बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

बोफोर्स का जिन्न अभी भी जिन्दा है -

CBI के पूर्व चीफ श्री आर. के. राघवन ने कहा है कि एक पार्टी की सरकार ने बोफोर्स की जांच में पलीता लगा दिया। राघवन ने अपनी आत्मकथा ‘अ रोड वेल ट्रैवल्ड’ में कहा कि- मामला इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि किस तरह एक पार्टी की सरकार ने एक सही मामले की जांच को पलीता लगा दिया, जिसके पास बहुत कुछ छिपाने को है। पूर्व सीबीआई चीफ ने कहा कि अदालत में मामला न टिक पाने के लिए वे लोग दोषी हैं जिन्होंने 1990 के दशक में और 2004 से 2014 तक जांच एजेंसी को नियंत्रित किया। 

बोफोर्स कांड में भ्रष्टाचार का यह मामला 24 मार्च 1986 को भारत सरकार और स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 1,437 करोड़ रुपये का सौदा हुआ। यह सौदा भारतीय थल सेना को 155 एमएम की 400 होवित्जर तोप की सप्लाई के लिए हुआ था। हॉवित्जर तोप सौदे में कथित रिश्वत से जुड़ा है जिसकी वजह से 1989 में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से बाहर जाना पड़ा था। आरोप था कि कंपनी ने नेताओं, कांग्रेस के नेताओं और नौकरशाहों को करीब 64 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। 16 अप्रैल 1987 स्वीडन के रेडियों से एक समाचार का प्रसारण किया गया। पूरे भारत में हडकम मच गया । यह समाचार था कि बोफोर्स के खरीदी में दलाली दी गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस समाचार को रोकने के लिए पूरी कोशिश किया कई समाचार पत्र को मैनेज कर लिया गया। लेकिन इंडियनएक्प्रेस ने इस समाचार को प्रमुखता से छापा, पूरे देश इस समाचार से स्तब्ध होगा। राजीव गाधी की छवि एक सामान्य जनक नेता की थी । भारत के लोगों को विश्वास नही हुआ कि राजीव गांधी ऐसा भी कर सकते है। बोफोर्स घोटला के नाम से जाना गया और कांग्रेस का ग्राफ गिरता ही गया । 

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी के करीबी दोस्त माने जाने वाले क्वात्रोच्चि पर इस सौदे में एजेंट की भूमिका निभाया था। सोनिया के मित्र क्वात्रोच्चि पर आरोप था कि इस सौदे के बदले उसे दलाली की रकम का बड़ा हिस्सा मिला। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद को आश्वासन दिया था कि बोफोर्स तोप खरीद में कोई घोटाला नहीं हुआ है। देश ने इस घोटाले में राजीच गांधी को दोषी मानते हुए 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया

शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

ताइवान नेशनल पर भारतीयों का जोश देखकर चीन बौराया...

आज भारत सहित पूरी दुनिया HappyNationalDayTaiwan मना रहा है। चीन को पता था कि भारत के लोग TaiwanNationalDay मनाएंगे। इसलिए भारत सरकार से कहा था कि भारत में कोई भी नहीं #ताईवान_दिवस मनाये। भारत सरकार ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक मूल्यों का राष्ट्र है। यहाँ पर प्रेस मीडिया को स्वतंत्र है इन्हें सरकार द्वारा नहीं रोक जा सकता है। आज इंडियन एक्सप्रेस ने एक पेज विज्ञापन छापा है। हम भारतीयों की एक खास विशेषता है जिस काम को मना किया जा है उस काम को पहले करते हैं। लेकिन #China यह बात नही समझा।

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

6 दिसंबर1992 को विवादित ढांचा गिरने के 28 साल बाद, सभी आरोपी बरी

 

6 दिसंबर 1992 का दिन भारतीय राजनीति में टर्निग पॉइंट रहा है। राम मंदिर आन्दोलन ने भारत की राजनीति को हमेशा के लिए बदल दिया है। इसी आंदोलन से भाजपा का उदय हुआ और कांग्रेस के पतन की शुरुआत हुई।

इसी दिन लाखों कारसेवकों ने मिलकर बाबरी मस्जिद नाम से विवादित ढांचे को गिरा दिया था। 1992 में अयोध्या में जो हुआ, उसकी नींव 1990 में बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के साथ ही पड़ गई थी। उस वक्त 'कसम राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे' का नारा काफी चला था। इसके बाद धीरे-धीरे मुद्दे ने रंग पकड़ा और 1992 में 'एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो' के साथ मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया गया। 6 दिसंबर को आखिर 28 साल पहले क्या हुआ था

