मेनका गांधी घर छोड चुकी थी।

राजीव गाँधी वैसे सरल, मन केे युवा नेता थे। अब तक के सभी प्रधानमंत्री में राजीव गांधी सबसे से युवा प्रधानमंत्री थे। अपने माता श्रीमती इंन्दिरा गाँधी की दुःख हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने। इंदिरा गांधी के हत्या के बाद कांग्रेसियों ने सहानभुति में और अतीय उत्साह में राजीव गाधी को देष का प्रधानमंत्री बना दिया। राजीव गांधी राजनीति अनुभव और कम उम्र होने के कारण प्रधानमंत्री रहते अनुभवहीनता के कारण कुछ गलती हुआ। उनके प्रधानमंत्री काल में कई प्रमुख घटना हुई ,जिसमे देश में पंचायती राज का देन तथा कम्पूटरयुग की शुरुवात करने वाले थे।

राजीव गाँधी देश का दौरा बहुत किया है, गाँव गाँव घुमे भी थे। गाँव की समस्या क्या होती है यह जानने का कोशिश किये है। उसका एक उदाहरण है कि एक बार उनसे मिलने वाले कुछ गाँव के लोग आये तथा नाली एवं सडक बनना की बात कही , राजीव के मन में आया की क्यों न प्रत्येक गाँव में ऐसी व्यवस्था की जाये की गाँव के लोगों के पास गाँव का विकास करने का राह बन जाये फिर  पंचायत राज का काम शुरू किया जाये। लेकिन इस पंचायतीराज से गाँव का विकास तो हुआ पर भष्टाचार गाँव गाँव पहुच गया। राजीव गांधी जी कहते थे कि मैं जो एक रूपये भेजता हूँ तो ८५ पैसे लोग खा जाते और १५ पैसा ही पहुचता है। लेकिन ८५ पैसे कांग्रेसियों के स्विस बैंक के खाते  में जमा होते रहे है। यह बात कांगेसीयों नहीं मानेगें , मानते तो अब तक स्विसबैंक में जमा पैसा भारत आ जाता।

नियति को कुछ ओैर मंजुर था श्री राजीव जी का बम विस्फोट में निर्मम हत्या हो गया। सरकार और कांग्रेस की बागडोर गांधी परिवार के हाथ से निकल गया। लेकिन 5 वर्प में तत्कालिन कांग्रेस अल्पमत में आ गयी। 2003 कांग्रेस की बागडोर सोनिया के हाथ में आ जाने से सत्ता में कांग्रस लौट आई। 7 साल केे बाद सत्ता में लौटने पर राहुल के कांग्रेस का कमान अपने हाथ में रखा। नई उर्जा के साथ 2008 में फिर से सत्ता में अब तक बने है। लेकिन 2008 की सत्ता पर भ्रप्टाचार इतने आरोप लगा जितने आजादी के बाद से भ्रप्टाचार के आरोप नही लगे होगे । इसी बीच अनना हजारे का आंदोलन चला लेकिन काग्रेस युवराज नही दिखे । युवा पीढी राहुल को ढूढती रही लेकिन राहुल नही नजर आये । इसी बीच मोदी जी ने गुजरात का माॅडल के साथ युवाओं के बीच जा कर जो भी संदेष दिया । युवा पीढी को नरेन्द्र मोदी में अपना भविप्य दिखाई दे रहा है । देष में  अटल जी के बाद नरेन्द्र मोदी को सुना जा रहा है।देष विदेष की मीडिया नरेन्द्र मोदी में भारत की नेतृत्व देख रहा है।

इस समय देष आर्थिक संकट से गुजर रहा है। रूपये डालर के मुकाबले कम हो रहा है इसके कारण मंहगाई रोज बढती जा रही है। भप्टाचार के रोज नये मामले निकल के आ रहे है। सरकार से लोगों भरोसा कम होता जा रहा। इस विकट परिस्थिति में देष की जनता धैर्य के साथ मेहनत करते हुए, निकलने की कोषिष कर रही है। कांग्रेस जनता की मुड को भाॅप चुके है, इसलिए अचानक राजीव गांधी याद आ गये। राजीव गांधी कम्पयुटर युग लाने वाले आधुनिक भारत के निर्माता आदि कसीदे कहे जाने लगे। वास्तव में राजीव गांधी प्रधानमंत्री के रूप में  ईमानदारी के साथ देष चलाया थे। उन्होने लोगों कि मर्यादा का ध्यान रखा। 1989 की चुनाव में पराजय को स्वीकारते हुए विपक्ष में बैठ। राजीव गांधी में धीरे धीरे परिपक्य हो गये। समय को और कुछ मंजुर था। लेकिन अब कांग्रेसियों की सत्ता भूख इतनी बढ गई है कि सत्ता में ऐनकेन प्रकरण से सत्ता में बने रहना चाहती है। राजीव गांधी के तरह विपक्ष में बैठने की मानसिकता कांग्रेसियों में है क्या ?

