बुधवार, 21 अक्तूबर 2020
बोफोर्स का जिन्न अभी भी जिन्दा है -
शनिवार, 10 अक्तूबर 2020
ताइवान नेशनल पर भारतीयों का जोश देखकर चीन बौराया...
शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020
6 दिसंबर1992 को विवादित ढांचा गिरने के 28 साल बाद, सभी आरोपी बरी
6 दिसंबर 1992 का दिन
भारतीय राजनीति में टर्निग पॉइंट रहा है। राम मंदिर आन्दोलन ने भारत की राजनीति को
हमेशा के लिए बदल दिया है। इसी आंदोलन से भाजपा का उदय हुआ और कांग्रेस के पतन की शुरुआत हुई।
इसी दिन लाखों कारसेवकों ने मिलकर बाबरी मस्जिद नाम से विवादित ढांचे को गिरा दिया था। 1992 में अयोध्या में जो हुआ, उसकी नींव 1990 में बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के साथ ही पड़ गई थी। उस वक्त 'कसम राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे' का नारा काफी चला था। इसके बाद धीरे-धीरे मुद्दे ने रंग पकड़ा और 1992 में 'एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो' के साथ मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया गया। 6 दिसंबर को आखिर 28 साल पहले क्या हुआ था।
सुबह करीब 10.30 बजे वरिष्ठ नेता बीजेपी और वीएचपी नेताओं ने विवादित ढांचे के पास पहुंचकर राम शिला की पूजा-अर्चना की गई। इसमें एल के आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के साथ कई संत भी शामिल थे। इनके पीछे थे करीब 1.5 लाख कारसेवक।सोमवार, 31 अगस्त 2020
प्रणब दा .. बहुमुखी प्रतिभा के धनी
भारत के 13 पूर्व राष्ट्रपति, भारतरत्न से समानित श्री प्रणब मुखर्जी दा अब हमारे बीच में नहीं रहे है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को उन्हें संघ के लिये एक मार्गदर्शक करार दिया और कहा कि वह राजनीतिक छुआछूत में विश्वास नहीं करते थे। प्रधानमंत्री मोदी जी पिता तुल्य प्रणब दा को मानते थे । मोदी जी ने प्रणब मुखर्जी को एक पत्र लिखा था।
शुक्रवार, 14 अगस्त 2020
इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता
विश्व की दो शक्ति देश जो आपस में दुश्मन देश इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात करीब 72 साल बाद 'दोस्त' बन गए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मध्यस्थता के बाद इजरायल और यूएई ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अबूधाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद अल नहयान के बीच हुए इस समझौते को 'एक वास्तविक ऐतिहासिक मौका' करार दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह डील न केवल ईरान और चीन की दोस्ती का जवाब है, बल्कि भारत के लिए भी बड़ी खुशखबरी है।
रविवार, 2 अगस्त 2020
भारत में फ्रांस से राफेल आने के बाद पाकिस्तान और चीन का हाल
जब से फ्रांस से पहुंचे पांच राफेल विमान अंबाला के एयरबेस पर पंहुचा वैसे पूरा भारत स्वागत किया। बुधवार को फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाए गए इन लड़ाकू
विमानों के भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद भारत की ताकत में बढ़ गई
है। राफेल विमानों
के भारत पहुंचने के बाद पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन की चिंता भी बढ़ है।
पाकिस्तान के विदेश विभाग ने कहा कि भारत अपनी सुरक्षा जरुरतों से ज्यादा सैन्य क्षमता
जुटाना जारी रखे हुए है तथा चीन ने अपने
सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के माध्यम से कह रहा है राफेल एक थर्ड जनरेशन का
प्लेन जबकि हमारा J-20 फिप्ट जनरेशन का
जेट प्लेन है यह J-20 के सामने नहीं
टिकने वाला है। लेकिन पूर्व एयर चीफ बी एस
धनोरा ने चीन की J-20 की औकात बता दिया
तो चीन की बोलती बंद हो गई।
दुसरे दिन बृहस्पतिवार को
पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता आयशा फारुकी ने अपने साप्ताहिक संवाददाता
सम्मेलन में कहा कि भारतीय वायुसेना द्वारा फ़्रांस से प्राप्त किए गए
राफेल विमानों से दक्षिण एशिया में परेशानी का सबब है, कि भारत अपनी सुरक्षा जरुरतों से ज्यादा सैन्य क्षमता