सुबह करीब 10.30 बजे वरिष्ठ नेता बीजेपी और वीएचपी नेताओं ने विवादित ढांचे के पास पहुंचकर राम शिला की पूजा-अर्चना की गई। इसमें एल के आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के साथ कई संत भी शामिल थे। इनके पीछे थे करीब 1.5 लाख कारसेवक। 

सोमवार, 31 अगस्त 2020

प्रणब दा .. बहुमुखी प्रतिभा के धनी

 


भारत के 13 पूर्व राष्ट्रपति, भारतरत्न से समानित श्री प्रणब मुखर्जी दा अब हमारे बीच में नहीं रहे है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को उन्हें संघ के लिये एक मार्गदर्शक करार दिया और कहा कि वह राजनीतिक छुआछूत में विश्वास नहीं करते थे। प्रधानमंत्री मोदी जी पिता तुल्य प्रणब दा को मानते थे । मोदी जी ने प्रणब मुखर्जी को एक पत्र लिखा था।

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता

विश्व की दो शक्ति देश जो आपस में दुश्‍मन देश इजरायल और संयुक्‍त अरब अमीरात करीब 72 साल बाद 'दोस्‍त' बन गए हैं। अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस मध्यस्थता के बाद इजरायल और यूएई ने शांति समझौते पर हस्‍ताक्षर किया है। अमेरिका  के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू और अबूधाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्‍मद अल नहयान के बीच हुए इस समझौते को 'एक वास्‍तविक ऐतिहासिक मौका' करार दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह डील न केवल ईरान और चीन की दोस्‍ती का जवाब है, बल्कि भारत के लिए भी बड़ी खुशखबरी है।


रविवार, 2 अगस्त 2020

भारत में फ्रांस से राफेल आने के बाद पाकिस्तान और चीन का हाल


जब से फ्रांस से पहुंचे पांच राफेल विमान अंबाला के एयरबेस पर पंहुचा वैसे पूरा भारत स्वागत किया। बुधवार को फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाए गए इन लड़ाकू विमानों के भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद भारत की ताकत में बढ़ गई है। राफेल विमानों के भारत पहुंचने के बाद पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन की चिंता भी बढ़ है। पाकिस्तान के विदेश विभाग ने कहा कि भारत अपनी सुरक्षा जरुरतों से ज्यादा सैन्य क्षमता जुटाना जारी रखे हुए है तथा चीन ने अपने सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के माध्यम से कह रहा है राफेल एक थर्ड जनरेशन का प्लेन जबकि हमारा J-20 फिप्ट जनरेशन का जेट प्लेन है यह J-20 के सामने नहीं टिकने वाला है लेकिन पूर्व एयर चीफ बी एस धनोरा ने चीन की J-20 की औकात बता दिया तो चीन की बोलती बंद हो गई। 

दुसरे दिन बृहस्पतिवार को पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता आयशा फारुकी ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय वायुसेना द्वारा फ़्रांस से प्राप्त किए गए राफेल विमानों से दक्षिण एशिया में परेशानी का सबब हैकि भारत अपनी सुरक्षा जरुरतों से ज्यादा सैन्य क्षमता जुटाना जारी रखे हुए है। उन्होंने कहाकि  अत्याधुनिक प्रणाली का हस्तांतरण  जहां स्पष्ट मंशा उसे परमाणु हथियार ले जाने लायक बनाने की हैयह परमाणु हथियार जमा नहीं करने के अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं से किए गए वादे पर सवाल खड़े करता है। आगे कहा कि  दक्षिण एशिया में हथियारों की दौड़ के खिलाफ अपने रूख पर कायम रहते हुए,  पाकिस्तान इन घटनाक्रमों के प्रति बेखबर बना नहीं रह सकता है  और वह गलत मंशा के साथ आक्रमकता के किसी भी कदम को नाकाम करने की अपनी क्षमता के प्रति आश्वस्त है।  भारत द्वारा क्षमता से ज्‍यादा हथियार जुटाना पाकिस्‍तान के लिए भी शुभ संकेत नहीं हैं। यह परेशान करने वाली बात है। अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय को इस पर ध्‍यान देना चाहिए।