क़िस्तवाड में यह कैसा ईदी
अभी कश्मीर  में पाकिस्तान के सैनिक के द्वारा जवानों की हत्या का मामला अभी गर्म था। इससे पहले रामबन में बहुसख्यक समुदाय ने सीमा सुरक्षा बल पर हमला किया, इसके बाद कई दिनों तक हिसा होती  रही। रामबन का मामला शात नही हुआ कि किष्तवाड में अल्पसंख्यक हिन्दूओं के घरों ,दुकानों पर बहुसंख्यक मुसंलमानों द्वारा हमला किया गया। जिसमें कई अल्पसंख्यक हिन्दूओं की हत्या एवं घरो,दुकानों लूटपाट किया है। किष्तवाड़ में जो सप्रदायिक हिसा (दंगा) से पूरे जम्मू कश्मीर में आग लग गया है। यदि घटना की गंभीरता को देखते हुए सुबह ही इसे रोका गया होता तो यह आग पूरे जम्मूकश्मीर में नही लगती । इस घटना का जितना भी निदा किया जाये वह कम है।
ईद उल फितर के अवसर पर मुसलमानों के द्वारा एक माह (रमजानका महीना) से रोजा (उपवास) रखा जाता है । जब चांद देख लोग ईद मनाया जाता है। सभी मुसलमान अमीर हो या गरीब वह ईद के दिन मसजिद में जाकर नमाज पढाकर यह त्यौहार मनाते है। यह महीना बहुत पवित्र माना जाता है। जम्मु के किश्तवाड़ शहर में इस दिन बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय हजारों की संख्या में लोग सुबह एकत्र हुए। स्थानीय मसजिद में हजारों मुसलमानों से अधिक लोगों ने नमाज अदा किया । नमाज के बाद एक दूसरे को बधाई दिया जाता है, लोग ईद मनाते है । बडे बुजुर्गो द्वारा बच्चों को तोफा दिया जाता है लेकिन बहुसंख्यक मुसलमानों द्वारा अल्पसंख्यक हिन्दूओं को दंगा रूपी ईदी दिया है। जैसे मसजिद से बाहर निकलते हिन्दूओं के दुकानों पर हमला शुरू कर दिया। सैंकडों लोग मसजिद से निकलते ही ईट,पत्थरों ,लाठी, लोहे के राड से हिन्दूओं के दुकानों घरों पर हमला  हुआ। बहुसंख्यक मुसलिम समुदाय द्वारा अचानक हुआ हमला से अल्पसंख्यक हिन्दूओं  समझ नही पाय । कोई भी समाज अपने त्यौहार पर खुषी मानते है नेक इरादा रखते है। किष्तवाड़ के मुसनमानों जो किया किस भी धर्म इसकी अनुमति नही देता है।
अल्पसंख्यक हिन्दूओं पर अचानक हुऐ हमला से संभाल नही है जिसमें कई हिन्दूओं की हत्या किया गया। दुकानो को लुटा गया और दुकान में आग लगा दिया। आखिर हिन्दू तो कहां जाये पुलिस हाथ पर हाथ धर कर बैठे हुऐ थे। क्योकि स्थानीय विधायक ने वही डेरा जामाये हुऐ और इस हमला की नेतृत्व तैयारी में लगे रहे। जो राज्यगृहमंत्री होते हुऐ हिन्दूओ के रक्षा के लिए नही बल्कि, मुसलमानों को भडका रहे थे। इस घटना में भाजपा का कई कार्यकर्ता  घयाल हो गये । भाजपा के पूर्व किश्तवाड़ जिला अध्यक्ष कैप्टन (सेवानिवृत्त) हूकूमचंद शामिल हैंे जिन्हे गंभीर चोट लगाने से घायल हो गये । दोपहर तक जिला प्रषासन और पुलिसप्रषासन की निक्रियता के कारण भाजपा ने अपने राश्ट्र नेताओं को घटना की गंभीरता कि सुचना दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह जी तुरत प्रधानमंत्री से बात किया कहाकि राज्य सरकार दंगाईयों की मदद कर रही है बिना सेना भेजे स्थिति और बिगड सकती है। प्रधानमंत्री ने अपनी सक्रियता दिखाते हुऐ तुंरत सेना भेज दिया। दोपहर में सेना के पहुचने पर षाम तक स्थिति नियत्रण में आई है। श्रीनगर में अबदुल्ला सरकार सोई थी, सेना के आगमन की जानकारी मिलते ही जाॅच के आदेष दिये,और कलेक्टर तथा पुलिस अघिक्षक को हटा दिया गया । जो यह कह रहे थे, किष्तवाडा मे षांति है और भाजपा झूठ बोल रही है। दूसरे दिन भाजपा द्वारा पूरे जम्मू क्षेत्र में बंद का आह्वान किया है । सभी लोगों इस बंद का समर्थन किया है।
रमजान के महीने में जो पवित्र महीना माना जाता है इस प्रकार की हिसा जायाज है क्या ? अभी कश्मीर को लेकर पुरे देश  में सरकार के निसक्रियता को लेकर नाराजगी है। वही यह घटना पूरे देश में एक प्रकार से नाराजगी दिखाई दे रहा है। यह घटना सुबह से हो रहा था लेकिन मीडिया ने कवर नही किया । जब सोशल मीडिया ने इस खबर को खुब चलाया तो अन्य चैनल ने यह महत्वपूर्ण माना । भाजपा ने बंद की घोशण के बाद तथा इस घटना कि भाजपा प्रवक्ताओं ने प्रेस वार्ता किया तब जाकर । यह समाचार दिखाया जाने लगा , मीडिया द्वारा इस प्रकार की हिन्दूओं के उपर होने वाले अत्याचार को नही दिखाना भी कही न कही इस प्रकार की घटना का समर्थन माना जाय । तो मीडिया की निष्पक्षता कैसे होगी।