जुटाना जारी रखे हुए है। उन्होंने कहाकि अत्याधुनिक प्रणाली
का हस्तांतरण जहां स्पष्ट मंशा
उसे परमाणु हथियार ले जाने लायक बनाने की है, यह परमाणु हथियार
जमा नहीं करने के अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं से किए गए वादे पर सवाल खड़े करता
है। आगे कहा कि दक्षिण एशिया में
हथियारों की दौड़ के खिलाफ अपने रूख पर कायम रहते हुए, पाकिस्तान इन घटनाक्रमों के
प्रति बेखबर बना नहीं रह सकता है और वह गलत मंशा के साथ आक्रमकता
के किसी भी कदम को नाकाम करने की अपनी क्षमता के प्रति आश्वस्त है। भारत
द्वारा क्षमता से ज्यादा हथियार जुटाना पाकिस्तान के लिए भी शुभ संकेत नहीं हैं।
यह परेशान करने वाली बात है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर ध्यान देना चाहिए।
पाकिस्तान में फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन
से चार साल बाद भारत को पांच राफेल विमानों की पहली खेप प्राप्त होने के बाद खौफ का आलम बन
गया है कि इन विमानों के आने से ठीक पहले पाकिस्तान के एयरफोर्स चीफ को आर्मी चीफ
कमर जावेद बाजवा से आपात बैठक करनी पड़ी है।
ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक एक्सपर्ट को सामने रख कर कहा कि भारत का राफेल चीन के J-20 के सामने कहीं गिनती में नहीं है। उसने बताया कि राफेल थर्ड जेनेरेशन फाइटर जेट है और J-20 फोर्थ जेनेरेशन फाइटर जेट है जो ज्यादा आधुनिक है। भारत में राफेल आने से चीन की चिंता बढ़ी और जलनखोर ने चीन ने जलन से कहा कि उसका J-20 भारत के राफेल से कहीं बढ़ कर है।
फिर चीन को आइना दिखाया भारत के पूर्व वायु सेनाध्यक्ष बी.एस. धनोआ ने तुरंत चीन के दावे की हवा निकल दी की चीन को बता दिया कि फ्रांस में बना फाइटर जेट राफेल चीन के J-20 फाइटर जेट से कई गुना श्रेष्ठ है। चीन ने कहा आधुनिक हथियार और सीमित तकनीक के कारण राफेल की थर्ड जेनेरेशन दूसरे फाइटर जेट से तो तुलना की जा सकती किन्तु फोर्थ जेनेरेशन के J-20 जैसे जंगी जहाज़ से ये मुकाबला नहीं कर सका। राफेल 4.5 जेनरेशन का गेमचेंजर है और इसके सामने चीन का फाइटर जेट जे-20 कहीं नहीं टिकता। उन्होंने कहा कि जे-20 इतना कुशल नहीं है कि उसे फिफ्थ जेनेरेशन फाइटर जेट कहा जा सके। जे-20 का के रडार सिग्नेचर के कारण यह राफेल के लॉन्ग-रेंज मीटॉर मिसाइल की पकड़ में बच नहीं पाता है और राफेल सुपरक्रूज है जबकि जे-20 के भीतर सुपरक्रूज़ेबिलिटी नहीं है।
1999 कारगिल विजय के बाद तत्कालीन अटल बिहारी सरकार ने भारत की वायुसेना के आवश्यकता नए जेनेरेशन फाइटर जेट खरीदने को कहा गया। लेकिन इस प्रस्ताव की अपचौरिकता पूरी होती की उनकी सरकार 2004 में लोकसभा चुनाव हार गई। तब मनमोहन सरकार ने पुरे 10 वर्ष में नये फाइटर जेट नहीं खरीद पाई। 2014 में मोदी सरकार ने फिर से वायुसेना की आवश्यकतानुसार फ़्रांस जाकर राफेल खरीदने की शुरुवात किया जिसका परिणाम की भारत ने रुस से खरीदे गए सुखोई विमानों के पश्चात करीब 23 साल बाद वायुसेना ने नये जेनरेशन का लड़ाकू जेट राफेल प्राप्त किया है। राफेल के भारत पहुंचने पर सरकार, वायुसेना तथा आम लोगों में बहुत ही उत्साह था कि भारत की वायु सेना की शक्ति जो की लड़ाकू जेट की मारक क्षमता बढ़ गई हैं। राफेल 4.5 जेनरेशन का मल्टी रोल कांबेट एयरक्रॉफ्ट है, जो आकाश से जमीन पर और आकाश से आकाश दोनों में ही दुश्मन पर धावा बोलने में सक्षम है। एक बार ईधन भरने पर 10 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है। इसकी स्पीड इतनी है कि एक मिनट में ही राफेल 60000 फीट की उंचाई पर जा सकता है और 2130 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से यह उड़ान भरने में सक्षम है। इसकी मारक क्षमता करीब 3700 किमी तक है। राफेल जेट मिटियोर, स्कैल्प और बीवीआर जैसे अति आधुनिक मिसाइलों और हथियारों से लैस हैं। इसकी रडार प्रणाली भी बेहद मजबूत है और यह परमाणु मिसाइलों के संचालन की भी पूरी क्षमता रखता है।
मंगलवार, 23 जून 2020
सोनम वांगचुक की बॉयकॉट चाइना की अभियान, अब असर दिखना शुरू ...
भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के माहौल में बॉयकॉट चाइनीज़ प्रोडक्ट्स और वोकल फॉर लोकल मुहिम देश में फिर से शुरू हो गई है। इसकी शुरुवात सोनम वांगचुक ने अपने वीडियो के माध्यम से किया था, इस अभियान का परिणाम दिखा शुरू हो गया है। चीनी कंपनियों के दबदबे वाले स्मार्टफोन बाजार में घरेलू मोबाइल कंपनियां फिर से आने की कोशिश शुरू कर दिए है यानि खुद के लिए कमबैक के तौर पर देख रही हैं। और खास बात है की भारत सरकार ने मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ाने के मकसद से सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर प्रोडक्ट रजिस्टर करने के लिए 'कंट्री ऑफ ओरिजन' बताना जरूरी होगा। सभी विक्रेताओं को अपने प्रोडक्ट के मूल देश (country of origin) की जानकारी देनी ही होगी। प्रोडक्ट के बारे में सभी जानकारी और प्रोडक्ट के मूल देश की जानकारी नहीं देने पर प्रोडक्ट को GeM प्लेटफ़ॉर्म से हटा दिया जाएगा।
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020
मुकेश अम्बानी की जियो और फेसबुक के बीच बड़ी डील, शेयर मार्केट लंबी छलाग
गुरुवार, 23 अप्रैल 2020
कोरोना के योद्धा स्वास्थ्य कर्मियों से दुर्व्यवहार तो होगी जेल
भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने तीन बजे मीडिया में आकर कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के साथ दुव्र्यवहार का दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति को तीन महीने से 5 साल तक के लिए जेल भेजा जा सकता है, 50,000 से 2 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य कर्मियों को गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचाने पर दोषी को छह महीने से लेकर 7 साल तक के लिए जेल भेजा जा सकता है और 1 लाख से 5 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। एंबुलेंस और स्वास्थ्यकर्मियों की परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर दोषी व्यक्ति को इनकी कीमत का दोगुना मुआवजा भरना होगा। कानून में संशोधन के अनुसार आरोपी के खिलाफ जांच 30 दिन के भीतर पूरी कर ली जाएगी और अंतिम निर्णय एक साल के अंदर आ जाएगा।
मंगलवार, 14 अप्रैल 2020
देशवासियों के सुझाव पर लॉकडाउन 3 मई तक प्रधानमंत्री मोदी जी ने घोषणा की -
लॉकडाउन घोषित होने के बाद 28 मई को तमिलनाडु पुलिस के द्वारा जाँच में पता चला की निजामुद्दीन दरगाह के पास इस्लामिक संस्था तबलीगी जमात का मरकज़ में 2300 से अधिक लोग रुके हुए है। उनमे से एक व्यक्ति जो तमिलनाडु का था, जो घर पहुँचते ही कोरोना वायरस से गसित था उसकी मौत हो गई है। जिन व्यक्ति मरकज से संबध तो कोरोना गर्सित होने पर पुलिस जाँच शुरू की, तथा जम्मूकश्मीर तथा तेलंगाना से मौत की खबर ने पुरे देश को हिला दिया। इसी बीच इस्लामिक संस्था तबलीगी जमात का मरकज़ के मौलाना का तकरीर वारल होने लगा की मरना है तो मस्जिद से अच्छा जगह क्या हो सकता है कोरोना तो मुसलमानों को मस्जिद में आने से रोकना है इसे हम नहीं मानेगे ऐसा ही यु-तुबे पर रिकार्डिंग चलने इसका हेतु या था की मुसलमान इस लॉकडाउन को नहीं माने और मस्जिद में जाकर नमाज पढ़े।