पाकिस्तान में फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन से चार साल बाद भारत को पांच राफेल विमानों की पहली खेप प्राप्त होने के बाद खौफ का आलम बन गया है कि इन विमानों के आने से ठीक पहले पाकिस्‍तान के एयरफोर्स चीफ को आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से आपात बैठक करनी पड़ी है।

ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक एक्सपर्ट को सामने रख कर कहा कि भारत का राफेल चीन के J-20 के सामने कहीं गिनती में नहीं है।  उसने बताया कि राफेल थर्ड जेनेरेशन फाइटर जेट है और J-20 फोर्थ जेनेरेशन फाइटर जेट है जो ज्यादा आधुनिक है। भारत में राफेल आने से चीन की चिंता बढ़ी और जलनखोर ने चीन ने जलन से कहा कि उसका J-20 भारत के राफेल से कहीं बढ़ कर है 

फिर चीन को आइना दिखाया भारत के पूर्व वायु सेनाध्यक्ष बी.एस. धनोआ ने तुरंत चीन के दावे की हवा निकल दी की चीन को बता दिया कि फ्रांस में बना फाइटर जेट राफेल चीन के J-20 फाइटर जेट से कई गुना श्रेष्ठ है।  चीन ने कहा आधुनिक हथियार और सीमित तकनीक के कारण  राफेल की थर्ड जेनेरेशन दूसरे फाइटर जेट से तो तुलना की जा सकती किन्तु फोर्थ जेनेरेशन के J-20 जैसे जंगी जहाज़ से ये मुकाबला नहीं कर सका।  राफेल 4.5 जेनरेशन का गेमचेंजर है और इसके सामने चीन का फाइटर जेट जे-20 कहीं नहीं टिकता।  उन्होंने कहा कि जे-20 इतना कुशल नहीं है कि उसे फिफ्थ जेनेरेशन फाइटर जेट कहा जा सके।  जे-20 का के रडार सिग्‍नेचर के कारण यह राफेल के लॉन्‍ग-रेंज मीटॉर मिसाइल की पकड़ में बच नहीं पाता है और राफेल सुपरक्रूज है जबकि जे-20 के भीतर सुपरक्रूज़ेबिलिटी नहीं है।  

1999 कारगिल विजय के बाद तत्कालीन अटल बिहारी सरकार ने भारत की वायुसेना के आवश्यकता नए जेनेरेशन फाइटर जेट खरीदने को कहा गया। लेकिन इस प्रस्ताव की अपचौरिकता पूरी होती की उनकी सरकार 2004 में लोकसभा चुनाव हार गई तब मनमोहन सरकार ने पुरे 10 वर्ष में नये फाइटर जेट नहीं खरीद पाई 2014 में मोदी सरकार ने फिर से वायुसेना की आवश्यकतानुसार फ़्रांस जाकर  राफेल खरीदने की शुरुवात किया जिसका परिणाम की भारत ने रुस से खरीदे गए सुखोई विमानों के पश्चात करीब 23 साल बाद वायुसेना ने नये जेनरेशन का लड़ाकू जेट राफेल प्राप्त किया है। राफेल के भारत पहुंचने पर सरकार, वायुसेना तथा आम लोगों में बहुत ही उत्साह था कि भारत की वायु सेना की शक्ति जो की लड़ाकू जेट की मारक क्षमता बढ़ गई हैं। राफेल 4.5 जेनरेशन का मल्टी रोल कांबेट एयरक्रॉफ्ट है, जो आकाश से जमीन पर और आकाश से आकाश दोनों में ही दुश्मन पर धावा बोलने में सक्षम है। एक बार ईधन भरने पर 10 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है। इसकी स्पीड इतनी है कि एक मिनट में ही राफेल 60000 फीट की उंचाई पर जा सकता है और 2130 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से यह उड़ान भरने में सक्षम है। इसकी मारक क्षमता करीब 3700 किमी तक है। राफेल जेट मिटियोरस्कैल्प और बीवीआर जैसे अति आधुनिक मिसाइलों और हथियारों से लैस हैं। इसकी रडार प्रणाली भी बेहद मजबूत है और यह परमाणु मिसाइलों के संचालन की भी पूरी क्षमता रखता है। 

 

 


मंगलवार, 23 जून 2020

सोनम वांगचुक की बॉयकॉट चाइना की अभियान, अब असर दिखना शुरू ...



भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के माहौल में बॉयकॉट चाइनीज़ प्रोडक्ट्स और वोकल फॉर लोकल मुहिम देश में फिर से शुरू हो गई है। इसकी शुरुवात सोनम वांगचुक ने अपने वीडियो के माध्यम से किया था, इस अभियान का परिणाम दिखा शुरू हो गया है चीनी कंपनियों के दबदबे वाले स्मार्टफोन बाजार में घरेलू मोबाइल कंपनियां फिर से आने की कोशिश शुरू कर दिए है यानि खुद के लिए कमबैक के तौर पर देख रही हैं। और खास बात है की भारत सरकार ने मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ाने के मकसद से सरकार ने बड़ा फैसला किया है सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर प्रोडक्ट रजिस्टर करने के लिए 'कंट्री ऑफ ओरिजन'  बताना जरूरी होगा सभी विक्रेताओं को अपने प्रोडक्ट के मूल देश (country of origin) की जानकारी देनी ही होगी प्रोडक्ट के बारे में सभी जानकारी और प्रोडक्ट के मूल देश की जानकारी नहीं देने पर प्रोडक्ट को GeM प्लेटफ़ॉर्म से हटा दिया जाएगा

वही चीन भारत में चीनी सामान के बहिष्कार से तिलमिला उठा है। चीनी समाचार पत्र में  लेख में सोनम वांगचुक का भी उल्लेख करते हुए कहा गया कि सोनम वांगचुक जैसे शख्स आम भारतीयों को चीनी सामानों का बहिष्कार करने के लिए उकसा रहे हैं तथा चीन के खिलाफ आम भारतीयों को भड़काने और बदनाम करने की यह जान-बूझकर की गई कोशिश है। चीनी सामानों के बहिष्कार की अपील पूरी तरह फेल हो जाएगीक्योंकि ये उत्पाद आम भारतीयों की जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं।

चीन को सबक सिखाने के लिए सोनम वांगचुक ने यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने बताया कि चीन को आईना दिखाने के लिए क्या किया जा सकता है। उनके हिसाब से इसके दो तरीके हैं- एक तो सेना की तैनाती और दूसरा भारतीयों की ओर से चीनी सामान का बहिष्कार। सोनम वांगचुक के इस वीडियो को लोगों ने समर्थन देते हुए सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया था। आम भारतीय चीन से उत्पादित सामानों का खुले आम बहिष्कार कर रहा है  


शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

मुकेश अम्बानी की जियो और फेसबुक के बीच बड़ी डील, शेयर मार्केट लंबी छलाग


कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लॉकडाउन के बीच आर्थिक संकट से गुजरते हुए, लेकिन इसी बीच अच्छी और बड़ी खबर आई कि - देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जियो और सोशल मीडिया की अग्रणी कंपनी पेसबुक के बीच सबसे बड़ी साझेदारी हुई। सुबह की यह खबर पर मुकेश अंबानी ने आकर मिडिया को यह जानकारी दी। वैसे ही रिलायंस कंपनी के सारे शेयर के साथ एक महीने से नीचे से ऊपर शेयर बाजार उठ खड़ा हुआ।

इस डील पर फेसबुक और जियो के बीच 14 महीनों से तैयारी की जा रही थी। फेसबुक ने जियो में निवेश के लिए 43574 करोड़ रुपए का खर्च कर कंपनी में 9.9 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। इस समझौते को लॉकडाउन के बीच दुनिया का सबसे बड़ा डील माना जा रहा है। जहां इस समझौते से जियो की वैल्यूएशन बढ़कर 4.62 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा तो वहीं रिलायंस जियो खुद को कर्जमुक्त करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ सकेगा।