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

क्या नेता और शासक इजरायल से प्रेरणा लेंगे ?


      भारत के जम्मू और कश्मीर के पुंछ सेक्टर में  पाकिस्तान के कमांडो ने भारतीय चौकी पर हमला किया | इस हमले में पाँच भारतीय सैनिकों की हत्या की गई है| भारत सरकार द्वारा जैसा प्रतिक्रिया होना चाहिए न कर , संसद में गृहमंत्री एंटनी ने कहा था कि पांच भारतीय सैनिकों की हत्या आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहने लोगों ने की है | पुरे देश में सोशल मिडिया द्वारा प्रतिक्रिया ने विपक्ष को हमला करने को मजबूर किया | सरकार चेती दुसरे दिन एटनी ने बयान बदला लेकिन रक्षामंत्री ने बिना सोचे कैसा कहा ...एक जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा इतनी बड़ी गलती से देश को कितना हानि हो सकती है | लेकिन क्या भारत के नेता और शासक इजरायल से प्रेरणा लेंगे  
       जब फिलिस्तीनी आतंकवादियो ने 1972 के म्यूनिख ओलंपिक गेम्स विलेज में घुसकर 11 इस्राइली खिलाडियों की हत्या कर दिया था । तब तत्कालीन इस्राइली प्रधानमंत्री श्रीमती गोल्डा मायर ने कोई भी बयान नहीं दिया | उन्होंने सारे मृत खिलाडियो के घरवालो को खुद फोन करके कहा की हम बदला लेकर रहेंगे | उन्होंने अपनी गुप्तचर एजेंसी मोसाद को पूरी छुट दे दी, मोसाद का एकमात्र मिशन था कि दुनिया के किसी भी कोने से इन आतंकियों को तलाश करो, उसको ख़त्म करो |  एक बार मिशन म्यूनिख के आतंकियों के  ख़ात्मे का ज़िम्मा सौंपे जाने के  बाद मोसाद ने अपने मिशन का आग़ाज़ किया | तारीख़ थी 9 अप्रैल 1973 और मिशन का नाम था रॉथ ऑफ गॉड | इसके लिए मोसाद का सबसे पहला काम था | दुनिया के  किसी भी कोने में छिपे आतंकियों को खोज निकालना | यह ज़िम्मा मोसाद के यूरोपियन एजेंट्स को सौंपा गया था |
      1972 के म्यूनिख ओलंपिक घटना में जितने लोग भी शामिल थे, वो चाहे दुनिया के किसी भी देश में हो उनको जिन्दा नहीं रहने देना है| मोसाद ने पता लगा लिया की इस हत्याकांड में 14 आतंकवादी शामिल थे| इन आंतकवाद को खोज कर मरना शुरू किया |