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

कोरोना के योद्धा स्वास्थ्य कर्मियों से दुर्व्‍यवहार तो होगी जेल


भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने तीन बजे मीडिया में आकर कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के साथ दुव्र्यवहार का दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति को तीन महीने से 5 साल तक के लिए जेल भेजा जा सकता है,  50,000 से 2 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य कर्मियों को गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचाने पर दोषी को छह महीने से लेकर 7 साल तक के लिए जेल भेजा जा सकता है और 1 लाख से 5 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। एंबुलेंस और स्वास्थ्यकर्मियों की परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर दोषी व्यक्ति को इनकी कीमत का दोगुना मुआवजा भरना होगा। कानून में संशोधन के अनुसार आरोपी के खिलाफ जांच 30 दिन के भीतर पूरी कर ली जाएगी और अंतिम निर्णय एक साल के अंदर आ जाएगा।
इस खबर के बाद देश में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ा क्योंकि आये दिन देश के विभिन्न भागों स्वास्थ्य कर्मियों, डॉक्टर, और पुलिस पर कोरोना की जाँच करने जाने पर आइसोलेजन किये जाने के बाद कुछ विशेष लोगों के द्वारा मारपीट दुर्व्यवहार किये जाने की शिकायत आने लगी जीके बाद सरकार ने कठोर कार्यवाही करने का फैसला लिया है  

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

देशवासियों के सुझाव पर लॉकडाउन 3 मई तक प्रधानमंत्री मोदी जी ने घोषणा की -



आज सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की देशवासियों और मुख्यमंत्रियों के सुझाव को ध्यान में  रखते हुए  लॉकडाउन 3 मई तक बढाया जा रहा है अभी तक लॉकडाउन ही करोना वायरस से लड़ने का सबसे सव्र्शेष्ठ तरीका है। क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस से बचने के लिए कोई भी दवाई का अविष्कार नहीं हुआ भारत में कोरोना वायरस  लेकर 25 अप्रेल से लॉकडाउन किया गया है इसका परिणाम है कि भारत अभी यूरोप और अमेरिका जैसे गंभीर स्थिति में नहीं पहुँचा है। प्रधानमंत्री ने वेद के वाक्य का उद्घोषित किया कि  वयं राष्ट्रे जागृयाम - हम सभी राष्ट्र को जीवंत और जागृत बनाए रखेंगे। 

लॉकडाउन घोषित होने के बाद 28 मई को तमिलनाडु पुलिस के द्वारा जाँच में पता चला की निजामुद्दीन दरगाह के पास इस्लामिक संस्था तबलीगी जमात का मरकज़ में 2300 से अधिक लोग रुके हुए है उनमे से एक व्यक्ति जो तमिलनाडु का था, जो घर पहुँचते ही कोरोना वायरस से गसित था उसकी मौत हो गई है। जिन व्यक्ति मरकज से संबध तो कोरोना गर्सित होने पर पुलिस जाँच शुरू की, तथा जम्मूकश्मीर तथा तेलंगाना से मौत की खबर ने पुरे देश को हिला दिया।  इसी बीच इस्लामिक संस्था तबलीगी जमात का मरकज़ के मौलाना का तकरीर वारल होने लगा की मरना है तो मस्जिद से अच्छा जगह क्या हो सकता है कोरोना तो मुसलमानों को मस्जिद में आने से रोकना है इसे हम नहीं मानेगे ऐसा ही यु-तुबे पर रिकार्डिंग चलने इसका हेतु या था की मुसलमान इस लॉकडाउन को नहीं माने और मस्जिद में जाकर नमाज पढ़े       



शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

इस्लामी धार्मिक संस्था तबलीगी जमात ने फैला दिया covid19 देश भर में


हजरत निजामुद्दीन ( औलिया ) दरगाह के पास ही इस्लामी धार्मिक संस्था तबलीग़ी जमात ने लॉकडाउन के पूर्व दिल्ली के अपने मुख्यालय में एक बड़े सम्मलेन का आयोजन किया था दिल्ली पुलिस और प्रशासन को खबर मिली तो सभी के हाथ पैर फुले की कोरोना वायरस के बीच ये सम्मलेन कराना एक भारी भूल थी  इससे पूरे समाज को कोरोना वायरस से प्रभावित होने का ख़तरा पैदा हो गया है। यह आशंका सही साबित हो रहा है, लगभग 9 हजार लोगों ने तबलीगी जमात के सम्मेलन में शामिल हुए थे। इसमें  हजारों विदेशी लोग इंडोनेशिया, मलेशिया , गल्फ देशों से भी लोग शामिल हुए थे इन्ही लोगों विदेशी लोगों के माध्यम से 15 दिनों में हजारों तबलीगी के द्वारा पुरे भारत में फैल गया है।  तबलीग़ी जमात के माध्यम से, उन्होंने देश के हर कोने में कोरोना बम लगाए हैं, अगर वे अपने मक़सद में क़ामयाब हो जाते हैं तो यह देश पर अब तक का सबसे बड़ा जिहादी हमला साबित होगा, निज़ामुद्दीन में जमात के हज़ारों लोगों का जमा होना, जिनमें कई विदेशी तबलीगी जमात के लोग भी शामिल थे जो भारत भर से मस्जिदों से उमड़ रहे हैं और जिनमें कोरोना वायरस के कई मामले हैं ये कुछ और नहीं बल्कि कोरोना जिहाद द्वारा भारत को बर्बाद करने की एक कोशिश है

  
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बेंगलुरु में होने वाली तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक बेंगलुरु में 15 से 17 मार्च को कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण स्थगित कर दिया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने यहां ट्विटर पर कहा- महामारी कोविड-19 की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों के निर्देशों और परामर्श के प्रकाश में बेंगलुरु में होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक को स्थगित किया जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सभी स्वयंसेवकों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में जागरुकता लाने और इस चुनौती का सामना करने के लिए शासन-प्रशासन का सहयोग करें। 

संदर्भ यह है कि भारत में WHO के गाइड लाईन के अनुसार की भारत में भी कोरोना वायरस फैल सकता है। इसलिए भारत सरकार ने बार बार एद्वाजरी जारी किया कि 200 से ज्यादा नहीं इकठ्ठा होना है। कुछ दिन बाद भी 50 से अधिक नहीं होना चाहिए फिर 5 लोगों से ज्यादा एकत्रित नहीं हो।  इस सूचना का अक्षर से पालन करते हुए। अपनी सबसे बड़ी बैठक तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक को स्थगित कर दिया। लेकिन कुछ और लोग है कहते है कि मोदी सरकार या भारत सरकार जो भी कहेगा उसका विरोध करेगें। जैसे शाहीन बाग में धरना जारी रखा था धरना में शामिल खातून कहते देखा गया कि कोरोना तो कुरान से निकला है हम मुसलमानों को कोरोना नहीं हो सकता। दिल्ली में सरकार ने धारा 144 लागू होने के बाद भी शाहीन बाग का धरना खत्म नहीं हुआ तो 24 मार्च को अचानक दिल्ली पुलिस ने धरना के तम्बू को उखाड़ फेका तथा विरोधियों को गिरप्तार किया। 



सोमवार, 30 मार्च 2020

दूरदर्शन पर प्रसारित रामायण, 33 वर्ष पूर्व भारत की राजनीति को बदल दिया


भारत के  टीवी सीरियल के इतिहास में 1987 में रामायण सीरियल दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था, एक इतिहास रच दिया था पहली बार 25 जनवरी 1987 में दूरदर्शन पर रामायण का प्रसारण  हुआ था, लगभग 78 एपिसोड के बाद इसे 31 जुलाई 1988 तक प्रसारित कर समाप्त कर दिया गया था कोरोना वारस के कारण पुरे देश में घोषित बंद ( Lockdown ) के बाद में इसे कई बार री-टेलीकास्ट किया गयाइस बीच केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को साफ किया कि जनता की मांग पर दूरदर्शन में शनिवार से रामायण सीरियल का प्रसारण होगा। पहला एपिसोड कल सुबह 9 बजे और दूसरा कल ही रात 9 बजे दिखाया जाएगा। 

सोमवार, 23 मार्च 2020

100 Days बाद शाहीनबाग का खेल खत्म,




आज ही लगभग 100 दिनों के बाद शाहीनबाग में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हटा दिया है। 15 दिसंबर से नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में तथाकथित वामपंथीकांग्रेस तथा आप पार्टी के समर्थन से चल रहा था शाहीनबाग का आन्दोलन का खेल को पुलिस ने खत्म कर दिया पुरे विश्व में कोरोना वायरस के खतरे के कारण  से दिल्ली समेत पूरे भारत में लॉकडाउन तथा धारा 144 लागू किया गया है। लेकिन इसके बाद भी शाहीनबाग में प्रदर्शनकारी मंगलवार सुबह भी प्रदर्शन की तैयारी में थे। लेकिन अब पुलिस ने वहां महिला प्रदर्शनकारियों को पूरी तरह से हटाकर दिया है। 

गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) कानून भारत की संसद के दोनों सदनों पटल पर रखा और 12 दिसंबर को पारित तथा राष्ट्रपति महोदय ने भी अपनी मुहर लगा दे दी। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र लगातार सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागु होने के पहला शुक्रवार 15 दिसंबर 2019 को नमाज खत्म होने के बाद जामिया नगर के लोग सीएए के खिलाफ सड़क पर उतर आए थे। इस प्रदर्शन में जामिया मिल्लिया के छात्रों भी घुस आये, दिल्ली की सड़को पर हिंसा करना शुरू कर दिए।जामिया मिल्लिया के छात्रों के अचानक इस प्रदर्शन ने हिसंक रूप में बसों में तोड़फोड़ औऱ उसे जलाने लगे। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पथराव शुरू हो गयाजिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। इतना ही नहीं पुलिस ने जामिया की लाइब्रेरी में घुसकर प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कियाजिसमें कई छात्र भी घायल हुए। वामपथी मीडियाकर्मियों तथा कांग्रेस, आप पार्टी और विपक्षी पार्टियों ने इस आन्दोलन को हाथों हाथ ले लिया। चारों तरफ से आलोचनाओं के कारण दिल्ली पुलिस बैकफुट पर आ गई और आगे से कोई दूसरी कार्रवाई नहीं करना चाहती थी। जामिया का हिंसक प्रदर्शन से परेशान प्रशासन ने इलाके को चारों तरफ से बंद कर दिया था। शाम से आठ बजे से शाहीन बाग इलाके की कुछ महिलाएं रोड पर आ कर बैठ गईं। दिल्ली पुलिस से सबसे बड़ी गलती यही हुई कि ये महिलाएं रात में वापस चली जाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह दिल्ली पुलिस की गलती ने देश के देशदोहियो को एकजुट कर दिया  

16 दिसंबर की शाम में करीब 500 महिलाएं इस प्रदर्शन में शामिल हो चुकी थीं इसी बीच जेएनयू और जामिया के छात्र-छात्राएं शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए इसके बाद इस प्रदर्शन की कमान महिलाओं ने अपने हाथों में ले ली और क्षेत्र के लोग वॉलिंटियर के रूप में लग गए।  शाहीन बाग के आंदोलन में 29 दिन की बच्ची को मां गोद में लेकर धरने पर बैठी नजर आई तो 80 साल की दादी इस प्रोटेस्ट का हिस्सा बनी इतना ही नहीं शाम होते ही आसपास की महिलाएं आंदोलन स्थल पर पहुंच जाती हैं



गुरुवार, 19 मार्च 2020

अंततः निर्भया के चारों दोषियों को एक साथ फांसी दी गई



निर्भया केस को आज 7 साल बीत चुके हैं और अभी भी पूरे देश को दोषी मुकेश, विनय और अक्षय और पवन की फांसी का इंतजार है, लेकिन चार बार  निर्भया के दरिंदों को फांसी के डेथ वारंट जारी हुआ कानून की दावपेच के कारण बचते रहे आज सभी विकल्प गुरुवार को रात्रि में समाप्त हो गए। आज सुबह शुक्रवार को नई सुबह कोर्ट इनके फांसी की अगली तारीख 20 मार्च को घोषित कर दी है। निर्भया के चारों दोषियों पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और मुकेश सिंह की फांसी तय है। 


16 दिसंबर 2012 ये वो तारीख है, जिस दिन दिल्ली की सड़कों पर रात के अंधेरे में चलती बस में निर्भया के साथ 6 कुकर्मियों ने जघन्य अपराध की सारी हदें पार कर दी थीं।  इन 6 में एक ने जेल में आत्महत्या कर ली। उसका नाम राम सिंह था, जो बस ड्राइवर और मुख्य आरोपी था। एक नाबालिग था, जो 3 साल की सजा काटकर 20 दिसंबर 2015 को रिहा हो चुका है और केजरीवाल की सिलाई मशीन के साथ कहीं चैन से अपनी जिंदगी जी रहा है।
इनके नाम थे- मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर। इन दोषियों को उनके गुनाह की सजा 7 साल 3 महीने और 4 दिन बाद मिली। चारों दोषियों को तिहाड़ की जेल नंबर-3 में 20 मार्च की सुबह साढ़े 5 बजे फांसी पर लटकाया गया। फांसी देने के लिए जल्लाद पवन 17 तारीख को ही तिहाड़ पहुंच चुका था।