१ - एक आतंकवादी सलाह खलिफ जेदाह में अपने परिवार के साथ रहता था । मोसाद ने उसके घर में रखे टेबल जिस पर फ़ोन रखा था, ठीक वैसा ही टेबल रख दिया और टेबल के अन्दर बम फिट करके उसका कनेक्शन फोन से जोड़ दिया, फिर उसके फोन की घंटी बजी उसने जैसे ही फोन उठाया उसके चीथड़े उड़ गए |
2 -
एक आतंकवादी अबू दयुद बेरुत में छुपा था मोसाद ने उसकी पूरी दिनचर्या पर नज़र रखी । वो एक क्लब में रोज जाता था । इजराइल ने अपने खतरनाक कमांडो को बेरुत भेजा, जिसमे सिर्फ 3 लोग थे, एक कमांडो बेंजामिन नेतान्याहू जो बाद में इसराइल के राष्ट्रपति बने | एक ख़ूबसूरत लड़की का भेष रखकर उस क्लब में नाच रहे थे, जैसे ही वो आतंकवादी उनके करीब नाचने के लिए आया, बेंजामिन ने अपनी फुल्ली औटोमटिक गन से गोलियों की बौछार कर दी 15 लोग मरे गए, और बेंजामिन और उनका साथी जो उनको कवर कर रहा था | लेबनानी पुलिस के नकली गाड़ी में फरार हो गए।
3 -
एक आतंकवादी अमिन अल हिंदी को मोसाद ने अम्मान में उसके बिल्डिंग के नीचे गोलियों से भुन दिया |
4 -
अब बाक़ी बचे आतंकवादियो ने डरकर आत्मसमर्पण करने का प्रस्ताव भेजा। लेकिन गोल्डा मायर ने कुछ नहीं बोला चौथे आतंकवादी अबू फयाज, जो छुप कर हेलसिंकी में रहता था, उसे कार से कुचल कर मार दिया गया ।
5 -
पाचवे आतंकवादी अली हसन सलामेह जो पेरिस में छुपा था, वही उसको साइनाइड जहर देकर मार दिया गया
6 -
महमूद हम्शारी को दमिस्क में गोली मारी गयी ।
      इस तरह मासोद ने एक एक को चुन चुन कर पूरी दुनिया में मारा । इज़रायल का यह मिशन 20 से भी अधिक वर्षों तक चला |  मोसाद का यह मिशन कितना ख़ौफ़नाक था,  इसकी सबसे बड़ी दास्तां यह है कि जिस किसी पर भी मोसाद को शक़ हुआ | वह इसकी नज़रों से बच नहीं पाया | 15 मई, 1948 को ब्रिटिश हुकूमत से मिली आज़ादी के बाद इज़रायल पर अरबों का हमला जारी रहा | इस तरह अरबों से सुरक्षा और इज़रायल की संप्रभुता को बरक़रार रखना एक चुनौती कम नहीं था | इजराइल को अपने विरोधियों से निपटने के लिए ख़ु़फिया सूचनाओं की ज़रूरत होती थी | इनका मक़सद था यहूदियों को अरबों के आतंक से बचाना | इजराइल को ज़रूरत नए ख़ु़फिया तंत्र को विकसित करने की, ताकि इसकी संप्रभुता को क़ायम रखा जा सके | इन्हीं सारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए जुलाई 1949 में इज़रायली ख़ु़फिया एजेंसी मोसाद ने इस दुनिया में पहली बार क़दम रखा | इज़रायल की यह ख़तरनाक ख़ु़फिया एजेंसी मोसाद, अपने सभी मिशन को अंजाम तेल अवीव स्थित मुख्यालय से देता है| जिसके लगभग 1500 एजेंट दुनिया के हर देश में मौजूद हैं | अपने ख़ु़फिया कारनामों की वजह से यह दुनिया की सबसे बेहतरीन और दुश्मन के लिए खतरनाक ख़ु़फिया एजेंसियों है मासोद |
       मोसाद ने धीरे-धीरे हर मुल्क़ में अपने पांव पसारने शुरू कर दिए| ऐसा कोई देश नहीं, जहां मोसाद के एजेंट मौजूद न हों | इज़रायल की ख़ु़फिया एजेंसी मोसाद के बारे में इतना कहना ही काफी होगा कि स़िर्फ भगवान ही सब कुछ जानता है और वह मोसाद के लिए काम करता है |  इजराइल के जज्बे को सरकार और जनता मिल कर करती है | इजराइल  के नागरिक हमेशा अपना सर उठा कर दुनिया के किसी भी कोने में चलते है | अमेरिका में ११ सितम्बर कि घटना में एक भी इजराइल के नागरिक नहीं मारा गया |
        इनसे हम कोई सबक नही सीखेगे क्या ?

गुरुवार, 8 अगस्त 2013

बेचारे रक्षा मंत्री एंटनी का दोष


    भारत के जम्मू और कश्मीर के पुंछ सेक्टर में 6 अगस्त को पाकिस्तान के कमांडो ने नियंत्रण रेखा पर भारतीय चौकी पर हमला किया | इस पाकिस्तान हमले में पाँच भारतीय सैनिकों की हत्या की गई है| खबर आते ही देश भर से जोरदार प्रतिक्रिया हुआ | संसद में गृहमंत्री एंटनी ने दोनों सदनों में अपनी ओर से दिए वक्तव्य में कहा था कि पांच भारतीय सैनिकों की हत्या आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहने लोगों ने की। राज्यसभा में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके पास जो भी सूचना उस समय थी, कल का बयान उसी के आधार पर था। रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि देश की सुरक्षा और अखंडता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। ये बात लोगो को हजम नहीं हुआ | देश भर से गृहमंत्री एंटनी के बयान पर सोशल मिडिया द्वारा जोरशोर से विरोध दर्ज किया जाने लगा |

    फिर विपक्ष भाजपा ने एंटनी को निशाने पर रखते हुए मांग की कि पाकिस्तान को ‘बचने का रास्ता’ देने के लिए वह माफी मांगें। संसद के दोनों सदनों को विपक्ष ने अपने आक्रामक अन्दाज में ठप कर दिया जिससे कोई भी कामकाज नहीं हो सका। आक्रामक विपक्ष अड़ गया कि एंटनी ने पाकिस्तानी सेना को ‘क्लीन चिट’ दी है, इसलिए वह माफी मांगें। दूसरी ओर लालकृष्ण आडवाणी समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर नियंत्रण रेखा पर भारत के पांच सैनिकों की हत्या के मुद्दे पर रक्षा मंत्री के बयान पर गहरी आपत्ति व्यक्त करते हुए इस गंभीर मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने की मांग की। रक्षा मंत्री के बयान से लगता है कि रक्षा मन्त्री पाकिस्तान के है | यह बयान पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दिया लेकिन विपक्ष ने संसद में जब हंगामा मचाया तो सरकार को गलती समझ में आया | सोशल मिडिया ने जब खूब हल्ला मचाया फिर कांग्रेस अपनी डेमेज कंट्रोल में लग गया | दुसरे दिन एंटनी ने संसद में कहा, 'मेरा पहला बयान उपलब्ध तथ्यों के आधार पर था | फिर सेना प्रमुख बिक्रम सिंह ने इलाके का दौरा किया और जानकारियां जुटाईं | अब साफ हो गया है कि हमला पाकिस्तानी सेना की स्पेशल यूनिट ने किया| पाक सेना सीधे तौर पर भारतीय सैनिकों की हत्या में शामिल थी, पाकिस्तान सहयोग के बिना कोई हमला नहीं हो सकता|

         मुझे लगता है बेचरे रक्षा मंत्री एंटनी का इतना दोष नहीं है संशोधित बयान देने पर सवाल ये है की सेना के बयान में पकिस्तान के हित वाला संशोधन किसने कराया ?  असली अपराधी को पहचानने का प्रयास करे | सूत्र बताते है कि इस कांग्रेसी सरकार में पकिस्तान के सबसे बड़े एजेंट हैं वैसाखी चोर सलमान खुर्शीद और सोनिया के अन्तःपुर का सबसे बड़ा खास सिपहसालार अहमद पटेल है | ये पटेल तो सारा खेल सोनिया के सह पर परदे के पीछे से खेलता है | कभी अपने ऊपर कोई आरो आने नहीं देता क्योंकि परदे के पीछे खेलने वाला दिखता नहीं है, फंस गया बेचारा एंटनी |  अब सलमान खुर्शीद कि तो जनाब ने हमले की बाद भी कितनी बेशर्मी से वो पकिस्तान से बातचीत के लिए बेताब दिखाई दे रहा था | ये खुर्शीद जेहादी आतंकी संगठन "सिमी ""का वकील रहा है| इस समय विदेश मंत्रालय में बैठकर विदेश मंत्री भारत के लिए या विरोधी काम कर रहे है |

बुधवार, 7 अगस्त 2013

शेखर कपूर के प्रायोजित “प्रधानमंत्री”


शेखर कपूर के प्रायोजित “प्रधानमंत्री”

       शेखर कपूर द्वारा “प्रधानमंत्री” नामक सीरियल ABP NEWS समाचार चैलन द्वारा दिखया जा रहा है | तीसरे अंक में कश्मीर के बिषय पर दिखाया गया | इस कार्यक्रम के अबतक दिखे गये अंक में नेहरूजी को प्रोजेक्ट किया जा रहा है | इससे लगता है कि प्रधानमंत्री नाम का कार्यक्रम प्रायोजित है | ऐसा लगता है कि कांग्रेस की सरकार ने अपनी छवि सुधारे हेतु प्रायोजित किया गया है | इससे फायदा यह होगा कि लोगो के मन में नेहरु और गाँधी के प्रति विश्वास बना रहे | जो सोशल मिडिया ने बिगड़ दिया है | दुसरे लोगो पर आसानी से कीचड़ उछाला जा सके जैसे – महाराजा हरिसिंह के ऊपर उछाला गया है | कहा गया कि हरिसिंह अपना अधिक समय बाम्बे के रेस कोर्स में या रियासत के जंगलो में शिकार करने में बिताते थे | ऐसे अनेक बाते को बोलने के लिए वरिष्ठ पत्रकार ऍमजे अकबर के द्वारा कहलाया गया | वरिष्ठ पत्रकार ऍम जे अकबर एक मुसलमान है, वे कैसे कह सकते है की महाराजा ने हरिसिंह अच्छे आदमी है |

   महाराजा हरिसिंह जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा लन्दन में आयोजित गोलमेज कॉन्फरेंस में भारत के राजवाड़े के सामने पहली बार भारत कि पूर्ण स्वन्त्रतता कि बात कही थी | यह बात अंगेजो के मुह पर एक तमाचा था | इस बात के कारण अंग्रेज महराजा से नाराज हो गये | अंग्रेजो ने किसी भी कीमत पर जम्मू कश्मीर को महाराजा के हाथो में सत्ता नहीं देना चाहते थे |१९४७ में माउन्टबेटन महाराजा से मिलने श्री नगर गये,वे अकेले में मिलना चाहते थे | महाराजा हरिसिंह अंग्रेजो कि चाल को समझते थे इसलिए माउन्टबेटन से नहीं मिले |

   शेखअब्दुल्ला अंग्रेजो का नाजायज औलाद था | अंग्रेजो ने केवल शेख अब्दुल्ला से एक काम करता रहा महाराजा हरिसिंह जी के खिलाफत करते रहो | सफल हुए तो कश्मीर के राजा बनायेगे| १९४६ में अब्दुल्ला ने महाराजा का विरोध शुरू किया , जगहजगह पर मुसलमानों को महाराजा के खिलाफ भड़का शुरू किया और महाराजा हरिसिंह कश्मीर छोड़ो के नारे लगाने लगे | हिन्दू राजा कैसे, मुसलमानों पर राज कर रहा है | महाराजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया | कुछ स्थानों पर मुसलमानों ने हिंदूओ कि घरो पर हमला कर दिया | महाराजा ने परिस्थितियों को ध्यान में रख कर शेख अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया |

    शेखअब्दुल्ला ने नेहरु तक खबर पहुचाया कि किसी तरह मुझे जेल से छुड़ाया जाये | नेहरु ने महाराजा को कहा कि अब्दुल्ला कि छोड़ दिया जाये | लेकिन महाराजा अब्दुल्ला कि चल को समझते इसलिए नेहरु के कहने के बाद भी अब्दुल्ला को जेल से नहीं रिहा किया | इस बात को नेहरु ने जीवन भर अपना अपमान समझते रहे,प्रधानमंत्री बनते ही अपनी रोष कश्मीर के महाराजा के प्रति दिखाया, जो आज भी भारत के लिए नासूर बन गया है | महाराजाहरिसिंह जी को शेख अब्दुल्ला को सत्ता देने के लिए मजबूर कर दिया |१९५० में महाराजा हरिसिंह को नेहरु ने अपमानित करके जम्मू कश्मीर छोड़कर मुम्बई में आखरी समय तक रहना पड़ा | नेहरू ने जिन समस्या में हाथ लगा था आज भी वह सब भारत के लिए नासूर बना हुआ है |

    सरदार पटेल ने महाराजा हरिसिंह को जानते एवं समझते थे | सरदार पटेल के कहने पर  महाराजा ने प्रधानमंत्री रामचन्द्र काक को हटाकर पंजाब के न्यायाधीश मेहरचन्द्र महाजन को प्रधानमंत्री बना था | क्योंकि अब्दुल्ला,रामच्रद्र काक और जिन्ना के साथ गुप्त वार्ता हो चूका था | नेहरु ने जानबूझकर जम्मू कश्मीर का  मामला अपने पास में रखा कि महाराजा को अपमानित करना था | महाराजा हरिसिंह नेहरु के कारण भारत में विलय नहीं चाहते थे | नेहरु और अब्दुल्ला के रिश्ते को जानते रहे | भारत में विलय के बाद जो स्थिति होगी महराजा हरिसिंह जानते थे | आज भी नेहरु के कारण कश्मीर एक समस्या के रूप में दुनिया देखता है | पाकिस्तानी सेना( कबलाई कहा जाता है ) ने कश्मीर पर हमला कर दिया | जम्मू कश्मीर की जनता कि भलाई के लिए महाराजा हरिसिंह ने २६ अक्तूबर १९४७ में नि;शर्त भारत में विलय कि घोषणा पत्र लिख दिया | सरदार पटेल ने तुरत सेना भेजकर श्रीनगर को बचा लिया और कबलाई को भागन शुरू किया | धीरेधीरे पाकिस्थान सेना कबलाई के कदम उखड गये, आधी इलाका पर भारतीय सेना ने कब्ज़ा कर लिया | कुछ दिनों कि बात थी लेकिन नेहरु ने कश्मीर मामले को सयुक्तराष्ट्र संघ में सुलझने ले गये, जो आज तक नहीं हुआ |

    शेखरकपूर यदि इतने इतिहासकार है, तो इन सब बातो को क्यों नहीं शामिल किया | शेखअब्दुल्ला इतना ही अच्छा था, तो नेहरु ने जनसंघ के राष्ट्रीय नेता श्री श्यामाप्रसाद मुखर्जीकी हत्या के बाद शेखअब्दुल्ला की सरकार को बर्खास्त कर जेल में क्यों डाला | शेखअब्दुल्ला का मतलब सिद्ध हो गया | कश्मीर के सत्ता मिलते ही अपनी मुसलमानी रंग दिखने लगा | भारत से अधिक स्वायत लेने लगा | हिंदूओ के ऊपर होते अत्याचार को देखकर जनसंघ राष्ट्रीय नेता ने देश भर में आन्दोलन शुरू किया | श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर में एक निशान ,एक प्रधान, एक विधान नामक आन्दोलन छेड़ दिया | कश्मीर में प्रवेश हेतु परमिट सिस्टम का विरोध कर कश्मीर गये | अब्दुल्ला की सरकार ने श्यामाप्रसाद मुखर्जी को गिरफ्तार जेल में उनकी हत्या किया गया | इस पर नेहरु के खिलाफ देश भर में आन्दोलन शुरू हो गया | अपनी छवि ख़राब होते देख नेहरु ने अब्दुल्ला को जेल भेज दिया | आज भी जम्मू कश्मीर की समस्या वही है, शेख अब्दुल्ला के खानदान जमू कश्मीर में राजपाठ चला रहे है,महाराज हरिसिंह कि संतान कर्ण सिंह काग्रेस के नेता होते हुए वनवास है | ये कैसा प्रधानमंत्री का कार्यक्रम बना है स्पष्ट हो रहा है |